पूर्ण समर्पण का क्या महत्त्व है? असमं क्षत्रमसमामनीषाप्रसोमपाअपसासन्तुनेमे। ये त इन्द्रददुषो वर्धयन्तिमहि क्षत्रं स्थविरंवृष्ण्यंच।। ऋग्वेदमन्त्र 1.54.8 (असमम्) असमानान्तर (क्षत्रम्) शक्ति, बल (असमा) असमानान्तर (मनीषा) बुद्धि (प्र – सन्तु से पूर्व लगाकर) (सेमपा) शुभ गुणों का संरक्षक (अपसा) गतिविधियों के साथ (कल्याण की) (सन्तु – प्र सन्तु) अत्यधिक बड़े हुए (नेमे) ये (ये) वे (ते) आपके […]
श्रेणी: आज का चिंतन
_* सफलता की इमारत बहुत समय पहले की बात है, एक विख्यात ऋषि गुरुकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। उनके गुरुकुल में साधारण परिवार के लड़को से लेकर बड़े-बड़े राजा महाराजाओं के पुत्र भी पढ़ा करते थे। वर्षों से शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और […]
प्रियांशु सेठ [एक मित्र ने शंका रखी है कि क्या इन्द्रिय-संयम अर्थात् ब्रह्मचर्य का पालन जीवन में अनिवार्य है? इस लेख के द्वारा इस शंका का समाधान किया जा रहा है।] वेदादि सत्य शास्त्रों ने मोक्ष-मार्ग के पथिक के लिए ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य बताया है। एक साधक के लिए इन्द्रिय-संयम उसी प्रकार आवश्यक है, […]
एक बार एक राजा अपने सहचरों के साथ शिकार खेलने जंगल में गए। वहाँ शिकार खलते-खेलते एक दूसरे से बिछड़ गये। राजा कहीं ओर, सिपाही दूसरी ओर। एक दूसरे को खोजते हुये राजा एक नेत्रहीन संत की कुटिया में पहुँचे। राजा ने उन्हें प्रणाम कहा और अपने बिछड़े हुये साथियों के बारे में पूछा। नेत्र […]
Dr DK Garg बचपन में महाशय मामचंद भजनीक एक भजन सुनाया करते थे अखिल विश्व कल्याणकारी,वेद सभा घर घर हो, ओम पताका फैराए जो, आर्य समाज अमर हों मुझे पिताजी अपने साथ पारायण यज्ञ में ले जाया करते थे और गुरुकुल के ब्रह्मचारियों का वेद पाठ मुझे प्रभावित करता था,इसी आलोक में मैं पीछे 18 […]
बरेली प्रवास के समय पादरी स्कॉट एवं स्वामी दयानंद के मध्य क्या ईश्वर पाप क्षमा करते है? विषय पर शास्त्रार्थ हुआ। स्वामी जी ने अपने तर्कों से पापों का क्षमा होना गलत सिद्ध कर दिया। इस स्कॉट महोदय ने स्वामी दयानंद से प्रश्न किया की अगर ईश्वर पाप क्षमा नहीं करता हैं तो उसकी स्तुति-प्रार्थना […]
लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ महर्षि दयानन्द अध्यात्म जगत के गूढ रहस्य को उद्घाटित करने वाले अध्यात्म मार्ग के प्रशास्ता दार्शनिक योगी ही नहीं थे केवल वह आदिभूत जगत के विज्ञान के सिद्धांतों के मर्मज्ञ ज्ञाता भी थे। महर्षि दयानंद का विज्ञान बोध भी उच्च कोटि का था। जिसकी झलकियां हमें उनके अमर ग्रंथ सत्यार्थ […]
देवयज्ञ का अर्थ है अग्निहोत्र और विद्वानों का संग एवं सेवा आदि | अग्निहोत्र का समय सूर्योदय के पश्चात् सूर्यास्त के पूर्व है | अग्निहोत्र के लिए निम्न उपकरणों की आवश्यकता है- १. एक धातु अथवा मिट्टी की चौकोर वेदी इस प्रकार बनवा लें कि ऊपर जितनी चौड़ी हो उतनी ही गहरी हो, परन्तु नीचे […]
Dr DK Garg भाग 2 , रुद्राक्ष एक फल है –अंत में रुद्राक्ष के विषय में भी समझ ले : रुद्राक्ष अपनी दिव्यता के साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद में रुद्राक्ष को महाऔषधि की संज्ञा दी गई है। इसके विभिन्न औषधीय गुणों के कारण रोगोपचार हेतु इसका उपयोग आदिकाल से ही होता […]
Dr D K Garg , भाग 1, पौराणिक मान्यता : रुद्राभिषेक भगवान रुद्र का अभिषेक करना है . रुद्राभिषेक में शिवलिंग को स्नान कराकर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है. सावन के महीने में रुद्र ही सृष्टि का कार्य संभालते हैं, इसलिए इस समय रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी होता है. शिव ही रूद्र हैं और रुद्र […]