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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-50

कामनाएं पूर्ण होवें यज्ञ से नरनार की अब हम पुन: अपने मूल मंत्र अर्थात ओ३म् त्वं नो अग्ने….पर आते हैं। आगे यह वेद मंत्र कह रहा है कि विद्वानों और आदरणीयों में आप सर्वोत्तम हैं। इसलिए सर्वप्रथम पूजनीय भी आप ही हैं। आप गणेश हैं, प्रजा के स्वामी हैं, और न्यायकारी हैं इसलिए मेरी श्रद्घा […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

गांधीवाद की परिकल्पना – 2

उनकी दृष्टि में गोवध बंदी का कानून बनाना अन्याय था। यही उनकी धर्मनिरपेक्षता थी। जो मजहब जैसे चाहे नंगा खेले-यह उनकी सोच थी। इन नंगा खेल खेलने वालों को हिंदू को चुप रहकर सहना है। यह गांधीजी की विचारधारा थी। हिंदू मानवीय रहे, हिंदू का कानून मानवीय रहे, यह उनकी सोच का केन्द्र बिन्दु था। […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

गांधीवाद की परिकल्पना -4

राक्षसों का दमन अनिवार्य गांधीजी ने राजनीति के सुधार की बात तो की किंतु राक्षसों के दमन का कोई भी उपदेश अपने प्रिय शिष्य जवाहर को नहीं दिया। इसलिए गांधीजी का दृष्टिकोण और गांधीवाद दोनों ही भारत में उनकी मृत्यु के कुछ दशकों में ही पिट व मिट गये। जबकि ऋषि वशिष्ठ का श्रीराम को […]

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गांधीवाद की परिकल्पना – 3

कमीशन की राजनीति कमीशन के नाम पर जिन बड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं और उद्योग नीति का श्रीगणेश यहां पर किया गया उसकी परिणति यह हुई है कि कमीशन आधारित राजनीति का शिकंजा पूरे देश पर कसा जा चुका है। इसे राजनीतिक पार्टियां चंदे का नाम देती हैं। वास्तव में यह चंदा राजनीतिज्ञों की खरीद फरोख्त का […]

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गांधीवाद की परिकल्पना

‘भारत नेहरू-गांधी का देश हो गया है।’ तथा इसकी विचारधारा गांधीवादी हो गयी है। ये विशेषण है जो हमारे कर्णधारों ने विशेषत: स्वतंत्र भारत में उछाले हैं। वास्तव में सच ये है कि इन विशेषणों के माध्यम से देश को बहुत छला गया है। वाद क्या होता है? हमें कभी ये भी विचार करना चाहिए […]

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ऐतिहासिक भवनों एवं किलों की उपेक्षा-2

इस धर्मनिरपेक्षता की रक्षार्थ यदि इन्हें हमारी वीर राजपूत जाति की क्षत्राणियों के हजारों बलिदानों को भुलाना पड़े, उनके जौहर को विस्मृति के गड्ढे में डालना पड़े और उन्हें अधम कहना पड़े तो ये लोग ऐसा भी कर सकते हैं। यह अलाउद्दीन के उस प्रयास को जो उसने महारानी पदमिनी को बलात् अपने कब्जे में […]

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भारत में अल्पसंख्यकों की समस्या, भाग-2

ऐसी परिस्थितियों में अल्पसंख्यक लोगों की विशेष समस्या बनकर उभरी कि इनके जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए क्या उपाय किया जाए? सामान्यत: देखा गया है कि बाहरी देश नस्ल और संप्रदाय के लोगों को किसी दूसरे देश के निवासी अधिक सम्मान नहीं देते हैं। युगांडा जैसे कई अफ्रीकी देशों से एशियाई मूल के […]

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भारत में अल्पसंख्यकों की समस्या, भाग-2

ऐसी परिस्थितियों में अल्पसंख्यक लोगों की विशेष समस्या बनकर उभरी कि इनके जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए क्या उपाय किया जाए? सामान्यत: देखा गया है कि बाहरी देश नस्ल और संप्रदाय के लोगों को किसी दूसरे देश के निवासी अधिक सम्मान नहीं देते हैं। युगांडा जैसे कई अफ्रीकी देशों से एशियाई मूल के […]

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संपादकीय

नेहरू और लोकतंत्र पर दाग

बात पहले आमचुनावों की है। तब उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ मुस्लिम नेता मौलाना अबुल कलाम आजाद पार्टी के प्रत्याशी थे। मौलाना आजाद नेहरू के निकटतम मित्रों में से थे। नेहरू अपने मित्र को हृदय से चाहते थे। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पं. गोविन्द वल्लभ पंत थे। पंत एकसुलझे […]

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संपादकीय

हमारी संसद और हमारे सांसद

भारत की संसद हो चाहे राज्यों के विधानमण्डल हों सभी में  सांसदों या विधायकों की निरंतर अनुपस्थिति या बहुत कम संख्या में उपस्थिति चिंता का विषय बनी रही है। संसद और विधानमंडलों के प्रति हमारे जनप्रतिनिधियों की ऐसी उपेक्षा के कई कारण हैं। सर्वप्रथम तो हमारे जनप्रतिनिधि अब देश सेवा के लिए राजनीति में न […]

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