शस्त्र से ही राष्टर की रक्षा होती है। यदि राष्टर शस्त्र विहीन है तो उसकी दुर्बलता जग हंसाई का कारण बन जाती है। हमने अपनी स्वतंत्रता को दूसरों की चेरी बनते देखा है। अपनी संस्कृति को दूसरों की आरती उतारते देखा है और अपने धर्म को दूसरों के जूते साफ करते देखा है सिर्फ अपनी […]
Author: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
अफगानिस्तान की दुर्घटना का कारण
युद्घ आदमी की फितरत का तकाजा कहा जाता है। लेकिन ऐसा कहा जाना उतना ही गलत है जितना यह कहा जाना कि सूर्य पूर्व से ना निकलकर पश्चिम से निकलता है। युद्घ व्यक्ति के बौद्घिक कौशल और बौद्घिक चातुर्य के निष्फल हो जाने से जन्मी हताशा का परिणाम होता है। राजनीति की भाषा में इस […]
सेनाध्यक्ष के सच का सार
सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने देश की कमजोर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और अब यह समाचार पत्रों के लिए लीक हो गया। अपनी जन्मतिथि संबंधी विवाद को लेकर जनरल मुंह की खाये बैठे थे। इसलिए उनके द्वारा अब उठाये इस मुद्दे को पूरा देश उनकी खींझ मिटाने की एक कोशिश के रूप […]
अन्ना हज़ारे ने एक बार पुनः जंतर मंत्र पर बीते रविवार को अपना एक दिवसीय अनशन रखा है। इस बार अन्ना कुछ संभले है और उन्होनें अपनी टीम की पहली गलतियों में सुधार किया है। उन्हें ये अहसास हुआ है कि राजनीति को बिना राजनीतिजों के नहीं हाँका जा सकता और ना ही किसी कानून […]
ममता दी को धन्यवाद !
सोनिया की चुप्पी में चीन की सी कुटिलता है तो मनमोहन सिंह की शालीनता और विनम्रता देश के लिए उनकी ‘ठेंगा नीति’ बन चुकी है। सोनिया मनमोहन सरकार के निर्णय पर तब तक चुप रहती हैं जब तक उनसे सरकार और मनमोहन सिंह की फजीहत होती हो, जैसे ही ये निर्णय सोनिया और उनके परिवार […]
चाँटे पर चिन्ता या चिन्तन?
केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार पर महंगार्इ और भ्रष्टाचार से निपटने में अक्षम रही सरकार के प्रति अपना गुस्सा झाड़ते हुए एक युवक हरविन्दर ने चाँटा जड़ दिया। यह चाँटा सुरेश कलमाड़ी पर फैंके गये जूते (26 अप्रैल 2011), अरून्धति राय पर फैंके गये जूते (फरवरी 2009), प्रशान्त भूषण की की गर्इ पिटार्इ (12 अक्टूबर […]
भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी की 38 दिवसीय रथ यात्रा पिछले दिनों दिल्ली के रामलीला मैदान में समाप्त हो गयी । इस यात्रा के समापन पर भाजपा का मनोबल कुछ बढ़ा हुआ दिखायी दिया । उसे लगा हैं कि लोगो ने उसके पापों को रामद्रोह को, खूंखार आतंकियों को छोड़ने के राष्ट्रद्रोह को तथा ‘जिन्ना […]
मनमोहन जी! गिलानी शान्ति पुरूष हैं या ग्लानि के पात्र. कहते हैं इतिहास अपने आप को दोहराता है। पर मेरा मानना है कि अब इस घिसी-पिटी बात में संशोधन करने का समय आ गया है क्योंकि सच ये है कि इतिहास अपने आप को नहीं दोहराता अपितु इतिहास में दर्ज मूर्खताएं अपने आपको दोहराती हैं। […]
गद्दाफी : एक निरर्थक जीवन
लीबिया को अपने क्रूर शासन से चालीस वर्ष तक पददलित करने वाले तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दफी के अंत होने पर जो खुशियां मनायी गयीं उनसे स्पष्ट हो गया कि जनता इस तानाशाह के साथ कतई नहीं थी। जीवन का सबसे बड़ा रहस्य और सबसे बड़ा सच मौत है। हर व्यक्ति मौत को मात देना चाहता […]