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भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति संपादकीय

निजी सुरक्षा के नाम पर अर्थशक्ति का अपव्यय, भाग-3

निजी सुरक्षा के नाम पर अर्थशक्ति का अपव्यय, भाग-4 सेना में मुस्लिमों को आरक्षण देश की सुरक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ करते हुए अब देश की सशस्त्र सेनाओं में मुस्लिमों को आरक्षण दिया जा रहा है। इसका परिणाम क्या होगा? भविष्य में पाकिस्तान से यदि भारत का युद्घ हुआ तो वही आशंका रहेगी कि जो राजा […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति संपादकीय

निजी सुरक्षा के नाम पर अर्थशक्ति का अपव्यय, भाग-3

हम यह मानते हैं कि शासक वर्ग के लिए सुरक्षा की आवश्यकता होती है। उसके उत्तरदायित्वों के अनुसार समाज में उसके शत्रु भी होते हैं। राजकीय कार्यों में विघ्न डालने वाले भी होते हैं, इसलिए शासन को उसकी सुरक्षा का पूर्ण दायित्व लेना अपेक्षित है। किंतु ऐसा कहना अद्र्घसत्य ही है-पूर्णसत्य नहीं। इस अद्र्घसत्य को […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

मोदी का ‘स्वच्छता अभियान’ और इजराइल

आज से लगभग सवा पांच हजार वर्ष पूर्व भारत में महाभारत हुआ था और यहीं से भारत ‘गारत’ होने लगा था। यही वह बिन्दु है जिसके पश्चात विश्व के अन्य देशों की उल्टी-सीधी सभ्यताओं ने सांस लेना आरंभ किया। यही कारण है कि विश्व के अधिकांश तथाकथित विद्वान इस विश्व की कहानी को मात्र पांच […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

निजी सुरक्षा के नाम पर अर्थशक्ति का अपव्यय, भाग-2

सुरक्षा बनाम विकासवाद एक दो हजार की जनसंख्या वाले गांव के लिए एक योजना में एक अस्पताल, एक प्राथमिक विद्यालय, एक पानी की टंकी, बिजली की व्यवस्था करने और अन्य विकास कार्य करने पर यदि एक करोड़ रूपया भी व्यय हो तो अकेले उत्तर प्रदेश में एक वर्ष के अंदर 200 गांवों का उद्घार तो […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

एक कन्या की रक्षार्थ हाड़ी रानी ने अपना और अपने सुहाग का बलिदान दिया

मुगलिया लेखकों की विश्वसनीयता औरंगजेब को भी भारतीय इतिहास में सम्मानपूर्ण स्थान देने वाले कुछ छद्म धर्मनिरपेक्षी इतिहासकारों ने उसके जीवन संबंधी मिथ्या तथ्यों, किस्से-कहानियों को भी पूर्णत: सत्य माना है। जबकि भारतीय राजा महाराजाओं के बहुत से सत्य वर्णनों को भी उनके चाटुकार दरबारी कवियों, लेखकों के अतिश्योक्तिपूर्ण कथानक कहकर उपेक्षित कर दिया है। […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-64

स्वार्थभाव मिटे हमारा प्रेमपथ विस्तार हो गतांक से आगे…. निस्संदेह यह प्रेम ही था जो आपको वहां ले गया जो संकीर्ण सीमाओं के बंधन से परे है। प्रेम के सामने प्रांत, देश, महाद्वीप, महासागर, संप्रदाय, भाषा, रंग-रूप, धन संपदा आदि सबके सब तुच्छ हैं। एक विद्वान लिखते हैं-”प्रेम सब प्रकार की संकीर्णताओं को भस्मसात कर […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

जब चीन को हराया था भारत ने

भारत के प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता संभालने के बाद से चीन के हृदय की धडक़नें कुछ अधिक ही बढ़ी हुई हैं। अब भारत ने अपनी सीमाओं की रक्षा करना सीख लिया है, बस यही कारण है जो कि चीन को फूटी आंख नहीं सुहा रहा है। अब चीन हमें 1962 के युद्ध जैसे परिणामों की […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति राजनीति संपादकीय

भारतीय राजनीति का घटिया स्तर

भारत के विश्व स्तर पर बढ़ते सम्मान को देखकर भारत के दो प्रकार के शत्रुओं के पेट में दर्द हो रहा है। इनमें से एक बाहरी शत्रु हैं तो दूसरे भीतरी शत्रु हैं। बाहरी शत्रुओं में सर्वप्रमुख पाकिस्तान और चीन हैं, जबकि भीतरी शत्रुओं में भारत के भीतर बैठे पाक-चीन समर्थक तो हैं ही साथ […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति राजनीति संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-11

पश्चिमी देशों ने भोग के रोग से मुक्ति पाने हेतु भारत के योग को अपनाना आरंभ कर दिया है-इस संकेत से हमें उत्साहित होना चाहिए। हमें मानना चाहिए कि हमारी ग्राहयता यदि कहीं बढ़ रही है, तो निश्चित रूप से कुछ ऐसा हमारे पास है जो उनकी दृष्टि में अनमोल है। हमारी दृष्टि में यह […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति राजनीति संपादकीय

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-10

पांच प्रतिशत बनाम पिचानवें प्रतिशत का अनुपात हुआ करता है। किंतु इसके उपरांत भी पिचानवें प्रतिशत लोगों को रास्ता दिखाने और बताने का कार्य ये पांच प्रतिशत लोग ही किया करते हैं।  कहने का अभिप्राय है कि जमाना पिचानवें प्रतिशत लोगों से बनता है, किंतु जमाने को सही दिशा या रास्ता सिर्फ पांच प्रतिशत लोग […]

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