डॉ.चन्द्रकुमार जैन हम अपने मन में चल रहे अविवेकपूर्ण व अतार्किक विचारों से परेशान रहते हैं जिसका हमारे दैनिक जीवन और कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।ये विचार सफल व्यक्ति को असफल व्यक्ति से अलग करते हैं। ये विचार सभी क्लेशों और युद्दों की जड़ हैं क्योंकि अचेतन एवं अतार्किक विचारधारा ही सभी युद्धों को […]
श्रेणी: आज का चिंतन
डॉ.चन्द्रकुमार जैन पानी का अपना कोई आकार नहीं होता। उसे जिस पात्र में भी डालते हैं, वह उसी का आकार ले लेता है। इसी तरह चित्त का भी अपना कोई आकार नहीं होता। उसको जिस ख्याल में आप रखेंगे, उसी के मुताबिक हो जाएगा। चिंतन का अर्थ होता है, मन का किसी एक विचार में […]
लेखक- महात्मा नारायण स्वामी प्रस्तोता- दीपक हाडा, प्रियांशु सेठ संसार के अधिकतर मनुष्य आध्यात्मिकता को अच्छा समझते हैं, परन्तु बहुत थोड़े मनुष्य ऐसे मिलेंगे जो शब्द को अच्छा मानने के साथ इनका प्रायोजन भी समझते हैं। मानव का बाह्य भाग शरीर है तथा भीतरी भाग आत्मा, अत: आध्यात्मिकता शब्द ही (जो आत्मा से सम्बन्धित है) […]
अखंड ज्योति यज्ञ का सूक्ष्म विज्ञान किसी भी अणु, परमाणु और विराट के रहस्यों से कम आश्चर्यजनक नहीं है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में यद्यपि दवा की टिकिया देकर रोग निदान का प्रतिशत सर्वाधिक है, तथापि रक्त में सीधी औषधि पहुँचाने की इंजेक्शन प्रणाली को ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है। यह एक विलक्षण सत्य है कि […]
अशोक आर्य रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व […]
◼️प्रार्थना◼️ 🔥 ओ३म् अग्निना रयिमश्नवत्पोषमेव दिवे दिवे। यशसं वीरवत्तमम्॥ (ऋग्वेद) 🌺 परमात्मा की प्रार्थना से हम [रयि] धन, शक्ति प्राप्त करें, जो पोषक हो, यश कारक हो, वीरता प्रापक हो। मनुष्य अनेक वस्तुएँ चाहता है, उनके सब का मूल धन तथा शक्ति में है। यदि मनुष्य बुद्धिबल, मनोबल तथा शारीरिक शक्ति सम्पन्न है तब वह […]
तमिल कवि वल्लुवर की स्त्री का नाम वासुकी था। वह बड़ी ही पतिव्रता थी। विवाह के दिन वल्लुवर ने खाना परोसते समय उससे कहा-“मेरे खाते समय नित्य एक कटोरे में पानी तथा एक सुई रख दिया करो।” वासुकी ने जीवन पर्यन्त पति की इस आज्ञा का पालन किया। जीवन के अंतिम क्षणों में जब वल्लुवर […]
ओ३म् हमारे इस संसार में जन्म लेने से पूर्व से ही यह संसार इसी प्रकार व्यवस्थित रुप से चल रहा है। हमसे पूर्व हमारे माता-पिता, उससे पूर्व उनके माता-पिता और यही परम्परा सृष्टि के आरम्भ से चली आ रही है। इस परम्परा का आरम्भ कब व कैसे हुआ? इसका उत्तर है कि यह परम्परा इस […]
ओ३म् ========= यह निर्विवाद है कि मूल वेद संहितायें ही संसार में सबसे पुरानी पुस्तकें हैं। वेद शब्द का अर्थ ज्ञान होता है। अतः चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद ज्ञान की पुस्तकें हैं। इन चारों वेदों पर ऋषि दयानन्द का आंशिक और अनेक आर्य वैदिक विद्वानों का सभी वेदों पर भाष्य वा टीकायें […]
🔥 ओ३म् भूपेश आर्य प्राचीन काल में हमने देखा कि जितने भी धर्म का पालन करनेवाले राजा हुए, उनका राज्य काफी समय तक चला और सुदृढ़ता युक्त चला। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, योगीराज श्रीकृष्णजी, महाराज दशरथ, महाराज अश्वपति, राजा विक्रमादित्य, महाराज युधिष्ठिर आदि अनेक धार्मिक राजाओं ने अपने राज्य को धर्म की मर्यादा में रहकर चलाया […]