Categories
संपादकीय

भाजपा, नैतिकता और गोविन्दाचार्य

भाजपा जब अस्तित्व में आयी थी तो इसने ‘पार्टी विद डिफरेंस’ का नारा दिया था। उसका अभिप्राय लोगों ने यह लगाया था कि यह पार्टी अन्य पार्टियों की राह को न पकडक़र राजनीति में अपना रास्ता अपने आप बनाएगी और वह रास्ता ऐसा होगा जो अन्य पार्टियों के लिए और इस देश की भविष्य की […]

Categories
संपादकीय

भाजपा, नैतिकता और गोविन्दाचार्य

भाजपा जब अस्तित्व में आयी थी तो इसने ‘पार्टी विद डिफरेंस’ का नारा दिया था। उसका अभिप्राय लोगों ने यह लगाया था कि यह पार्टी अन्य पार्टियों की राह को न पकडक़र राजनीति में अपना रास्ता अपने आप बनाएगी और वह रास्ता ऐसा होगा जो अन्य पार्टियों के लिए और इस देश की भविष्य की […]

Categories
राजनीति

राजनीति में कहां बची है नैतिकता?

शिवकुमार गोयल वास्तव में आज भारत का गणतंत्र दल-दल में धंसता दिखाई देता है। स्वाधीनता के बाद भारत यदि सबसे अधिक किसी क्षेत्र में संकट ग्रस्त है तो वह है नैतिक मूल्यों का संकट। अपने महान आध्यात्मिक व नैतिक मूल्यों, उच्चादर्शों जैसे सदगुणों के कारण जगतगुरू के रूप में विख्यात रहा भारत आज तेजी से […]

Exit mobile version