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विविधा

देश में कैदियों के लिए कैसा है कानून?

केपी सिंह उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में व्यवस्था दी है कि उन विचाराधीन आरोपियों को तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए जिन्होंने अपने ऊपर लगे अभियोग की संभावित अधिकतम सजा का आधा समय बतौर आरोपी जेल में व्यतीत कर लिया है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि जिला न्यायिक सेवा प्राधिकरण से […]

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संपादकीय

हम उस देश के वासी हैं…

भारत के गौरव पर प्रकाश डालते हुए मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया: व्हाट कैन इज टीच अस’ में लिखा है-‘‘यदि मैं विश्वभर में से उस देश को ढूंढने के लिए चारों दिशाओं में आंखें उठाकर देखूं जिस पर प्रकृति देवी ने अपना संपूर्ण वैभव, पराक्रम तथा सौंदर्य खुले हाथों लुटाकर उसे पृथ्वी का स्वर्ग बना […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

देश के लिए खतरा हैं ये गूंगे-बहरे बुद्धिजीवी

– डॉ. दीपक आचार्य9413306077 समाज और देश की  बुनियाद तभी तक मजबूत रह पाती है जब तक कि समझदार लोग सही और गलत के बारे में समाज का सटीक और स्पष्ट मार्गदर्शन करते रहें। यह काम बुद्धिजीवियों का है जो कि समाज-जीवन के कई क्षेत्रों में अपना दखल रखते हैं। जो मिट्टी और हवा इन्हें पालती-पोसती […]

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राजनीति

देश की राजनीति ले रही है करवट

महाभारत के शांतिपर्व में भीष्म पितामह युधिष्ठर को राजधर्म का उपदेश देते हुए बताते हैं-‘‘जो बुद्घिमान, त्यागी, शत्रुओं के छिद्रों (दोषों) को जानने में तत्पर, देखने में सुंदर, सभी वर्णों के न्याय और अन्याय को समझने वाला, शीघ्र कार्य करने में समर्थ, क्रोधविजयी, आश्रितों पर कृपालु, महामनस्वी,  कोमल स्वभाव युक्त, उद्योगी, कर्मठ, और आत्मप्रशंसा से […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

गुर्जर प्रतीहारों ने रखा था 300 वर्ष तक देश सुरक्षित

सम्मान, संपत्ति, सत्ता और शक्ति के लिए विश्व के पिछले दो हजार वर्ष के युद्घ हुए हैं। इन युद्घों को लड़ते-लड़ते एक धारणा रूढ़ हो गयी, या स्थापित कर दी गयी कि जर, जोरू और जमीन के लिए तो सभी लड़ते हैं। जबकि ऐसा कहना समस्या का समाधान नही है, अपितु समस्या को और भी […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

जब देश पुकारे

भारत के नौजवान, ऐ गांधी सुभाष की संतान,जब देश पुकारे जगना है, हिम्मत कर आगे बढऩा है। 1. भ्रष्टाचार का जब बोल बाला हो, सत जन का मुंह काला हो।नेताओं में मंत्रिपद की सौदेबाजी हो, दलालों का बोलबाला हो।।यश-अपयश की बात नही, देश धर्म की बात नही।अपनी कुर्सी अपना पेट नेताओं की बात यही।।भारत को […]

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भारतीय संस्कृति

वीर बालक वीर हकीकत को देश ने क्‍यों भुला दिया

भारत मां के गगनांचल रूपी आंचल में ऐसे-ऐसे नक्षत्र उद्दीप्‍त हुये है जो न केवल भारत भूमि को बल्कि संपूर्ण विश्‍व भू मण्‍डल को अपने प्रकाश पुंजों से आलोकित किया है।

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राजनीति

स्वयं को छलती, देश को ठगती कांग्रेस

दिनेश परमारभारतीय राजनीति में जिस प्रकार की विकृति व विसंगति वर्तमान समय में उभर रही है वह ठिक तो कदापि नहीं, अव्यवहारिक व देश के लिए घातक भी है। राष्ट्रीय राजनीति के मुद्दों से लेकर पंचायत स्तर के चुनावों तक में उम्मीदवारों द्वारा कितनी बेतुकी व बेसिर-पैर की बयानबाजी की जाती है निकट समय के […]

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