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धर्म-अध्यात्म

संसार की श्रेष्ठतम रचना यह सृष्टि ईश्वर से प्रकाशित हुई है

ओ३म् =========== प्रत्येक रचना एक रचयिता की बनाई हुई कृति होती है। हमारी यह विशाल सृष्टि किस रचयिता की कृति है, इस पर विचार करना आवश्यक एवं उचित है। सृष्टि की रचना व उत्पत्ति आदि विषयों का अध्ययन करने पर यह अपौरुषेय रचना सिद्ध होती है। अपौरुषेय रचनायें वह होती हैं जिनको मनुष्य नहीं बना […]

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धर्म-अध्यात्म

वेदादि ग्रंथों के अध्ययन से मनुष्य अंधविश्वासों और दुष्कर्म से बचता है

ओ३म ========== वेद अपौरुषेय रचना है। सृष्टि क आरम्भ में परमात्मा ने ही अपने अन्तर्यामीस्वरूप से चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य एवं अंगिरा को उनकी आत्माओं में वेदों का ज्ञान कराया वा दिया था। प्राचीन काल से अद्यावधि-पर्यन्त सभी ऋषि वेदों की परीक्षा कर इस तथ्य को स्वीकार करते आये हैं कि वेद वस्तुतः ईश्वर […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्य को प्रतिदिन ईश्वर के उपकारों को स्मरण करना चाहिए

ओ३म् ============ हमें यह ज्ञात होना चाहिये कि ईश्वर क्या व कैसा है? उसके गुण, कर्म व स्वभाव क्या व कैसे हैं? इसका ज्ञान करने का सरलतम तरीका सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का अध्ययन है। हमारी दृष्टि में संसार में सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ के समान दूसरा महत्वपूर्ण ग्रन्थ नहीं है। इसके अध्ययन से मनुष्य की सभी शंकायें व […]

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धर्म-अध्यात्म

अग्निहोत्र यज्ञ से आत्मा शुद्ध होकर यज्ञकर्ता को ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है

ओ३म् =============== वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य जो शुभ व अशुभ कर्म करता है, उसका फल उसे परमात्मा से अवश्य मिलता है। शुभ व पुण्य कर्मों का फल सुख तथा अशुभ व पाप कर्मों का फल दुःख होता है। हम पुस्तकें पढ़ते हैं तो इसका फल पुस्तक में वर्णित विषय का ज्ञान होना होता […]

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आज का चिंतन

जीवन में संयम , सीमित आवश्यकता एवं शक्ति संचय आवश्यक है

ओ३म् ========== संसार में सभी जीवन पद्धतियों में वैदिक धर्म एवं तदनुकूल जीवन पद्धति श्रेष्ठ व महत्वूपर्ण है। इसे जानकर और इसके अनुसार जीवन व्यतीत करने पर मनुष्य अनेक प्रकार की समस्याओं से बच जाता है। मनुष्य को अपनी शारीरिक शक्तियों के विकास वा उन्नति पर ध्यान देना चाहिये। इसके लिये उसे समय पर जागना, […]

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धर्म-अध्यात्म

वेदों से दूरी के कारण संसार में अविद्या और दुखों की वृद्धि हुई

ओ३म् ============= संसार मे हम अविद्या व दुःखों को देखते हैं। इसका कारण है मनुष्यों की वेदज्ञान से दूरी। वेदों से दूरी वेदों का अध्ययन छोड़ देने के कारण हुई। प्राचीन काल में मनुष्यों के लिये जो नियम बनाये गये थे उनमें वेदों का स्वाध्याय करना अनिवार्य होता था। शास्त्रीय वचन है कि हम नित्य […]

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धर्म-अध्यात्म

समस्त संसार में ईश्वर एक सत्य चेतन एवं आनंद स्वरूप सत्ता है

ओ३म् ========== हमारा यह संसार अनादि काल से बना हुआ है जिसे इसके कर्ता ‘सृष्टिकर्ता’ अर्थात् सर्वशक्तिमान ईश्वर ने बनाया है। संसार का यह स्वाभाविक नियम है कि कोई भी पदार्थ कर्ता के द्वारा ही बनाया जाता है। कर्ता द्वारा ही किसी पदार्थ का स्वरूप परिवर्तन भी किया जाता है जिसे भी निर्माण की संज्ञा […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

आर्य समाज सत्य के प्रचार और असत्य को छुड़ाने का एक सार्वभौमिक आंदोलन है

ओ३म् =========== आर्यसमाज विश्व का ऐसा एक अपूर्व संगठन है जो किसी मनुष्य व महापुरुष द्वारा प्रचारित मत का प्रचार नहीं करता अपितु सृष्टि में विद्यमान सत्य की खोज कर सत्य का स्वयं ग्रहण करता व उसके प्रचार द्वारा विश्व के सभी मनुष्यों से उसे अपनाने, ग्रहण व धारण करने का आग्रह करता है। ऋषि […]

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आज का चिंतन

वेद ज्ञान और वेदानुकूल आचरण से ही मनुष्य धार्मिक बनता है

ओ३म् ========== धार्मिक मनुष्य के विषय में समाज में अविद्या पर आधारित अनेक आस्थायें व असद्-विश्वास प्रचलित हैं। इन पर विचार करते हैं तो इसमें सत्यता की कमी अनुभव होती है। सच्चा धार्मिक मनुष्य कौन होता है? इसका उत्तर यह मिलता है कि सच्चा धार्मिक वही मनुष्य हो सकता है जिसको वेदज्ञान उपलब्ध वा प्राप्त […]

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आज का चिंतन

वेदाध्ययन और ईश्वर की उपासना से क्या प्राप्त होता है ?

ओ३म् ========= मनुष्य के जीवन वेदाध्ययन का क्या महत्व है? उसे वेदाध्ययन क्यों करना चाहिये? मनुष्य जीवन में यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिस पर सबको विचार करके सार्थक व लाभप्रद निष्कर्ष निकाल कर उसे अपने जीवन में धारण कर लाभ उठाना चाहिये। वेदों का महत्व अन्य सभी सांसारिक ग्रन्थों से सर्वाधिक है। इसका कारण […]

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