डॉ राकेश कुमार आर्य आप सभी को भारत के 75वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। प्रत्येक गणतंत्र दिवस प्रतिवर्ष हमें अपने संविधान , अपनी संविधान सभा और संविधान सभा के सम्मानित सदस्यों के बारे में कुछ सोचने व समझने की प्रेरणा देता है । 1946 में भारत की संविधान सभा का गठन भारतीय संविधान के […]
श्रेणी: संपादकीय
22 जनवरी को श्री राम मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा वास्तव में राष्ट्रीय चेतना का मुखर स्वरूप था। जिसे हम सबने प्रकट होते हुए देखा। संपूर्ण देश में ही नहीं, विदेश में भी जहां-जहां भारतवंशी लोग रहते हैं, लोगों ने महादीपावली का पर्व मनाया। लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री […]
भारत स्वराज्य की प्रेरणा वेदों से प्राप्त हुई। वेद में राष्ट्र ,राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता का बड़ा मार्मिक चित्रण किया गया है। संसार के सबसे प्राचीन धर्मशास्त्र वेद – ऋग्वेद में स्वराज्य की आराधना करने की बात कही गई है। वेद के स्वराज्य संबंधी इसी चिंतन ने भारत को पराधीनता के काल में कभी भी चैन […]
अब यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है कि कांग्रेस ने भारत में धर्मनिरपेक्षता (जो कि वास्तव में पंथनिरपेक्षता शब्द है ) का अनुचित अर्थ किया और इसका लाभ देश के अल्पसंख्यकों को देने का भरपूर प्रयास किया। शासन का स्वरूप पंथनिरपेक्ष होना चाहिए । पंथनिरपेक्षता का अर्थ है कि शासन में जो […]
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण ठुकरा दिया है। सोनिया गांधी की कांग्रेस अपने हिंदू विरोध के सही स्वरूप में सामने आ गई है। यह सच है कि सोनिया गांधी को भारतीयता से कोई प्रेम नहीं है। यही कारण था कि वह अपने शासनकाल में ( […]
भारत में स्वामी दयानंद जी महाराज और उसके पश्चात महात्मा गांधी के भी आंदोलनों में स्वदेशी, स्वराष्ट्र, स्वभाषा, स्वसंस्कृति और स्वराज्य जैसे शब्द विशेष रूप से स्थान प्राप्त करते रहे। इस दृष्टिकोण से देखें तो भारत के द्वारा स्वाधीनता ही ‘स्व’ बोध के लिए प्राप्त की गई थी। अब भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने […]
कांग्रेस अपने जन्म काल से ही हिंदू विरोधी आचरण करती आई है । हिंदू विरोधी का अभिप्राय है – राष्ट्र विरोधी होना। कांग्रेस के ऐसे दोगले चरित्र के होने का कारण यह भी है कि इसे भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से प्रेरित होकर स्थापित नहीं किया गया था अपितु भारतीय राष्ट्रवाद को मिटाने या उसकी उठती […]
किसी भी राष्ट्र को तेजस्विता उसके तेजस्वी नेतृत्व से प्राप्त होती है। यदि नेतृत्व अभाहीन है या अपने आप को ही स्थापित करने के प्रति लापरवाह है या अपने अतीत के गौरव को प्रस्तुत करने में भी उसे शर्म की अनुभूति होती है तो राष्ट्र की आत्मा कांतिहीन होने का आभास देने लगती है । […]
हमारा भारत देश कभी आर्यावर्त या ब्रह्मावर्त के नाम से भी प्रसिद्ध था। यह ऋषियों, मुनियों और ईश्वर का साक्षात्कार करने वाले योगियों की पवित्र धर्म धरा रही है। इस पवित्र धर्म-धरा पर गौतम , कणाद , कपिल ,पतंजलि ,वाल्मीकि , व्यास सदृश महर्षियों ने ज्ञानामृत और योगामृत की गंगा प्रवाहित कर भारत की वास्तविक […]
हमारा भारत देश कभी आर्यावर्त या ब्रह्मावर्त के नाम से भी प्रसिद्ध था। यह ऋषियों, मुनियों और ईश्वर का साक्षात्कार करने वाले योगियों की पवित्र धर्म धरा रही है। इस पवित्र धर्म-धरा पर गौतम , कणाद , कपिल ,पतंजलि ,वाल्मीकि , व्यास सदृश महर्षियों ने ज्ञानामृत और योगामृत की गंगा प्रवाहित कर भारत की वास्तविक […]