भारत की राष्ट्रीय चेतना को आर्ष ग्रंथों ने बहुत अधिक प्रभावित किया है । बहुत दीर्घकाल तक भारतीय संस्कृति की प्रेरणा के स्रोत बने इन ग्रंथों ने भारत के राष्ट्रीय मानस को ,राष्ट्रीय चेतना को , राष्ट्रीय परिवेश को और राष्ट्रीय इतिहास को इतना अधिक प्रभावित किया है कि इनके बिना भारतीयता के उद्बोधक इन […]
Category: आज का चिंतन
रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसने न केवल भारत वासियों को बल्कि संसार के अन्य देशों के निवासियों को भी एक सुव्यवस्थित जीवन जीने के लिए प्रेरित किया है । इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सहित अन्य अनेकों पात्रों की ऐसी गंभीर मर्यादानुकूल भूमिकाएं हैं कि उन्हें यदि आज का समाज स्वीकार कर ले तो संसार […]
गार्गी ने चाहे जितने भी प्रश्न ऋषि याज्ञवल्क्य से पूछे , उन सबके पूछने के पीछे कारण यही था कि वह याज्ञवल्क्य ऋषि की सर्वोत्कृष्टता और सर्वश्रेष्ठता को सिद्ध कर देना चाहती थी । वह नहीं चाहती थी कि ऋषि याज्ञवल्क्य के बारे में कल को कोई यह कहे कि वह गायों के सींगों के […]
भारतीय इतिहास में ऐसी अनेकों महान नारियां हुई हैं जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता , ज्ञान – विज्ञान में निष्णात होने और प्रत्येक क्षेत्र में पुरुष की बराबरी कर अपने धर्म का पालन किया। प्राचीन काल में गर्गवंश में वचक्नु नामक महर्षि थे, जिनकी पुत्री का नाम वाचकन्वी गार्गी था। बृहदारण्यक उपनिषद् में इनका ऋषि याज्ञवल्क्य के […]
महाभारत काल में भी नारियों की स्थिति बहुत सम्मान पूर्ण थी । यद्यपि इसी काल में द्रोपदी के चीर हरण होने से कुछ लोगों ने इस प्रकार की भ्रांति फैलाने का कार्य किया है कि महाभारत काल में सामाजिक पतन बहुत अधिक हो चुका था और लोग नारी को जुए में रखने या उसका चीरहरण […]
ओ३म् ========== परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान दिया था। इस ज्ञान को देने का उद्देश्य अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न व उसके बाद जन्म लेने वाले मनुष्यों की भाषा एवं ज्ञान की आवश्यकता को पूरा करना था। सृष्टि के आरम्भ से लेकर महाभारत काल पर्यन्त भारत वा आर्यावत्र्त सहित विश्व भर की […]
ओ३म् =========== परमात्मा ने सृष्टि में अनेक प्राणियों को बनाया है जिनमें एक मनुष्य भी है। मनुष्य योनि में मनुष्य के दो भेद स्त्री व पुरुष होते हैं। मनुष्य अल्पज्ञ होता है। इसका अर्थ है कि मनुष्य में जो चेतन अनादि व नित्य जीव है वह अल्प ज्ञान वाला है। उसको पूरा-पूरा ज्ञान नहीं है। […]
भारत में धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा कांग्रेसियों और कम्युनिस्टों ने कुछ इस प्रकार की गढ़ी है कि भारत विरोध और हिंदू विरोध का नाम ही धर्मनिरपेक्षता है। इस पर हामिद दलवाई ने ” मुस्लिम पॉलिटिक्स इन सेकुलर इंडिया ” – नामक अपनी पुस्तक के पृष्ठ 47 पर बड़े पते की बात लिखी है ।इसको समझने की […]
ओ३म् ========== हम इस ब्रह्माण्ड के पृथिवी नामी ग्रह पर रहते हैं। इस ब्रह्माण्ड को सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, अनादि, नित्य तथा सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने बनाया है और वही इसका संचालन वा पालन कर रहा है। ईश्वर के समान व उससे बड़ी उस जैसी कोई सत्ता नहीं है। उसका अपना स्वभाव है। वह दयालु, न्यायकारी, […]
महात्मा ज्योतिबा फुले भारतीय इतिहास के एक ऐसे महान नक्षत्र हैं , जिनकी ज्योति से संपूर्ण भारतीय समाज प्रकाशमान हो रहा है । इनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। महात्मा ज्योतिबा फुले जी की माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविन्दराव था। वह माली परिवार से थे और क्योंकि […]