सूखे पेड़ पर बैठा पक्षी भी बुरा लगता है। यहां तक कि यात्री भी सूखे पेड़ की अपेक्षा हरे-भरे पेड़ को तलाशता है, और अपनी थकान मिटाता है। इस घटना को समझने के दो पहलू हो सकते हैं, एक तो यह कि संसार स्वार्थी होता है, जहां तक आपके पास कुछ है, तब तक लोग […]
Category: संपादकीय
‘बुद्घ नही युद्घ’ के उद्घोषक: सावरकर
बात 10 मई 1957 की है। सारा देश 1857 की क्रांति की शताब्दी मना रहा था। दिल्ली में रामलीला मैदान में तब एक भव्य कार्यक्रम हुआ था। हिंदू महासभा के नेता वीर सावरकर यद्यपि उस समय कुछ अस्वस्थ थे, परंतु उसके उपरांत भी वह इस ऐतिहासिक समारोह में उपस्थित हुए थे। वह देश के पहले […]
मोदी युग में गांधी-नेहरू का उतरता जुआ
राष्ट्रदेव की आराधना के लिए मां भारती का सच्चा सेवक कोई ‘मोदी’ ही हो सकता है। राष्ट्र आराधना और ‘मां भारती’ की सेवा के समक्ष अन्य सब बातों को गौण समझ लेना ही जीवन ध्येय की सार्थकता है। इस कत्र्तव्य बोध से भर जाना और फिर भरे ही रहना जीवन की बहुत बड़ी साधना है। […]
हिंदू महासभा का अपना गौरवमयी अतीत है। 10 अप्रैल 1875 ई. में आर्यसमाज की स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज के द्वारा मुंबई में की गयी थी। उसके पश्चात हिंदू सभा पंजाब (1882 ई.) का जन्म हुआ। 1909ई. में बंगाल हिंदू सभा की स्थापना की गयी थी। इससे पूर्व 1906 ई. में ढाका में मुस्लिम […]
सरकार व्यक्ति और व्यवस्था
किसी संस्कृत के कवि ने कितना सुंदर कहा है :- यन्मनसा ध्यायति तद्वाचा वदति,यद्वाचा वदति तत्कर्मणा करोति,यद्कर्मणा करोति तदभि सम्पद्यते। अर्थात मनुष्य जैसा विचारता है-ध्यान करता है, वैसा ही बोलता है, जैसा बोलता है-वैसा ही कर्म करता है और जैसा कर्म करता है वैसा फलोपभोग करता है।इसका अभिप्राय है कि संसार के सारे व्यवहार-व्यापार का […]
गाय के लिए मैराथन दौड़
भारत में धर्म राजनीति की नकेल रहा है, और राजनीति धर्म की स्थापना का अर्थात मानवता को सर्वोपरि मनवाने का सशक्त माध्यम रही है। धर्म को जिन लोगों ने सम्प्रदाय या रिलीजन माना उन्होंने धर्म और राजनीति के खूनी संबंधों को मानवता के विरूद्घ मानकर धर्म और राजनीति को अलग-अलग करने का प्रयास किया। परंतु सत्य […]
हम उस देश के वासी हैं…
भारत के गौरव पर प्रकाश डालते हुए मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया: व्हाट कैन इज टीच अस’ में लिखा है-‘‘यदि मैं विश्वभर में से उस देश को ढूंढने के लिए चारों दिशाओं में आंखें उठाकर देखूं जिस पर प्रकृति देवी ने अपना संपूर्ण वैभव, पराक्रम तथा सौंदर्य खुले हाथों लुटाकर उसे पृथ्वी का स्वर्ग बना […]
उठो! स्वाभिमानी भारत के निर्माण के लिए
पाकिस्तान ने अपने जन्म के पहले दिन से ही भारत के लिए समस्याएं खड़ी करने का रास्ता अपनाया। पराजित मानसिकता के इतिहास बोध से ग्रसित भारत के शासक वर्ग ने पाकिस्तान द्वारा देश में और देश के बाहर बोयी गयी समस्याओं के काटने पर तो ध्यान दिया, पर कभी इन समस्याओं के जनक को ललकारने […]
समय की पुकार यही है
मौलाना अबूल कलाम आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण नेता रहे। वह नेहरू, गांधी और पटेल की तिक्कड़ी में से नेहरू के अधिक निकट थे, गांधीजी को पसंद करते थे, और पटेल को समझने का प्रयास करते थे। उन्होंने भारत के स्वाधीनता संग्राम को लेकर एक पुस्तक लिखी, जिसका नाम था-‘आजादी की […]
यू.एन. में कश्मीरी मुद्दों का सच
1947 ई. के जम्मू-कश्मीर राज्य की सीमाओं का निर्माण उससे सही सौ वर्ष पूर्व हुआ था, जब अमृतसर की संधि के अंतर्गत अंग्रेजों ने जम्मू-लद्दाख के शासक महाराजा गुलाब सिंह को कश्मीर घाटी को अपने राज्य में मिला लेने की सहमति दे दी थी। आज के पाक अधिकृत कश्मीर और भारतीय कश्मीर को मिलाकर देखने […]