कुंडलियां … 50 बीज में बरगद छुपा…..

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खोजो अपने रूप को, जपो नाम दिन रैन।
पा लोगे निज रूप को, पड़ेगा मन को चैन।।
पड़ेगा मन को चैन, वर्षा अमृत की होगी।
करता उल्टे काम जगत में, बनकर भोगी।।
अविद्या, अस्मिता, राग के, मत लेना सपने।
छोड़ द्वेष-निवेश को, मूल को खोजो अपने।।

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बीज में बरगद छुपा, यही दर्शन का बीज।
सब में समाया बीज है, सभी समाए बीज।।
सभी समाए बीज , बीज की कथा अनंता।
जिसने समझा बीज को, करे ग्रहण ग्रंथा।।
खोजत बीज निर्मल भई, पाकर बुद्धि बीज।
बीज कहानी पूर्ण हुई, खोज लिया जब बीज।।

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अपना-अपना कह रहे, अपना मिला न कोय।
जो अपना हमें लग रहा, हाथ झटक गुम होय।।
हाथ झटक गुम होय , कहानी बड़ी पुरानी ।
सुने बचपन में किस्से ,था एक राजा, एक रानी।।
अपना अपना कहते-कहते रहा नहीं कोई अपना।
सारे सपने बिखर गए, ना ढूंढ सका कोई अपना।।

दिनांक : 16 जुलाई 2023

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक उगता भारत

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