ओ३म् ========= हमारा यह संसार ईश्वर, जीव तथा प्रकृति, इन तीन सत्ताओं व पदार्थों से युक्त है। अनन्त आकाश का भी अस्तित्व है परन्तु यह कभी किसी विकार को प्राप्त न होने वाला तथा किसी प्रकार की क्रिया न करने वाला व इसमें क्रिया होकर कोई नया पदार्थ बनने वाला पदार्थ है। ईश्वर, जीव तथा […]
श्रेणी: आज का चिंतन
ओ३म् ============ संसार में स्थूल व सूक्ष्म दो प्रकार के पदार्थ होते हैं। स्थूल पदार्थों को सरलता से देखा जा सकता है। इसी से उनका प्रत्यक्ष भी हो जाता है। किसी पदार्थ का ज्ञान उसके गुणों को समग्रता से जानने पर होता है। सूक्ष्म पदार्थों नेत्रों से तो दिखाई नहीं देते परन्तु वह अपने लक्षणों […]
ओ३म् ============== मनुष्य चेतन एवं अल्पज्ञ सत्ता है। इसका शरीर जड़ पंच-भौतिक पदार्थों से परमात्मा द्वारा बनाया व प्रदान किया हुआ है। परमात्मा को ही मनुष्य शरीर व उसके सभी अवयव बनाने का ज्ञान है। उसी के विधान व नियमों के अन्तर्गत मनुष्य का जन्म होता तथा मनुष्य के शरीर में वृद्धि व ह्रास का […]
ओ३म् ========== हम मनुष्य कहलाते हैं। हमारी पहचान दो पैर वाले पशु के रूप में होती है। परमात्मा ने पशुओं को चार पैर वाला बनाया है। उन पशुओं से हम भिन्न प्राणी हैं। हमारे पास दो पैरों पर आसानी से खड़ा होने की सामर्थ्य होती है। हम दो पैरों से चल सकते हैं। हम अपने […]
एक बार एक महात्मा ने अपने शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल से प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बडे़ आलू साथ लेकर आयें, उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिये जिनसे वे ईर्ष्या, द्वेष आदि करते हैं । जो व्यक्ति जितने व्यक्तियों से घृणा करता हो, […]
◘ स्व. राम स्वरूप —————————————————- “ईसाईयत और इस्लाम, सिद्धान्त और व्यवहार, दोनों में ही इस [सर्वधर्म-समभाव की] दृष्टि का तिरस्कार करते है। ये धर्म केवल यही नहीं मानते कि ये अन्य धर्मों से भिन्न है, ये यह भी आग्रह करते है कि ये श्रेष्ठतर है। अपने-अपने जन्मकाल से ही इन धर्मों का यह विश्वास रहा […]
आचार्य करणसिह नोएडा सप्तास्यासन्परिधयस्त्रि:सप्त समिधः कृता:।देवायद्यज्ञं तन्वाना अवध्नन् पुरूष पशुम्।।यजु• ३१\१५।। यज्ञेनयज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।ते ह नाकं महिमानः सचन्तअत्र पूर्वे साध्या सन्ति देवा।।१६ इस यज्ञ की सात परिधिया या लपेटे हैं, 21 इसकी सुविधाएं हैं। इस चीज को विस्तृत करते हुए विद्वान लोग जानने योग परमात्मा को अपने हृदय में बांधते व स्थिर करते […]
*विशेष कार्य करने की इच्छा वालों को तेज चलना चाहिए, तभी वे विशेष कार्य कर पाएंगे, अन्यथा नहीं।* *जो लोग संसार में कुछ विशेष कार्य करना चाहते हैं, वे लोग पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण तीव्र गति से चलते हैं।* अधिकतर लोग कोई विशेष कार्य नहीं करते। सामान्य रूप से पढ़ना लिखना खाना-पीना और […]
ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। धर्म के विषय में तरह तरह की बातें की जाती हैं परन्तु धर्म सत्याचरण वा सत्य कर्तव्यों के धारण व पालन का नाम है। यह विचार व सिद्धान्त हमें वेदाध्ययन करने पर प्राप्त होते हंै। महाराज मनु ने कहा है कि धर्म की जिज्ञासा होने पर उनका वेदों से जो […]
ओ३म् ========== हमारा यह जन्म मनुष्य योनि मे हुआ था और हम अपनी जीवन यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं। हमें पता है कि कालान्तर में हमारी मृत्यु होगी। ऐसा इसलिये कि सृष्टि के आरम्भ से आज तक सृष्टि में यह नियम चल रहा है कि जिसका जन्म होता है उसकी मृत्यु अवश्य ही होती […]