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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मौहम्मद बिन तुगलक की ‘दोआब कर वृद्घि’ के विरूद्घ जनता का स्वतंत्रता संघर्ष

प्रगतिशील लेखक संघ की पहली बैठक (10 अप्रैल 1936 ई.) को संबोधित करते हुए मुंशी प्रेमचंद ने कहा था :- ‘‘हमारी कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा, जिसमें उच्च चिंतन हो, स्वाधीनता का भाव हो, सौंदर्य का सार हो। सृजन की आत्मा को जीवन की सच्चाईयों का प्रकाश हो, जो सबमें गति, संघर्ष और बेचैनी […]

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