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आज का चिंतन

आइए जाने पुनर्जन्म के बारे में

पुनर्जन्म -सहदेव समर्पित 1 सृष्टि के जड़ पदार्थों में भी पुनर्जन्म है। यथा- पानी गर्म होकर भाप बन जाता है। वह ऊपर जाकर बादल के रूप में बरसता हुआ पुनः पृथ्वी पर आ जाता है। अधिक शीतलता पाकर वही बर्फ का रूप ले लेता है। अर्थात् सृष्टि के आरम्भ से अब तक पानी की एक […]

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मनुष्य की चहुँमुखी उन्नति का आधार विद्या की निवृत्ति और विद्या की वृद्धि

ओ३म् =========== मनुष्य के जीवन के दो यथार्थ हैं पहला कि उसका जन्म हुआ है और दूसरा कि उसकी मृत्यु अवश्य होगी। मनुष्य को जन्म कौन देता है? इसका सरल उत्तर यह है कि माता-पिता मनुष्य को जन्म देते हैं। यह उत्तर सत्य है परन्तु अपूर्ण भी है। माता-पिता तभी जन्म देते हैं जबकि ईश्वर […]

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ईश्वर के मुख्य नाम ओ३म की चर्चा

“ईश्वर का मुख्य नाम ओ३म् है। इसका प्रमुख अर्थ है सर्वरक्षक। ईश्वर सब की रक्षा करता है। परंतु उसकी रक्षा को सब लोग अनुभव नहीं कर पाते।” जीवन में बहुत से लोग सही मार्ग पर चलते हैं। और बहुत से भटक भी जाते हैं। धर्म को छोड़कर अधर्म मार्ग पर चल पड़ते हैं। इसमें बहुत […]

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वेद में नारी का स्थान

वेद नारी को अत्यंत महत्वपूर्ण, गरिमामय, उच्च स्थान प्रदान करते हैं। वेदों में स्त्रियों की शिक्षा-दीक्षा, शीलगुण, कर्तव्य, अधिकार एवं सामाजिक भूमिका का जो सुंदर वर्णन पाया जाता है वैसा संसार के अन्य धर्म ग्रंथ में नहीं है। वेद उन्हें घर की साम्राज्ञी कहते हैं। देश के शासक, पृथ्वी की साम्राज्ञी बनने की बात कहते […]

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आज का चिंतन धर्म-अध्यात्म

ऋषि दयानंद वेद ज्ञान द्वारा सब मनुष्यों को परमात्मा से मिलाना चाहते थे

ओ३म् ========== महाभारत के बाद ऋषि दयानन्द ने भारत ही नहीं अपितु विश्व के इतिहास में वह कार्य किया है जो संसार में अन्य किसी महापुरुष ने नहीं किया। अन्य महापुरुषों ने कौन सा कार्य नहीं किया जो ऋषि ने किया? इसका उत्तर है कि ऋषि दयानन्द ने अपने कठोर तप व पुरुषार्थ से सृष्टि […]

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क्या हम संसार में केवल पैसा कमाने के लिए ही आए हैं : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

  “आपको पूरे जीवन के लिए कितना धन चाहिए, इसका निर्णय तो आप ही करेंगे। अवश्य कीजिए। परंतु कुछ निर्णय कीजिए तो सही!” एक सज्जन 60 वर्ष की आयु में सेवा से निवृत्त हुए मतलब रिटायर हुए। बहुत प्रसन्नता भरे वातावरण में उनको ऑफिस की ओर से सब लोगों ने भावभीनी विदाई और बहुत शुभकामनाएं […]

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बिखरे मोती : चिंतन होय पवित्र, तो हो व्यवहार पुनीत

  चिन्तन होय पवित्र तो, हो व्यवहार पुनीत। ऐसा वो ही कर सके, जाकी प्रभु से प्रीत॥1470॥ व्याख्या:- वस्तुत:मनुष्य का चित्त यदि मनोविकारों अथवा दुर्गुणों और दुरितों से भरा है, तो उसका आचार-विचार अथवा व्यवहार भी आसुरी प्रवृत्तियों को परिलक्षित करता है।ऐसे व्यक्ति को समाज में सभी लोग हेय-भाव से देखते हैं और यदि व्यक्ति […]

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जीवन में सुख दुख दोनों ही आते रहते हैं, दोनों का सामना करने के लिए करनी चाहिए तैयारी : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

“जीवन में सुख और दुख दोनों आते हैं। दोनों का सामना करने के लिए तैयार रहें।” प्रत्येक व्यक्ति चाहता है, कि “मेरे जीवन में केवल सुख ही आए, दुख कभी न आए।” ऐसी इच्छा करना अथवा ऐसा सोचना, तो प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों के विरुद्ध होने से ठीक नहीं है। “ऐसा कोई व्यक्ति संसार में आज […]

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ओम का जाप सबसे उत्तम है

🌷ओ३म् का जाप सर्वश्रेष्ठ🌷 ओ३म् का जाप स्मरण शक्ति को तीव्र करता है,इसलिए वेदाध्ययन में मन्त्रों के आदि तथा अन्त में ओ३म् शब्द का प्रयोग किया जाता है। मनुस्मृति में आया है कि ब्रह्मचारी को मन्त्रों के आदि तथा अन्त में ओ३म् शब्द का उच्चारण करना चाहिए। क्योंकि आदि में ओ३म् शब्द का उच्चारण न […]

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मत करो परवाह इस बात की कि ‘लोग क्या कहेंगे’ : विवेकानंद परिव्राजक

“लोग क्या कहेंगे” इस बात की व्यक्ति इतनी चिंता करता है, कि वह सही काम को सही समझते हुए भी नहीं कर पाता। और गलत काम को गलत समझते हुए भी नहीं छोड़ पाता। हर व्यक्ति सोचने विचार करने में स्वतंत्र है। योजनाएं बनाने और आचरण करने में स्वतंत्र है। वह अपनी इच्छा और बुद्धि […]

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