विश्व में ईसाइयत और इस्लाम के मध्य उभरता अंतद्र्वन्द हमारा ध्यान इन जातियों के पतन की ओर दिलाता है। इतिहास ने ‘ओसामा बिन लादेन’ और ‘जार्ज डब्ल्यू बुश’ को पतन के मुखौटे के रूप में तैयार कर दिया है। इनके पश्चात इनके उत्तराधिकारी आते रहेंगे और पतन की दलदल में ये और भी धंसते चले […]
Author: डॉ॰ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है
विश्व में भारतवर्ष एक ऐसा देश है, जिसके धर्म, संस्कृति और इतिहास सर्वाधिक प्राचीन हैं। इस दृष्टिकोण से भारतवर्ष का धर्म वैश्विक धर्म है, भारत की संस्कृति वैश्विक संस्कृति है और भारत का इतिहास (यदि वास्तव में खोजकर तथ्यपूर्ण ढंग से लिखा जाए तो) विश्व का इतिहास है। विश्व के ऐतिहासिक नगरों, देशों की राजधानियां […]
हमारे इतिहास के बारे म ेंहैनरी बीवरिज का मत भारत का इतिहास जिन लोगों ने विकृत किया है उन्हीं शत्रु इतिहास लेखकों के मध्य कुछ लोगों ने उदारता का परिचय देते हुए सत्य का महिमामंडन करने में भी संकोच नही किया है। ”ए काम्प्रीहैंसिव हिस्ट्री ऑफ इंडिया” (खण्ड-1 पृष्ठ 18) के लेखक हैनरी बीवरिज लिखते […]
पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-63
स्वार्थभाव मिटे हमारा प्रेमपथ विस्तार हो गतांक से आगे…. स्वस्ति पन्थामनुचरेम् सूय्र्याचन्द्रमसाविव। पुनर्ददताअघ्नता जानता संगमेमहि।। (ऋ. 5/51/15) इस मंत्र में वेद कह रहा है कि जैसे सूर्य और चंद्रमा अपनी मर्यादा में रहते और मर्यादा पथ में ही भ्रमण करते हैं, कभी अपने मर्यादा पथ का उल्लंघन नही करते वैसे हमें भी अपने कल्याणकारी मार्ग […]
भारत का ‘अन्नदाता’ इस समय आत्महत्या कर रहा है। जैसे-जैसे यह घटनाएं बढ़ती हैं, वैसे-वैसे ही विपक्षी पार्टियां चिल्लाती हैं कि सरकार किसानों के लिए कुछ नहीं कर रही है, और यह सरकार किसान विरोधी है। विपक्ष की इस चिल्लाहट के बीच सरकारें किसानों के कर्ज माफ कर रही हैं। पर देखा जा रहा है […]
इस विषय में मुझे राष्ट कवि ‘श्री त्रिपाठी कैलाश आजाद’ (सांगली) महाराष्ट निवासी की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं, जो यहां इस विषय में बिल्कुल सत्य साबित होती हैं, यथा- एक दूसरे के लिए, रहें कृतज्ञ हम। प्रत्येक परिस्थिति में, रहें स्थितप्रज्ञ हम।। वेदों का सार ‘इदन्नमम्’ का भाव ले। सर्वोदय की भावना से, […]
पर्यावरण नियंत्रक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ’ में कार्यरत व्यक्तियों के लिए आवश्यक हो कि वे संस्कृत के जानने वाले तो हों ही, साथ यज्ञ विज्ञान की गहराइयों को भी सूक्ष्मता से जानते हों। कौन सी सामग्री किस मौसम में और किस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त करने में हमें सहायता दे सकती है-इस बात को ये लोग […]
महर्षि दयानंद ने कहा था- ”यदि अब भी यज्ञों का प्रचार-प्रसार हो जाए तो राष्ट्र और विश्व पुन: समृद्घिशाली व ऐश्वर्यों से पूरित हो जाएगा।” इस बात से लगता है कि भारत सरकार से पहले इसे विश्व ने समझ लिया है। देखिये-फ्रांसीसी वैज्ञानिक प्रो. टिलवट ने कहा है- ”जलती हुई खाण्ड के धुएं में पर्यावरण […]
निष्पक्ष लेखनी की आवश्यकता प्रो. गोल्डविन स्मिथ का कहना है-”प्रत्येक राष्ट्र अपना इतिहास स्वयं ही उत्तम रूप से लिख सकता है। वह अपनी भूमि, अपनी संस्थाओं अपनी घटनाओं के पारंपरिक महत्व और अपनी महान विभूतियों के संबंध में सबसे अधिक ज्ञान रखता है। प्रत्येक राष्ट्र का अपना विशिष्ट दृष्टिकोण होता है, अपनी पूर्व घटनाएं, अपना […]
पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-62
स्वार्थभाव मिटे हमारा प्रेमपथ विस्तार हो गतांक से आगे…. आज बुद्घ ने अप्रत्याशित बात कह दी, जो बुद्घ सबको गले लगाकर चलते थे। वह आज बोले-”नहीं, उसके लिए द्वार नहीं खोलने हैं क्योंकि वह अस्पृश्य है।” सिद्घांतप्रियता व्यक्ति को प्रेम साधना की ऊंचाई तक ले जाती है। उसे पता होता है कि सिद्घांतों की रक्षा […]