“संसार के लोग जितनी मात्रा में सुख चाहते हैं, उतना वह मिलता नहीं। बहुत थोड़ा मिलता है, और शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।” “दुख भोगना बिल्कुल नहीं चाहते, फिर भी बहुत सारा दुख भोगना पड़ता है।” संसार के लोगों को इसका कारण समझ में नहीं आ रहा। इसका कारण है, कि “मनुष्य कहीं न […]