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प्रमुख समाचार/संपादकीय

देश के धर्म-स्थलों पर हादसों में बदलते धार्मिक मेले

प्रमोद भार्गवदेश के धर्म स्थलों पर लगने वाले मेले अचानक टूट पडऩे वाली भगदड़ से बड़े हादसों का शिकार हो रहे हैं। नतीजतन श्रृद्धालु पुण्य लाभ कमाने के फेर में आकस्मिक मौतों की गिरफ्त में आ रहे हैं। इस क्रम में नया हादसा आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में पुष्करालू उत्सव में स्नान के दौरान घटा। […]

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राजनीति

हमारे देश की गरीबी की तस्वीर जुमलों से नहीं बदलेगी

विश्वनाथ सचदेव सोशल मीडिया पर आजकल प्रधानमंत्री के नाम लिखा एक पत्र काफी चर्चित है। पत्र-लेखक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा है, आप कृपया सारी योजनाएं बंद कर दीजिए, सिर्फ संसद भवन जैसी कैंटीन हर दस किलोमीटर पर खुलवा दीजिए और नाम रख दीजिए ‘मोदी ढाबा’। सारे लफड़े खत्म। 29 रुपये में भरपेट खाना […]

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अन्य

बिना संविधान के मरता हुआ देश पाकिस्तान

हरिहर शर्मा पाकिस्तानी रेंजरों ने पांच सीमा चौकियों और जम्मू जिले में भलवाल, भार्थ, मलबेला, कानाचक और सिदेरवन आदि असैनिक गांवों पर मोर्टार तोपों से भारी गोलीबारी की, जिसमें दो बीएसएफ जवानों (अंजनी कुमार और वाई पी तिवारी) सहित छह लोग जख्मी हो गए। एक दिन पहले भी हुई इसी प्रकार हुई संघर्ष विराम उल्लंघन […]

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अन्य कविता

भारतवर्ष एक न्यारा देश

भारतवर्ष है देश हमारा, कर रहा विश्व प्रकाशित हमारा।हिमगिरि जहॉ का श्ीाश मुकुट है, जंगल सारे हरे विकट है।।शेर चीता अरू दुर्लभ प्राणी, जंगल में करते मनमानी।नही यहॉ उन्हे कोई डर है, भारत न्यारा देश अमर है।। गंगा जैसी नदियॉ बहती, बनो निडर यह सब को कहती।भारत की है न्यारी शान, झंडा तिरंगा इसकी आन।।शेर, […]

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महत्वपूर्ण लेख

हमारा देश लालची लोगों का देश है

आकार पटेल यह और बात है कि हम खुद को सबसे अधिक देशभक्त होने का दावा करते हैं तथा ‘ऐ मेरे प्यारे वतन’ जैसे गीत या राष्ट्रगान सुन कर हमारी आंखों में आंसू आ जाते हैं, लेकिन हमारी देशभक्ति के दिखावे की यही हद है। कुछ ही महीने पहले, मैंने बंगलुरू में अपने घर के […]

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भारतीय संस्कृति

मन, बुद्धि और आत्मा सम्बन्धी शिक्षा देश के राज्य से असम्बद्ध होना ही राष्ट्र के लिये श्रेयस्कर

-अशोक “प्रवृद्ध” मानव शरीर में एक अंग है मन। यह स्मृत्ति यन्त्र होने के साथ ही कल्पना और मनन का भी स्थान है। ये कल्पना और मनन मन की स्मरण शक्ति के ही कारण हैं। ईश्वर प्रदत्त मन पर नियन्त्रण रखने वाला एक यन्त्र बुद्धि मन के संकल्प-विकल्प को नियन्त्रण में रखने का कार्य करती […]

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महत्वपूर्ण लेख

तानाशाही नेतृत्व के खतरे और देश की अस्मिता

रामचंद्र गुहा नवंबर 1969 में जब इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का विभाजन किया, तब उनके एक प्रतिद्वंद्वी ने उन्हें चेतावनी दी थी कि उन्हें इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। ये थे एस. निजलिंगप्पा। अविभाजित कांग्रेस पार्टी के आखिरी अध्यक्ष। निजलिंगप्पा ने कहा था कि 20वीं सदी का इतिहास ऐसे त्रासद उदाहरणों से […]

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संपादकीय

देश को आवश्यकता है आपातकाल की

बुढ़ापे में यादों की जुगालियां आदमी को तड़पाती भी हैं और कभी-कभी इसे बेचैन कर देती हैं कि वह यादों के बिस्तर पर उछल पड़ता है। देश का प्रधानमंत्री बनने की प्रतीक्षा में जीवन बिता देने वाले भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की मानसिकता इस समय समझी जा सकती है। उन्होंने देश में इस समय आपातकाल […]

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विशेष संपादकीय

देश में राम मंदिर निर्माण की अनुमति देता है हमारा संविधान

राम जन्मभूमि का प्रकरण  माननीय सर्वोच्च न्यायालय लंबित है। इसलिए हम   माननीय न्यायालय की कार्यशैली पर कोई टिप्पणी न करते हुए या इस प्रकरण के समाधान में न्यायिक प्रक्रिया पर कोई प्रश्न न उठाते हुए इस लेख में केवल इतना स्पष्ट करना चाहेंगे,  देश के राजनीतिज्ञों की इच्छाशक्ति और समस्याओं के समाधान के प्रति उनकी […]

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विशेष संपादकीय

‘राहुल गांधी : ‘मौज करन’ नही, ‘चलो चलिए देश नूं युद्घ करन’

बात 1912 की है। भारत का एक नवयुवक सैन्फ्रासिस्को पहुंचा। सैन्फ्रासिस्को में उन दिनों बाहर से आने वाले लोगों पर रोक-टोक होने लगी थी। इसलिए इमीग्रेशन अधिकारी ने उस भारतीय युवक से पूछा-‘‘तुम यहां क्यों आये हो?’’युवक ने कहा-‘‘मैं पढऩे के लिए आया हूं।’’अधिकारी ने पुन: पूछा-‘‘क्या भारतवर्ष में पढऩे की सुविधा नही है?’’युवक ने […]

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