अखिलेश यादव द्वारा आजम खान की राजनीति को दफनाने की कोशिश?

😎सीधी बात,नो बकवास😎

एक समय था जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान साहब की तूती बोलती थी। यह वही आजम खान हैं जिनके बारे में कहा जाता था कि वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बेताज बादशाह हैं।
यह वही आजम खान हैं जिन्हें समाजवादी पार्टी का चौथा स्तंभ कहा जाता था। पहला स्तम्भ दिवंगत नेता मुलायम सिंह, दूसरे शिवपाल यादव, तीसरे रामगोपाल यादव और चौथे आजम खान।

आजकल आजम खान साहब का पूरा सजायाफ्ता परिवार जेल में बंद है। ज़ाहिर है कि उनमें से कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकता है।

इसी बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव ने 2024 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का “हाथ” पकड़ लिया। और कांग्रेस ने रामपुर के नवाब खानदान को तरज़ीह देते हुए बेग़म नूर बानो को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है।

ख़बर है कि कांग्रेस ने बेग़म नूर बानो साहिबा को 2024 लोकसभा चुनाव के लिये अपना प्रत्याशी घोषित करने का मन बना लिया है।

यहां उल्लेखनीय है कि रामपुर के नवाब खानदान और आजम खान परिवार के बीच 36 का आंकड़ा है। या यूं कहिए कि दोनों परिवार एक-दूसरे कट्टर राजनीतिक शत्रु हैं।

अब ऐसे में सपा मुखिया की ख़ामोशी बिना कुछ कहे बहुत कुछ बयान कर रही है।

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की ख़ामोशी के दो मायने निकाले जा सकते हैं, पहला गठबंधन की मजबूरी अथवा दूसरा पश्चिमी उत्तरप्रदेश में आजम खान के राजनीतिक वर्चस्व को दफनाने की क़वायद।

-मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक
उगता भारत
नोएडा से प्रकाशित हिंदी दैनिक

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