बनिया की दो बेटियों का आत्मघात, ब्रम्हाकुमारियों के चक्कर में प्लॉट इज्जत, सम्पति भी गंवायी*

*

=================

आचार्य विष्णु हरि

सनातन विरोधियों और अंधविश्वासी, ढोंगी-ठगी, बाबाओं, ब्राम्हणों और तथाकथित हिन्दू संगठनों द्वारा बनियों को ठगने, मूर्ख बनाने और उनके पैसों पर मौज करने के खिलाफ मैं लगातार जागरूक कर रहा हूं पर परिणाम नहीं निकल रहा है। इसका दुष्परिणाम यह देख लीजिये।
एक बनिया की दो बेटियो ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि दोनों अनकही शोषण के शिकार थी, प्रताड़ित थी और ठगी गयी थी। पूरी कहानी जानेंगे तो पायेंगे कि सनातन विरोधी संगठनों में क्या कुछ हो रहा है।
बनिया की बेटियों की आत्महत्या ब्रम्हाकुमारी संस्थान से जुडा है। बनिया ब्रम्हकुमारियों के जाल में फस गया। बनिया ने ब्रम्हकुमारियों को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम मान लिया। अपने पूरे परिवार को ब्रम्हकुमारियों का भक्त और सेवक बना दिया। जब कोई कोई अंधविश्वासी और ढोंगी संगठन का भक्त और सेवक बन जाता है तो फिर उसकी सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता समाप्त हो जाती है। अशोक सिंघल की यही स्थिति थी। अशोक सिंघल यह भी विचार नहीं किया कि ब्रम्हाकुमारी तो सनातन विरोधी हैं और सनातन संस्कृति पर दोषारोपन करता है, अपमानजनक व्यवहार करता हैं।
अशोक सिंघल ने अपनी दो जवान बेटियों को ब्रम्हाकुमारी में दीक्षा दिला दी। एकता और शिखा ने भरी जवानी में दीक्षा ली थी, दोनों को मोक्ष की प्राप्ति की घूंटी पिलायी गयी थी। रातोरात विख्यात होने का सपना दिखाया गया था। लेकिन ये दोनों बहनें अंधेरी सुरंग में कैद हो गयी थी, जहां पर भाई-बहन के नाम और संस्कृति के नाम पर अनकही सिर्फ कल्पना करने वाले धंधे ही होते थे।
माउंट आबू ब्रम्हाकुमारियों का आश्रम है, राजधानी हैं, उनके भगवान का घर है। यही उनका भगवान तथाकथित चमत्कार और करतब दिखाता था। लेखराज कृपलानी इनका भगवान था। ये कहते हैं कि यह दुनिया लेखराज कृपलानी ही चलाते हैं, एक मात्र भगवान यही है। महिलाओं और अन्यों को भी लेखराज के प्रति समर्पित होना चाहिए। पति और पत्नी को भी यहां दीक्षा लेने के बाद भाई-बहन के तौर पर रहना होता है।
एकता और शिखा को माउंट आबू से तथाकथित शिखा लेकर आगरा भेज दिया गया। यहीं पर महिलाओं को जोडने ब्रम्हाकुमारी मत का प्रचार करने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गयी। एकता और दिक्षा ने अपना प्लॉट और अपनी सम्पति बेचकर ब्रम्हाकुमारी मत का प्रचार किया और प्रकल्प चलाये। लेकिन ब्रम्हाकुमारी प्रबंधन ने इनका अनकही शोषण किया। ठगे और बरबाद होने का ज्ञान होते ही इन दोनों बहनों ने खुद फांसी लगा कर जान देने का काम किया।
हिन्दू और खासकर बनिये इन दोनों बहनों के हस्र से भी सबक नहीं लेगें। ब्रम्हाकुमारी मत सिर्फ और सिर्फ लेखराज कृपलानी को भगवान मानते हैं, रामकृष्ण, शिव आदि को भगवान नही मानते हैं। हमारे भगवान शिव के लिए ये अपमानजनक बातें भी कहते हैं।
बनिया इस आत्मघात से सबक लंे। ब्राम्हणों के मकडजाल में आकर ढोगी बाबाओं,कथावाचकों और सनातन विरोधी ब्रम्हाकुमारी, स्वामी नारायण, पुजारियों, साई यानी चांद मियां, रामपाल, रहीम आदि से दूरी बनाये और अपनी संम्पति हिन्दू एक्टिविस्टों और दलितों-आदिवासियों तथा वंचितों को सनातन से जोडने के लिए लगायें। अपने दान का खुद निरिक्षण और नियंत्रण रखें।

================
आचार्य विष्णु हरि
नई दिल्ली।

Mobile — 9315206123

Comment: