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स्वर्णिम इतिहास

है बलिदानी इतिहास हमारा ……

मित्रों ! हम यहां पर कुछ ऐसी क्रांतियों और आंदोलनों के नाम दे रहे हैं जिनसे पता चलता है कि ब्रिटिश काल में हमारे देश में क्रांति की आंधी मची हुई थी, पूरा भारत मचल रहा था और अपनी स्वाधीनता के प्रति पूर्णतया सजग था। तनिक देखिए: – प्लासी का युद्ध (सन 1757) , चुआड़ […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

सिकंदर का वध एक हिंदू वीरांगना के द्वारा हुआ था

चौधरी चेतराम आर्य पहलवान द्वारा लिखवाई गई “मेरी पोथी नंबर 7 इंस्पेक्टर 334 ईसा पूर्व ‘ के माध्यम से उपरोक्त पुस्तक के पृष्ठ संख्या 74 पर उल्लेखित किया गया है कि जब सिकंदर का आक्रमण भारत पर हुआ तो उस समय दो लाख की संख्या में मल्ल योद्धा अपने आप ही एकत्र हो गए। इन […]

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स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

धर्म की रक्षा हेतु मुगलों के आगे कभी नहीं झुके गुरु तेग बहादुर

सुखी भारती ‘हिन्द की चादर तेग बहादर’ व ‘हिन्द की ढाल’ कह कर सम्बोधित किए जाने वाले विलक्षण शहीद जिन्होंने धर्म की रक्षा हेतु अपना शीश कुर्बान किया और इनके पुत्र श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने इन्हीं के पद चिन्हों पर चलते हुए अपने माता श्री गुजरी जी, चार पुत्रों व अपने अनेकों शिष्यों […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत का इतिहास कैसे लिखें?

असम के महान सेनापति लाचित बरफुकन की 400 वीं जयंति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारतीय इतिहास को फिर से लिखा जाना चाहिए। यही बात कुछ दिनों पहले गृहमंत्री अमित शाह ने भी कही थी। उनके इस कथन का अर्थ यह लगाया जा रहा है कि अभी तक भारत का […]

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भारतीय संस्कृति स्वर्णिम इतिहास

भारतीय दर्शन की आज पूरे विश्व को आवश्यकता है

भारत वर्ष 2047 में, लगभग 1000 वर्ष के लम्बे संघर्ष में बाद, परतंत्रता की बेढ़ियां काटने में सफल हुआ है। इस बीच भारत के सनातन हिंदू संस्कृति पर बहुत आघात किए गए और अरब आक्रांताओं एवं अंग्रेजों द्वारा इसे समाप्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई थी। परंतु, भारतीय जनमानस की हिंदू धर्म […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

हल्दीघाटी युद्ध के बाद के 10 वर्षों का गौरवशाली इतिहास

क्या आपने कभी पढ़ा है कि हल्दीघाटी के बाद अगले १० साल में मेवाड़ में क्या हुआ..इतिहास से जो पन्ने हटा दिए गए हैं उन्हें वापस संकलित करना ही होगा क्यूंकि वही हिन्दू रेजिस्टेंस और शौर्य के प्रतीक हैं. इतिहास में तो ये भी नहीं पढ़ाया गया है की हल्दीघाटी युद्ध में जब महाराणा प्रताप […]

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स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन अरब का समाज और भारत के वेद

प्राचीन अरबी काव्य-संग्रह ‘शायर-उल्-ओकुल’ में एक महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का रचयिता ‘लबी-बिन-ए-अख़्तर-बिन-ए-तुर्फा’ है। यह मुहम्मद साहब से लगभग 2300 वर्ष पूर्व (18वीं शती ई.पू.) हुआ था । इतने लम्बे समय पूर्व भी लबी ने वेदों की अनूठी काव्यमय प्रशंसा की है तथा प्रत्येक वेद का अलग-अलग नामोच्चार किया है— ‘अया मुबारेक़ल अरज़ युशैये […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत और नेपाल का कालांतर में एक साझा इतिहास रहा है

प्रह्लाद सबनानी नेपाल एक बहुत खूबसूरत दक्षिण एशियाई राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे तिब्बत है तो इसके दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत की सीमाएं लगती हैं। नेपाल के 81.3 प्रतिशत नागरिक सनातन हिन्दू धर्म को मानते है। नेपाल पूरे विश्व में प्रतिशत के आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन काल में भारत शिक्षा का वैश्विक केंद्र था, इस गौरव को पुनः प्राप्त करना अब जरूरी

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी एवं महान संस्कृति मानी जाती है एवं भारत में शिक्षा को अत्यधिक महत्व देकर इसे प्रकाश का स्त्रोत मानकर मानव जीवन के विभिन क्षेत्रों को आलोकित किया जाता रहा है एवं यहां आध्यात्मिक उत्थान तथा भौतिक एवं विभिन्न उत्तरदायित्वों के विधिवत निर्वहन के लिये शिक्षा की महती आवश्यकता को […]

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स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन भारतीय गणतांत्रिक अवधारणा

-अशोक “प्रवृद्ध”     विभाजित भारतवर्ष में 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस मनाया जाता है। वर्तमान केंद्र सरकार के द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्म दिवस 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाये जाने और उस दिन से ही […]

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