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बिखरे मोती

बिखरे मोती-भाग 233

गुरू तो बादल की तरह है, शहद की मक्खी की तरह है। जैसे-शहद की मक्खी न जाने कितने प्रकार के असंख्य पुष्पों के गर्भ से शहद के महीन कणों को अपनी सूंडी से चूसकर शहद के छत्ते में डाल देती है, उसे शहद से सराबोर कर देती है, ऐसे बादल भी न जाने कितने पोखरों, तालाबों, […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती-भाग 232

गतांक से आगे…. गुरू व्यक्ति नहीं, एक दिव्य शक्ति है :- नर-नारायण है गुरू, देानों ही उसके रूप। संसारी क्रिया करै, किन्तु दिव्य स्वरूप ।। 1168 ।। व्याख्या :-”गुरू व्यक्ति नहीं, एक दिव्य शक्ति है।” वे बेशक इंसानी चोले में खाता-पीता उठता बैठता, सोता-जागता, रोता-हंसता तथा अन्य सांसारिक क्रियाएं करता हुआ दिखाई देता है, किंतु […]

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