“मन चंगा तो कठौती में गंगा”, ये कहावत आपने जरूर सुनी होगी। क्या आप जानते हैं ये कहां से आई, इसके पीछे एक दिलचस्प घटना है, जिसका संबंध मिलजुल कर रहने, भेदभाव मिटाने और सबके भले की सीख देने वाले सामाजिक समरसता के महान संत शिरोमणी श्री रविदास जी महाराज से है। प्रति वर्ष माघ […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
ओ३म् वर्तमान समय से लगभग 5,200 वर्ष पूर्व महाभारत का विनाशकारी युद्ध हुआ था। महाभारत काल तक वेद अपने सत्यस्वरूप में विद्यमान थे जिसके कारण संसार में विद्या व सत्य ज्ञान का प्रचार व प्रसार था। महाभारत के बाद वेदों के अध्ययन अध्यापन तथा प्रचार में बाधा उत्पन्न हुई जिसके कारण विद्या धीरे धीरे समाप्त […]
हमारे जितने भी महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी हुए वे सबके सब भारतीय स्वाधीनता और संस्कृति के ध्वजवाहक और रक्षक थे। इन महान क्रांतिकारियों में धन सिंह कोतवाल गुर्जर का नाम अग्रगण्य है। यदि यह प्रश्न किया जाए कि धन सिंह कोतवाल गुर्जर को स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय संस्कृति का रक्षक क्यों कहा जाए ? तो […]
21 फरवरी/पुण्य-तिथि कर्नाटक में चेन्नम्मा नामक दो वीर रानियां हुई हैं। केलाड़ी की चेन्नम्मा ने औरंगजेब से, जबकि कित्त्ूार की चेन्नम्मा ने अंग्रेजों से संघर्ष किया था। कित्तूर के शासक मल्लसर्ज की रुद्रम्मा तथा चेन्नम्मा नामक दो रानियां थीं। काकतीय राजवंश की कन्या चेन्नम्मा को बचपन से ही वीरतापूर्ण कार्य करने में आनंद आता था। […]
– देवेंद्र सिंह आर्य 10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी की थर्ड केवल्री की 11 और 12 वी इन्फेंट्री पोस्टेड थी । 10 मई 1857 रविवार का दिन था। रविवार के दिन ईसाई […]
20 फरवरी/जन्म-दिवस महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 20 फरवरी, 1827 को पुणे (महाराष्ट्र) में हुआ था। इनके पिता श्री गोविन्दराव फूलों की खेती से जीवनयापन करते थे। इस कारण इनका परिवार फुले कहलाता था। महाराष्ट्र में उन दिनों छुआछूत की बीमारी चरम पर थी। अछूत जाति के लोगों को अपने चलने से अपवित्र हुई सड़क […]
भारतीय इतिहास को विकृतियों के मकड़जाल से मुक्त करने में डॉ रतन लाल वर्मा जैसे महान इतिहासकार का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने इतिहास पर शोध परक ग्रंथ लिखे और भारतीय इतिहास में गुर्जर समाज के विशेष योगदान की विशद विवेचना कर इतिहास को समृद्ध करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया । श्री वर्मा जी […]
मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1707 में हुआ था। ये राजा बदनसिंह ‘महेन्द्र’ के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता की ओर से […]
1917 से 1947 तक स्वाधीनता समर के हर कार्यक्रम में सक्रिय रहने सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को भाग्यनगर (हैदराबाद, आंध्र प्रदेश) में हुआ था। वे आठ भाई-बहिनों में सबसे बड़ी थीं। उनके पिता श्री अघोरनाथ चट्टोपाध्याय वहां के निजाम कॉलेज में रसायन वैज्ञानिक तथा माता श्रीमती वरदा सुन्दरी बंगला में कविता लिखती […]
भारत में सब ओर स्वतन्त्रता के लिए प्राण देने वाले वीर हुए हैं। ग्राम लंकर (उत्तर कछार, असम) में शम्भुधन फूंगलो का जन्म फागुन पूर्णिमा, 1850 ई0 में हुआ। डिमासा जाति की कासादीं इनकी माता तथा देप्रेन्दाओ फूंगलो पिता थे। शम्भुधन के पिता काम की तलाश में घूमते रहते थे। अन्ततः वे माहुर के पास […]