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संपादकीय

तलाक : एक सामाजिक विकृति

खुलेपन और आधुनिकता के नाम पर भारत में नित्य प्रति कुछ ऐसी घटनायें घटित हो रही हैं कि जो भारतीयता के लिए ही नही अपितु वैश्विक समाज के लिए भी संकटप्रद सिद्घ होंगी। खुलेपन और आधुनिकता को मानवाधिकारों के साथ कुछ इस प्रकार जोड़कर दिखाने का प्रयास किया जाता है कि उनसे मानवाधिकारों का मानो […]

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संपादकीय

शराबी लोकतंत्र की खराबी का राज

पुरोहित कपिल दो सोने की मोहरें पाने के लिए राजा को आशीर्वाद देने गये। राजा ने कहा-”जितना चाहिए मांग लो।” कपिल के मन में लोभ आ गया। वे बोले-”राज सोचकर आता हूं।” कपिल सोचने लगे-दो सोने की मोहरों से क्या होगा? चार मांग लूं? अरे, जब राजा ही मनमानी इच्छा पूरी कर रहा है, तो […]

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संपादकीय

राष्ट्र भाषा हिंदी की दुर्दशा

आज हम स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं। हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी है, इस भाषा को बोलने वाले विश्व में सबसे अधिक लोग हैं। अंग्रेजी को ब्रिटेन के लगभग दो करोड़ लोग मातृ भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं, जबकि हिंदी को भारत वर्ष में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, मध्य […]

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संपादकीय

ममता का त्यागपत्र और राजनीति की नौटंकी

तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आखिरकार यूपीए को अलविदा कह ही दिया। उनके छह मंत्रियों ने सरकार से अपना त्यागपत्र दे दिया है और सत्तारूढ़ यूपीए से समर्थन वापसी का पत्र भी राष्ट्रपति को सौंप दिया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बहुब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की […]

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संपादकीय

राजनीतिक भ्रष्टाचार

आज राजनीति भ्रष्टाचार की जननी बन चुकी है। भारत के रक्षक ही भारत के भक्षक बन चुके हैं। शासक ही शोषक हो गया है। अंग्रेजों के जाने के पश्चात सत्ता परिवर्तन तो हुआ, किंतु व्यवस्था परिवर्तन नही हो पाया। फलस्वरूप नई बोतल में वही पुरानी शराब चल रही है। इससे पूर्व कि हम विषय पर […]

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संपादकीय

बेनी कितने गलत और कितने सही?

बेनी प्रसाद वर्मा इस समय हमारे केन्द्रीय इस्पात मंत्री हैं। उन्होंने कहा है कि वह बढ़ती हुई महंगाई से खुश हैं, क्योंकि इससे अंतत: किसान को लाभ होता है। उसके कृषि उत्पाद महंगे बिकते हैं और इस प्रकार किसान के घर में समृद्घि का वास होता है। बेनी की बानी पर विपक्षी दलों की पैनी-छैनी […]

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राहुल तू निर्णय कर इसका…

शिकारी ने अपना तीर छोड़ा और तीर ने एक पक्षी को घायल कर दिया। घायल पक्षी जीवन रक्षा के लिए सिद्घार्थ की ओर दौड़ा। सिद्घार्थ ने पक्षी को गोद में उठा लिया और उसकी वेदना के साथ अपनी संवेदना को मिला कर उसे प्यार से सहलाने लगे। पक्षी शांत होकर गहरी गहरी सांसें ले रहा […]

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संपादकीय

क्या है-महिला सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण की बात समाज में रह रहकर उठती रही है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ कुछ इस प्रकार लगाया जाता है कि जैसे महिलाओं को किसी वर्ग विशेषकर पुरूष वर्ग का सामना करने के लिए सुदृढ किया जा रहा है। भारतीय समाज में प्राचीनकाल से ही नारी को पुरूष के समान अधिकार प्रदान किये गये […]

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संपादकीय

बाबा का आवाहन : मेरी मां शेरों वाली है

अहिंसावादी समाज की स्थापना के लिए तथा समाज के शांतिप्रिय लोगों के अधिकारों की सुरक्षार्थ भारत सदा से ही शास्त्र के साथ शस्त्र का समन्वय स्थापित करके चलने वाला राष्ट्र रहा है। यह दुर्भाग्य रहा इस देश का कि इसे कायरों की सी अहिंसा वाला देश बना दिया गया। जिससे हम यह भूल गये कि अहिंसा […]

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संपादकीय

अच्छे बगीचे के निकम्मे माली हैं राहुल गांधी

राकेश कुमार आर्यकेन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने पिछले दिनों अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि कांग्रेस वैचारिक भटकाव का शिकार है। हम अब तक राहुल के विचारों की सिर्फ झलकियां ही देख सके हैं। वह इन विचारों को बड़ी घोषणाओं में तब्दील नहीं कर सके हैं।कानून मंत्री ने चाहे जिन परिस्थितियों में ये […]

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