साम्यवाद की विचारधारा क्या भारतीय संस्कृति के अनुकूल है? या साम्यवाद का भारतीय संस्कृति, धर्म और इतिहास से भी कोई संबंध है? यदि इन जैसे प्रश्नों के उत्तर खोजे जाऐं तो ज्ञात होता है कि वास्तविक साम्यवाद भारतीय संस्कृति में ही है। संसार का कम्युनिस्ट समाज भारतीय साम्यवाद को समझ नहीं पाया है और ना […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है
कलाम के इस कलाम को सलाम
–राकेश कुमार आर्यनई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक अप्रतिम प्रतिभा के धनी और नितांत मानवतावादी विचारों के देशभक्त व्यक्ति हैं। सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री न बनने की सलाह उन्होंने बड़े ही विनम्र शब्दों में दी थी, ऐसी शालीनता उनमें है कि सोनिया को अपने द्वारा दी गयी सलाह की डींग उन्होंने न तो […]
जोशी बड़े हैं या भाजपा की भूलें
भाजपा का अन्तर्कलह अपने उफान पर है। पार्टी के दिग्गजों का अहंकार पार्टी में धीरे-धीरे एक फोड़ा बनता जा रहा है। नरेन्दमोदी और संजय जोशी की टकरार में यह फोड़ा पकता हुआ नजर आया। आडवाणी जैसे राजनीति के चतुर खिलाड़ी ने समझ लिया कि फोड़ा पक रहा है और इसकी मवाद में चीरा लगते ही […]
स्वतंत्रता के लम्बे और रोमांचकारी क्रांतिकारी आंदोलन के परिणामस्वरूप देश 15 अगस्त 1947 को पराधीनता की बेडिय़ों को काटकर स्वाधीन हुआ। लार्ड माउंटबेटन ने जापान की सेनाओं के ब्रिटिश सेनाओं के सामने 15 अगस्त 1945 को (हिरोशिमा और नागासाकी की प्राणघाती बमवर्षा के पश्चात) आत्मसमर्पण की स्मृति में, इस घटना की दूसरी वर्षगांठ 15 अगस्त […]
बाबा तुम संघर्ष करो-हम तुम्हारे साथ हैं
बाबा रामदेव ने 2011 की जून में हुए अपने अपमान को इस बार बड़े सही ढंग से धो डाला। देश विदेश की मीडिया ने उनके और अन्ना हजारे के एक दिन के सांकेतिक अनशन को अपना भरपूर समर्थन दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें समर्थन देकर अच्छा ही किया है। यह सच […]
कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर का एक लेख मैं पढ़ रहा था। जिसमें उन्होंने आरएसएस और अन्य हिंदूवादी संगठनों की इस चिंता को निरर्थक सिद्घ करने का प्रयास किया है कि भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उससे शीघ्र ही भारत में मुस्लिम राज्य स्थापित हो जाएगा। लेखक का मंतव्य है […]
देश की राजनीति के कुछ चिंतनीय पहलू
देश में संसदीय शासन प्रणाली उपयुक्त है या फिर राष्ट्रपति शासन प्रणाली उपयुक्त है-ऐसी बहस लंबे समय से चलती रही है। कहा जाता है कि श्रीमति इंदिरा गांधी ने अपनी दूसरी पारी के शासन काल में देश में राष्ट्रपति शासन प्रणाली को लागू करने का प्रयास किया था, लेकिन वह असफल रही थीं। क्योंकि उससे […]
भाजपा : नौटंकी अब बंद होनी चाहिए
भाजपा एक उम्मीद के साथ भारतीय राजनीतिक गगन मंडल पर उभरी। स्वतंत्रता के बाद से कांग्रेस के खिलाफ किसी भी सक्षम विपक्ष की जो कमी अनुभव की जा रही थी उसे भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर दूर किया। समकालीन इतिहास में भाजपा की यह सबसे बड़ी उपलब्धि थी। भाजपा ने एक ऐसे सर्व स्वीकृत चेहरे को […]
देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव होने में अब दो माह से भी कम का समय रह गया है। सभी राजनीति दल अपनी अपनी गोटियां फिट करने में चुपचाप भीतर ही भीतर शतरंजी चाल चल रहे हैं। जयललिता कुछ अन्य प्रभावी नेताओं को लेकर पूर्व लोकसभाध्यक्ष रहे पी.ए. संगमा को आगे बढ़ाना चाहती हैं, तो ममता […]
छद्म धर्म निरपेक्षता से लकवाग्रस्त कांग्रेस और उसके कुछ अन्य समान विचारधारा वाले दलों का मानना है कि राजनीति (वास्तव में राष्टï्रनीति) से भला भगवाधारी संतों का क्या संबंध? राजनीति को यदि हम राष्टï्रनीति के रूप में लें और राजनीति को भी व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म स्वीकार कर लिया जाए तो भी ऐसा संभव […]