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राजनीति

देश चले भगवान भरोसे

नेताओं का जोर है ऐसा। आरोपों का शोर है ऐसा।।कोई नेता लेता झप्पी। और कोई लेता है पप्पी।।पप्पी-झप्पी सब हैं लेते। पर दूजे के सर मढ़ देते।।अकल गयी सबकी बौराई। नेतागीरी ऐसी भाई।।अपना काम अगर है बनता। भाड़ में जाए देश व जनता।।राजनीति का खेल यही है। बिन मतलब के मेल नही है।।छल बल धन […]

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राजनीति

चिदंबरम ने कहा: सुषमा की मांगें मंजूर नहीं

वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की रखी मांगों को अमर्यादित और अव्यावहारिक बताया है। श्री चिदंबरम ने कहा है कि सरकार विपक्ष की सभी मांगों को मानने के लिए बाध्य नही है और कोयला ब्लॉक आवंटन में अंतर मंत्रालयी पैनल की रिपोर्ट के आने पर की कार्यवाही होगी। उन्होंने […]

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भारतीय संस्कृति

द्रोपदी ने दुर्योधन से नही कहा था-अंधे का अंधा

राकेश कुमार आर्ययुधिष्ठर की सहधर्मिणी महारानी द्रोपदी पर एक आरोप यह भी है कि उन्होंने महाराज युधिष्ठर के राजसूय यज्ञ के अवसर पर दुर्योधन से अंधे का अंधा उस समय कह दिया था जब वह पाण्डवों के नवनिर्मित राजभवन में दिग्भ्रमित होकर सूखे स्थान को गीला और गीले स्थान को सूखा समझकर चल रहा था। […]

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बिखरे मोती

सावधान: मन में छिपे हैं भयंकर तूफान

मनुष्य का व्यक्तित्व बड़ा ही जटिल और गहन है। उसका आर-पार पाना बहुत ही कठिन है। मनुष्य के इस इंसानी चोले में साधु और शैतान दोनों ही छिपे हैं। वह ऊंचा उठे तो इतना ऊंचा उठे कि देवताओं को भी पीछे छोड़ दे और यदि गिरने पर आए तो वह पशुओं से भी नीचे गिर […]

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विशेष संपादकीय

कसाब की फांसी और सरकार की नीतियां

भारत की एकता और अखण्डता को मिटाने के लिए तथा यहां की आंतरिक शांति में विघ्न डालने की नीयत से 26 नवंबर 2008 को पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत की आर्थिक राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित मुंबई पर आतंकी हमला कराया था। इस हमले में पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद अजमल कसाब और कुछ अन्य सहयोगियों का […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

संसद के जाम से होता है कितना नुकसान सत्तापक्ष और विपक्ष कोई नही है सावधान

देश की संसद के मानसून सत्र को कोयला की कालिमा लील गयी है। हमने इस सत्र में भी वही पुराना शोर-शराबा, नारेबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखा। किसी सकारात्मक सोच के साथ परस्पर सौहार्दपूर्ण सामंजस्य स्थापित करके एक सकारात्मक निर्णय पर पहुंचने की पहल पक्ष-विपक्ष में से किसी ने भी नही की है। पीआरएस लैजिस्लेटिव […]

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विशेष संपादकीय

आदमी को मार रहा है आदमी

मैं इलाहाबाद से लौट रहा था। टे्रन में मेरे साथ एक सज्जन पड़ोस की सीट पर बैठे थे। वह रिटायर्ड सरकारी अधिकारी थे, मेरी उनसे बातें होने लगीं। बातों का सिलसिला बढ़ा और देश की ज्वलंत समस्या भ्रष्टाचार पर केन्द्रित हो गया। वो सज्जन ऊपरी तौर पर भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए देश में चल […]

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