-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य अल्पज्ञ प्राणी होता है। इसका कारण जीवात्मा का एकदेशी, ससीम, अणु परिमाण, इच्छा व द्वेष आदि से युक्त होना होता है। मनुष्य सर्वज्ञ व सर्वज्ञान युक्त कभी नहीं बन सकता। सर्वज्ञता से युक्त संसार में एक ही सत्ता है और वह है सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सच्चिदानन्दस्वरूप परमात्मा। परमात्मा ही सृष्टि में […]
लेखक: मनमोहन कुमार आर्य
=========== हम कौन हैं? इस प्रश्न पर जब हम विचार करते हैं तो इसका उत्तर हमें वेद एवं वैदिक साहित्य में ही मिलता है जो ज्ञान से पूर्ण, तर्क एवं युक्तिसंगत तथा सत्य है। उत्तर है कि हम मनुष्य शरीर में एक जीवात्मा के रूप में विद्यमान हैं। हमारा शरीर हमारी आत्मा का साधन है। […]
मनुष्य कोई भी काम करता है तो वह उसमें प्रायः अपनी हानि व लाभ को अवश्य देखता है। यदि किसी काम में उसे लाभ नहीं दिखता तो वह उसे करना उचित नहीं समझता। ईश्वर की उपासना भी इस कारण से ही नहीं की जाती कि लोगों को ईश्वर का सत्यस्वरूप व उपासना से होने वाले […]
========= परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये सृष्टि को उत्पन्न कर इसे धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। ये […]
=========== वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून का पांच दिवसीय शरदुत्सव दिनांक 8 अक्टूबर 2023 को सोल्लास सम्पन्न हुआ। शरदुत्सव में सम्मिलित प्रमुख विद्वान स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, साध्वी प्रज्ञा जी, आचार्या डा. प्रियवंदा वेदभारती, पं. सूरतराम शर्मा जी, श्री विजय गोयल जी, श्री अनुज शास्त्री जी, स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती, आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी, डा. धनन्जय आर्य […]
========= परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये सृष्टि को उत्पन्न कर इसे धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। ये […]
========= परमात्मा ने मनुष्य एवं इतर आत्माओं के लिये सृष्टि को उत्पन्न कर इसे धारण किया है। परमात्मा में ही यह सारा ब्रह्माण्ड विद्यमान है। आश्चर्य होता है कि असंख्य व अनन्त लोक-लोकान्तर परमात्मा के निमयों का पालन करते हुए सृष्टि उत्पत्ति काल 1.96 अरब वर्षों से अपने अपने पथ पर चल रहे हैं। ये […]
=========== देश और समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि सभी मनुष्यों की बुद्धि व शरीर के बल का पूर्ण विकास कर उन्हें शुद्ध ज्ञान व शक्ति सम्पन्न मनुष्य बनाया जाये। ऐसे व्यक्ति ही देश व समाज के लिये उत्तम, चरित्रवान, देशभक्त तथा परोपकार की भावना से युक्त होते हैं व देश व समाज के […]
=========== महर्षि दयानन्द जी ने संस्कार विधि की रचना की है। इस ग्रन्थ में 16 संस्कारों को करने का विधान है। महर्षि ने लिखा है कि मनुष्यों के शरीर और आत्मा के उत्तम होने के लिए निषेक अर्थात् गर्भाधान से लेके श्मशानान्त अर्थात् अन्त्येष्टि-मृत्यु के पश्चात् मृतक शरीर का विधिपूर्वक दाह करने पर्यन्त 16 संस्कार […]
========== हमें मनुष्य जीवन जन्म-जन्मान्तरों में दुःखों से सर्वथा मुक्त होने के लिए एक अनुपम साधन के रूप में मिला है। यह हमें परमात्मा द्वारा प्रदान किया गया है। माता-पिता, सृष्टि तथा समाज हमारे जन्म, इसके पालन व उन्नति में सहायक बनते हैं। हमें अपने जीवन के कारण व उद्देश्यों पर विचार करना चाहिये। इस […]