Categories
इतिहास के पन्नों से

…तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 3 ग क्या कहते हैं संविधान में दिए गए चित्र?

विक्रमादित्य के दरबार का चित्र पंचायत और नगरपालिका वाले अनुच्छेदों के विषय को चित्र के माध्यम से प्रकट करने की भावना से प्रेरित होकर वहां विक्रमादित्य के दरबार वाला चित्र प्रकट किया गया है। हम सभी जानते हैं कि विक्रमादित्य द्वारा स्थापित की गई व्यवस्था बहुत ही न्याय पूर्ण थी। उन्होंने प्रत्येक नागरिक को न्याय […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

…..तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 3 ख, क्या कहते हैं संविधान में दिए गए चित्र?

पुष्पक विमान में सवार राम, लक्ष्मण और सीता जी श्रीराम हमारी राष्ट्र साधना के प्रतीक पुरुष हैं । वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का सर्वोत्तम कार्य किया था। अनेक राक्षसों का वध कर सारे संसार को ‘आर्यों का परिवार’ बनाने में अपना महत्वपूर्ण […]

Categories
आओ कुछ जाने

……तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 3, क्या कहते हैं संविधान में दिए गए चित्र?

हमारे देश के संविधान को बनाने के लिए 29 अगस्त 1947 को डॉ.अंबेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय प्रारूप समिति का गठन किया गया था। संविधान की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में हुई थी। 11 दिसंबर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष नियुक्त […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

…….तो क्या इतिहास मिट जाने दें, अध्याय 2 , दतिया और श्रीनगर के बारे में

आजकल के दतिया( मध्य प्रदेश) को कभी अधिराज के नाम से जाना जाता था। विकिपीडिया के अनुसार ‘दतिया नगर को 16 वीं सदी में बुन्देलखण्ड के प्रतापी बुन्देला राजा वीर सिंह जू देव ने बसाया था। ग्वालियर के निकट उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित दतिया मध्य प्रदेश का लोकप्रिय तीर्थस्थल है। पहले यह मध्यप्रेदश राज्य में देशी रियासत थी पर […]

Categories
समाज

…..तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 1 ख अतीत के उजालों को प्रस्तुत करना होगा

पंथनिरपेक्षता की अवधारणा में किसी भी दृष्टिकोण से अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का तब उल्लंघन नहीं होता जब देश अपने गौरवपूर्ण अतीत को उद्घाटित और प्रस्तुत करने के लिए इतिहास को दोबारा लिखने का परिश्रम करना चाहता हो या उन ऐतिहासिक स्थलों के नामों को फिर से बदलने की कवायद करने की इच्छा रखता हो, […]

Categories
संपादकीय

मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम पर न्यायालय का निर्णय

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में चल रहे मदरसा अधिनियम को निरस्त कर अपना ऐतिहासिक निर्णय देते हुए संविधान के पंथनिरपेक्ष स्वरुप की रक्षा करने का सराहनीय और उत्तम प्रयास किया है। न्यायालय ने अपने इस ऐतिहासिक निर्णय में ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004’ को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के प्रति उल्लंघनकारी […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र

……तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 1 इतिहास का विकृतिकरण और सर्वोच्च न्यायालय

अभी हमारे सर्वोच्च न्यायालय की ओर से एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय आया है। जिस पर समाचार पत्रों में जितनी चर्चा होनी चाहिए थी, उतनी हो नहीं पाई है। इससे पता चलता है कि हम घटनाओं के प्रति कितने उदासीन और तटस्थ हो गए हैं ? माना कि सर्वोच्च न्यायालय पर हम बहुत अधिक टीका टिप्पणी […]

Categories
पुस्तक समीक्षा

लेखकीय निवेदन, भाग -2 महापुरुषों का स्मरण देता है संजीवनी

इससे पता चलता है कि स्वामी श्रद्धानंद जी जैसे महानायक ने राव लूणकरण भाटी की परंपरा को मरने नहीं दिया ,बल्कि उसको गहराई से समझ और पढ़कर उसका अनुकरण कर सैकड़ों वर्ष पश्चात भी हिंदुओं की शुद्धि के महान कार्य को आगे बढ़ाने का प्रशंसनीय और राष्ट्रवंद्य कार्य किया। ऐसे में हमको इस भाव और […]

Categories
पुस्तक समीक्षा

मेरी नई पुस्तक ……… तो क्या इतिहास मिट जाने दें ?

लेखकीय निवेदन मंदिरों में रखी जाने वाली मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा करने की भारत की पौराणिक परंपरा कितनी वैज्ञानिक है और कितनी अवैज्ञानिक है ?- इस पर हमें कोई चर्चा नहीं करनी है। पर आज हम इतना अवश्य कहना चाहते हैं कि हिंदू समाज की राष्ट्र और धर्म के प्रति बढ़ती जा रही निष्क्रियता और […]

Categories
आर्थिकी/व्यापार

चुनावी बांड और भारत में चुनाव सुधार की अनिवार्यता

इस समय इलेक्ट्रोल बॉन्ड को लेकर देश की राजनीति गरमा गई है। जिन राजनीतिक दलों को चंदा वसूली की इस प्रक्रिया से कोई लाभ नहीं हुआ है, वे उन राजनीतिक दलों पर आक्रामक दिखाई दे रहे हैं जिन्हें इस प्रकार की प्रक्रिया से पर्याप्त लाभ मिला है। आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी कांग्रेस को इस समय […]

Exit mobile version