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भारतीय संस्कृति

पंचगव्य और हमारा स्वास्थ्य

राकेश कुमार आर्यपंचगव्य हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है। कैंसर जैसे भयंकर रोग को पंचगव्य का नियमित सेवन करने से रोकने में पूर्ण सफलता मिलती है। जबकि कैंसर के रोगी को तुलसी के 30-40 पत्तों को चटनी की भांति पीसकर गोदधि के मट्ठे में मिलाकर प्रात: सायं सेवन कराने से लाभ होता है। रोगी […]

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भारत में बरगद का महत्व

बरगदभारत डिस्कवरी प्रस्तुतिबरगदजगत                     पादपसंघ                       मैग्नोलियोफाइटावर्ग                       मैग्नोलियोप्सिडागण                       रोसेल्सकुल           […]

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माता क्यों कही जाती है-गाय?

राकेश कुमार आर्यगाय को हमारे यहां माता का सम्मान जनक स्थान प्राप्त है। इसका कारण केवल ये है कि गाय का पंचगव्य हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी है। चिकित्सा शास्त्रों में जहां-जहां भी दूध, घी, दही, छाछ बात कही गयी है, वहीं-वहीं उसका अर्थ गोदुग्ध, गोघृत, गोदधि और गऊ छाछ से लिया जाना […]

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बिखरे मोती-भाग 2७

ओउम् नाम की नाव से, तरे अनेकों संत आधी बीती नींद में,कुछ रोग भोग में जाए।पुण्य किया नही हरि भजा,सारी बीती जाए ।। 415।। धर्म कर्म का उपार्जन,खोले सुखों के द्वार।इनमें मत प्रमाद कर,काल खड़यो है त्यार ।। 416।। रसों में रस है ब्रह्मï रस,रोज सवायो होय।जितना हो रसपान कर,सारे दुखड़ा खोय ।। 417।। पग-पग पर […]

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गाय का दूध और हमारा स्वास्थ्य

राकेश कुमार आर्यगाय का दूध मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अमृत माना गया है। आजकल तनाव का रोग बहुत मिलता है, इसका प्रभाव हमारी स्मरण शक्ति पर भी पड़ता है। तनाव के कारण अथवा चिड़चिड़ाहट मानसिक दुर्बलता, शारीरिक थकान, कार्य की अधिकता, मस्तिष्क में अपेक्षा से अधिक कार्यों को समेटकर रखने की हमारी प्रवृत्ति के […]

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गोमूत्र और हमारा स्वास्थ्य

भारत में गोमूत्र को औषधीय रूप में लेने की परंपरा बहुत प्राचीन है। हमारी चिकित्सा प्रणाली और आयुर्वेद एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली की भांति रोग से लड़ता नही है, अपितु रोग को मिटाता है। इसलिए जैसे शोक के समूल नाश के लिए योग की खोज की गयी वैसे ही हमारे ऋषि पूर्वजों ने रोग के समूल […]

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कैसे करें गायत्री साधना-2

वेद प्रकाश शास्त्रीगायत्री-महत्व-इस संसार में कीट, पतंग, सरीसृप, पशु, पक्षी, मनुष्य आदि अनेक प्राणी है परंतु इनमें मानव योनि से श्रेष्ठ अन्य कोई नहीं-नहि मानुषात श्रेष्ठतरं हि किञ्चित् ।।महाभा. शा. 180। 12क्योंकि मनुष्य योनि कर्म और भोग दोनों के लिए ही है। जबकि मनुष्येतर सारी योनियां भोग योनियां हैं। मनुष्य शुभ कर्मों के द्वारा अपने […]

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अखण्ड भारत के स्वप्न-द्रष्टा:सावरकर जी

प्रकाशवीर शास्त्री वीर सावरकर उन दूरदर्शी राजनीतिज्ञों में थे जो समय से पहले ही समय के प्रवाह को अच्छी तरह समझ जाते हैं। जब भारत विभाजन की चर्चा चल रही थी तो भारत विभाजन के बाद क्या क्या परिस्थितियां इस देश को देखनी होंगी, सावरकर जी को इसका अनुमान बहुत पहले था और इसीलिए स्थान […]

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खगोलीय पिंड और हमारा जीवन-2

सुरेन्द्र प्रसाद राय गतांक से आगे…. इस तरह प्रात: होते ही यह वातावरण में विद्यमान रात्रि के प्रदूषण एवं विषाणुओं को नष्ट कर  वातावरण को शुद्घ करता है। यही कारण है कि मकान का मुख्य द्वार पूरब की ओर रखना अच्छा माना जाता है ताकि प्रात: होते ही पर्याप्त मात्रा में पराबैंगनी विकिरण घर में […]

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चाणक्य से पाकिस्तान ने सीखा और हमने पृथ्वीराज से

मुकेश चंद्र मिश्र हजारों साल पहले भारत माता को एक करने के लिये आचार्य चाणक्य ने साम दाम दंड भेद के जो तरीके अपनाये थे वही तरीका आज हमारा पडोसी देश पाकिस्तान हमारे देश को बर्बाद करने के लिये अपनाये हुये है जिसमे उसका साथ दुनिया के ज्यादातर मुस्लिम और लगभग सारे इस्लामी मुल्क दे […]

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