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मुद्दा समाज

पाखंड और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली मृत्यु भोज प्रथा बंद हो

प्राय देखने में आता है कि समाज में सभी जातियों में मृत्यु भोज का चलन आज भी प्रचलित है l इस प्रथा का उद्देश्य वर्तमान में पुरानी पद्धति पर ही आधारित है जो आज के वर्तमान परिपेक्ष में तर्कसंगत नहीं है और ना ही व्यवहारिक l मेरे विचार में यह फिजूलखर्ची है तथा महंगाई के […]

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इतिहास के पन्नों से

संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार

1 अप्रैल/जन्म-दिवस   विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आज कौन नहीं जानता ? भारत के कोने-कोने में इसकी शाखाएँ हैं। विश्व में जिस देश में भी हिन्दू रहते हैं, वहाँ किसी न किसी रूप में संघ का काम है। संघ के निर्माता डा. केशवराव हेडगेवार का जन्म एक अपै्रल, 1889 […]

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इतिहास के पन्नों से

महर्षि दयानंद और युगांतर

  -श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (हिन्दी के महाकवि) [कवि स्वभाव से ही बागी होता है। काव्य-कला के नियम भी उस पर बन्दिश न लगा पाते हैं। बगावत अगर सत्य की स्वीकृति हो तो कविता का ही दूसरा नाम बन जाती है। भला बगावत के बगैर कविता का चरित्र ही क्या है? कवि के भावों की […]

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पर्व – त्यौहार

नवसशयेष्टि क्या क्यों कैसे ?

होली – होली आजकल असभ्यता का त्योहार माना जाने लगा है। ऐसा इस कारण हुआ, क्योंकि इसका रूप विकृत हो गया है, अन्यथा यह भी चार प्रमुख त्योहारों में से एक है। अन्य तीन त्योहार हैं- रक्षाबन्धन, विजयदशमी एवं दीपावली। वास्तव में होली आरोग्य, सौहार्द एवं उल्लास का उत्सव है। यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा […]

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