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इतिहास के पन्नों से

…….तो क्या इतिहास मिट जाने दें, अध्याय 2 , दतिया और श्रीनगर के बारे में

आजकल के दतिया( मध्य प्रदेश) को कभी अधिराज के नाम से जाना जाता था। विकिपीडिया के अनुसार ‘दतिया नगर को 16 वीं सदी में बुन्देलखण्ड के प्रतापी बुन्देला राजा वीर सिंह जू देव ने बसाया था। ग्वालियर के निकट उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित दतिया मध्य प्रदेश का लोकप्रिय तीर्थस्थल है। पहले यह मध्यप्रेदश राज्य में देशी रियासत थी पर […]

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समाज

…..तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 1 ख अतीत के उजालों को प्रस्तुत करना होगा

पंथनिरपेक्षता की अवधारणा में किसी भी दृष्टिकोण से अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का तब उल्लंघन नहीं होता जब देश अपने गौरवपूर्ण अतीत को उद्घाटित और प्रस्तुत करने के लिए इतिहास को दोबारा लिखने का परिश्रम करना चाहता हो या उन ऐतिहासिक स्थलों के नामों को फिर से बदलने की कवायद करने की इच्छा रखता हो, […]

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संपादकीय

मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम पर न्यायालय का निर्णय

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में चल रहे मदरसा अधिनियम को निरस्त कर अपना ऐतिहासिक निर्णय देते हुए संविधान के पंथनिरपेक्ष स्वरुप की रक्षा करने का सराहनीय और उत्तम प्रयास किया है। न्यायालय ने अपने इस ऐतिहासिक निर्णय में ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004’ को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के प्रति उल्लंघनकारी […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

……तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 1 इतिहास का विकृतिकरण और सर्वोच्च न्यायालय

अभी हमारे सर्वोच्च न्यायालय की ओर से एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय आया है। जिस पर समाचार पत्रों में जितनी चर्चा होनी चाहिए थी, उतनी हो नहीं पाई है। इससे पता चलता है कि हम घटनाओं के प्रति कितने उदासीन और तटस्थ हो गए हैं ? माना कि सर्वोच्च न्यायालय पर हम बहुत अधिक टीका टिप्पणी […]

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पुस्तक समीक्षा

लेखकीय निवेदन, भाग -2 महापुरुषों का स्मरण देता है संजीवनी

इससे पता चलता है कि स्वामी श्रद्धानंद जी जैसे महानायक ने राव लूणकरण भाटी की परंपरा को मरने नहीं दिया ,बल्कि उसको गहराई से समझ और पढ़कर उसका अनुकरण कर सैकड़ों वर्ष पश्चात भी हिंदुओं की शुद्धि के महान कार्य को आगे बढ़ाने का प्रशंसनीय और राष्ट्रवंद्य कार्य किया। ऐसे में हमको इस भाव और […]

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पुस्तक समीक्षा

मेरी नई पुस्तक ……… तो क्या इतिहास मिट जाने दें ?

लेखकीय निवेदन मंदिरों में रखी जाने वाली मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा करने की भारत की पौराणिक परंपरा कितनी वैज्ञानिक है और कितनी अवैज्ञानिक है ?- इस पर हमें कोई चर्चा नहीं करनी है। पर आज हम इतना अवश्य कहना चाहते हैं कि हिंदू समाज की राष्ट्र और धर्म के प्रति बढ़ती जा रही निष्क्रियता और […]

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आर्थिकी/व्यापार

चुनावी बांड और भारत में चुनाव सुधार की अनिवार्यता

इस समय इलेक्ट्रोल बॉन्ड को लेकर देश की राजनीति गरमा गई है। जिन राजनीतिक दलों को चंदा वसूली की इस प्रक्रिया से कोई लाभ नहीं हुआ है, वे उन राजनीतिक दलों पर आक्रामक दिखाई दे रहे हैं जिन्हें इस प्रकार की प्रक्रिया से पर्याप्त लाभ मिला है। आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी कांग्रेस को इस समय […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत की स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने, भाग 3

बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर, तमिलनाडु भारत के इतिहास में चोल राजाओं का विशेष और महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने भारतीय संस्कृति को दूर-दूर तक फैलाने का बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया है। भारतीय संस्कृति के प्रति अपने लगाव का प्रदर्शन करते हुए 1002 ईस्वी में राजाराज चोल द्वारा तमिलनाडु के तंजावुर स्थित प्रदेश और मंदिर को बनवाया […]

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भारतीय संस्कृति

भारत की स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने, भाग 2

बिहार स्थित महाबोधि मंदिर भारतवर्ष वास्तव में सर्व संप्रदाय समभाव का देश रहा है। वैचारिक मतभेदों के उपरांत भी मानवता और धर्म के नाम पर हम सब एक रहे हैं । हमने कभी भी किसी की व्यक्तिगत पूजा पद्धति को अपने संबंधों के आड़े नहीं आने दिया। यही कारण रहा कि यहां पर विपरीत मत […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत की स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने, भाग 1

क़ुतुबमीनार : हिंदू स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना 1974 में ‘वराह मिहिर स्मृति ग्रंथ’ के संपादक श्री केदारनाथ प्रभाकर ने इस स्तम्भ के बारे में विशेष तथ्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस स्तम्भ का निर्माण मेरु पर्वत की आकृति के आधार पर किया गया है। जिस प्रकार मेरु पर्वत का स्वरूप ऊपर की […]

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