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महत्वपूर्ण लेख

…..तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 8 भारत हिंदू राष्ट्र था, है और रहेगा

हमारे देश के इतिहास की समीक्षा करने से हमें पता चलता है कि यहां पर अनेक ऐसे सूफी संत हुए हैं जिन्होंने अपने मकड़ जाल में फंसाकर भारत के सनातन का विनाश करने में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी । उन्होंने भारत के लोगों को ऐसी ऐसी गोलियां गटकाईं कि उन्हें सटकते ही कइयों […]

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भारतीय संस्कृति

अध्याय 7 …..तो क्या इतिहास मिट जाने दें कांति ,शांति, क्रांति और हिंदू

भारत की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। इसी सभ्यता को यदि ‘विश्व सभ्यता’ कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसमें दो राय नहीं कि संपूर्ण विश्व समाज ने भारत की संस्कृति और सभ्यता से ही शिक्षा लेकर आंखें खोलीं। मैथिलीशरण गुप्त जी की ये पंक्तियां हमारे इतिहास के गौरवपूर्ण पक्ष को स्पष्ट करती […]

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महत्वपूर्ण लेख

अध्याय 6 ……तो क्या इतिहास मिट जाने दें भारत की गौरव गाथा को प्रस्तुत करती एक फिल्म

अपने इतिहास पर गौरव की अभिव्यक्ति करते हुए महान कवि मैथिलीशरण गुप्त जी लिखते हैं :- गौतम, वशिष्ट-ममान मुनिवर ज्ञान-दायक थे यहाँ, मनु, याज्ञवल्कय-समान सत्तम विधि- विधायक थे यहाँ । वाल्मीकि-वेदव्यास-से गुण-गान-गायक ये यहाँ, पृथु, पुरु, भरत, रघु-से अलौकिक लोक-नायक थे यहाँ ।। सचमुच राष्ट्रकवि के यह शब्द बड़े ही मार्मिक हैं। सटीक हैं। गौरवपूर्ण […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

तो क्या इतिहास मिट जाने दें, अध्याय 5, घर वापसी’ से पहले ‘घर चौकसी’

सोशल मीडिया पर ‘हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान’ के शुभचिंतकों की अच्छी बहस होती देखी जाती है। उनमें से कई ऐसे भी होते हैं जो भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज को भी यह कहकर कोसते मिलते हैं कि इन दोनों ने भी ‘हिंदुत्व’ के लिए कुछ नहीं किया। कई लोग […]

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संपादकीय

मोदी जी का फिर लौट कर आना क्यों आवश्यक है?

आज यह प्रश्न बहुत ही गंभीरता के साथ उठना चाहिए कि मोदी जी का निरंतर तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना और सत्ता में उनकी पुनर्वापसी क्यों आवश्यक है? देश हित में इस प्रश्न पर गंभीरता से चिंतन होना चाहिए। जितने भर भी राजनीतिक नौटंकीबाज देश में इस समय काम कर रहे हैं , उन सब की […]

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इतिहास के पन्नों से

हमें चार्ल्स डार्विन नहीं ,आचार्य कपिल चाहिए

भारत बदल रहा है, यह कहना उतना उचित नहीं है जितना यह कहना उचित है कि भारत अपने मूल से जुड़ रहा है। अपनी जड़ों को पहचान रहा है ।अपनी वास्तविकता को जान रहा है। जब किसी भी देश के आम जीवन में इस प्रकार के क्रांतिकारी परिवर्तन की लहर चलती है तो समझना चाहिए […]

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आओ कुछ जाने

….तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 3 घ क्या कहते हैं संविधान में दिए गए चित्र?

अकबर के दरबार का चित्र अनुच्छेद 308 से 323 में संघराज्य सेवाओं को दिखाने के लिए अकबर के दरबार को भी स्थान दिया गया है। इसका उद्देश्य है कि भारत के लोग सांप्रदायिक सोच से अब ऊपर उठेंगे और आपस में इतिहास पुरुषों के प्रति भी समन्वय बनाकर आगे बढ़ेंगे परंतु यह दायित्व किसी एक […]

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इतिहास के पन्नों से

…तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 3 ग क्या कहते हैं संविधान में दिए गए चित्र?

विक्रमादित्य के दरबार का चित्र पंचायत और नगरपालिका वाले अनुच्छेदों के विषय को चित्र के माध्यम से प्रकट करने की भावना से प्रेरित होकर वहां विक्रमादित्य के दरबार वाला चित्र प्रकट किया गया है। हम सभी जानते हैं कि विक्रमादित्य द्वारा स्थापित की गई व्यवस्था बहुत ही न्याय पूर्ण थी। उन्होंने प्रत्येक नागरिक को न्याय […]

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इतिहास के पन्नों से

…..तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 3 ख, क्या कहते हैं संविधान में दिए गए चित्र?

पुष्पक विमान में सवार राम, लक्ष्मण और सीता जी श्रीराम हमारी राष्ट्र साधना के प्रतीक पुरुष हैं । वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का सर्वोत्तम कार्य किया था। अनेक राक्षसों का वध कर सारे संसार को ‘आर्यों का परिवार’ बनाने में अपना महत्वपूर्ण […]

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आओ कुछ जाने

……तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 3, क्या कहते हैं संविधान में दिए गए चित्र?

हमारे देश के संविधान को बनाने के लिए 29 अगस्त 1947 को डॉ.अंबेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय प्रारूप समिति का गठन किया गया था। संविधान की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में हुई थी। 11 दिसंबर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष नियुक्त […]

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