टल गई अमेरिका पर आने वाली बड़ी आर्थिक मुसीबत? डेट सीलिंग डील से कैसे लौटी ग्लोबल मार्केट में रौनक

अभिनय आकाश

अमेरिका पर छाए कर्ज संकट के बादल छंटने की उम्मीद जगी है। देश की कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और निचले सदन के स्पीकर केविन मैकार्थी के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई।

दुनिया का सुपर पावर मुल्क अमेरिका इन दिनों फाइनेंसियल क्राइसिस को लेकर चर्चा में है।अगर अमेरिकी सरकार ने जल्द ही इस समस्या का हल नहीं किया तो भारत समेत दुनियाभर में इसका असर पड़ना तय है। लेकिन अमेरिका के लिए फिलहाल थोड़ी राहत की खबर सामने आ रही है। कर्ज संकट को लेकर बाइडेन प्रशासन और मैकार्थी के बीच जमी तल्खी अब कम होती नजर आ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रिपब्लिकन हाउस के स्पीकर केविन मैक्कार्थी ने देश की ऋण सीमा को बढ़ाने पर चर्चा करने के लिए हाल ही में एक बैठक की है। ये बैठक इस बात को लेकर की गई है कि अमेरिकी संघीय सरकार अपने खातों का भुगतान करने के लिए कितना उधार ले सकती है। मीटिंग के बाद अडेट लिमिट को बढ़ाने पर सहमति बन गई है। हालांकि इस मामले पर वोटिंग भी हो सकती है। 1 जून के पहले कर्ज सीमा बढ़ाने की डेडलाइन खत्म हो रही है।

जो बाइडेन के लिए राहत

राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रतिनिधि सभा के स्पीकर केविन मैकार्थी के बीच देश की वैधानिक ऋण सीमा बढ़ाने पर ‘सैद्धान्तिक सहमति’ बन गई है। दोनों संघीय खर्च को सीमित करने और अमेरिका को संभावित चूक से बचाने के लिए ‘समझौते’ पर तैयार हो गए हैं। हालांकि, इस समझौते तक पहुंचने के लिए जो रियायतें या शर्तें तय की गई हैं उससे डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पक्षों के नाराज होने का खतरा है। वार्ताकारों ने रिपब्लिकन की खाद्य टिकट के प्राप्तकर्ताओं के लिए काम की बढ़ती जरूरतों पर सहमति जताई है, जिसपर डेमोक्रेट ने हंगामा खड़ा किया है। जून की समयसीमा से पहले संसद की मंजूरी के लिए दोनों पक्षों का इस समझौते पर सहमत होना जरूरी है। अमेरिका में डेट सीलिंग को लेकर राष्ट्रपति जो बाइडेन और रिपब्लिकंस के बीच बातचीत के सकारात्मक रहने की वजह से पिछले कारोबारी सत्र में वॉल स्ट्रीट में रौनक का माहौल बना रहा।

हाउस ऑफ स्पीकर कर्ज सीमा बढ़ाने को राजी

अमेरिका पर छाए कर्ज संकट के बादल छंटने की उम्मीद जगी है। देश की कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और निचले सदन के स्पीकर केविन मैकार्थी के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई। दोनों संघीय खर्च को सीमित करने और अमेरिका को संभावित चूक से बचाने के लिए ‘समझौते’ पर तैयार हो गए हैं। अब वार्ताकार पूरी कोशिश में हैं कि तेजी से इस बारे में बिल लाया जाए ताकि 5 जून से पहले उसे उच्च सदन सेनेट से भी मंजूर कराया जा सके।

डेट सीलिंग क्या है

सरकार अपने खर्च को चलाने के लिए कर्ज लेती है। ये रकम अमेरिकी कांग्रेस यानी संसद तय करती है। दुनिया के कई देशओं का बजट घाटे में चलता है। यानी टैक्स से जितनी आमदनी होती है उससे ज्यादा खर्चे होते हैं। इस बिल को पेमेंट करने के लिए सरकार कर्ज लेती है। अमेरिका में ये एक सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि, इकोनॉमी के लिहाज से कर्ज की सीमा तय होती है।

बाइडेन-मैकार्थी में क्या बनी सहमति

गैर रक्षा खर्च को वित्त वर्ष 2024 में नहीं बढ़ाया जाएगा। अगले साल भी इसे 1% ही बढ़ाया जाएगा। साथ ही 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद कर्ज सीमा में दो साल के लिए बढ़ोतरी की जाए।

2024 के लिए बाइडन के बजट प्रस्ताव में बुजुर्गों को जो मेडिकल केयर देने की बात कही गई है, उसके लिए पूरी फंडिंग दी जाएगी। इसमें जहरीले पदार्थ या पर्यावरणीय खतरों से जूझने पर मेडिकल केयर का भी प्रस्ताव है। बाइडन ने के लिए 20.3 अरब डॉलर का प्रस्ताव रखा है। नौकरी से जुड़े मानदंड कुछ समय के लिए बदलने पर रजामंदी बनी है।

नैशनल एनवायरनमेंटल पॉलिसी ऐक्ट में बदलाव पर रजामंदी हुई है। इस ऐक्ट के तहत पर्यावरणीय समीक्षा करने के लिए एक एजेंसी बनाने की बात कही गई है। बाइडन स्टूडेंट लोन लेने वालों का कर्ज माफ करना चाहते थे, हालांकि उस पर दोनों दलों में अभी बात नहीं बन सकी है।

क्या है कर्ज सीमा विवाद

अमेरिका सरकार कानूनी रूप से अपने खर्चों और दायित्वों को पूरा करने के लिए कर्ज लेती है। अमेरिका की संसद ने कानून बनाकर इस कर्ज को लेने की सीमा तय की हुई है, जिसे ऋण सीमा (डेब्ट सीलिंग) कहा जाता है। अमेरिकी संविधान के अनुसार कांग्रेस (संसद) को सरकारी खर्च को नियंत्रित करने का अधिकार दिया गया है। बिना कांग्रेस की मंजूरी के सरकार तय ऋण सीमा से अधिक कर्ज नहीं ले सकती। अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। रिपब्लिकन के सांसद ऋण सीमा को बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे। जल्द समझौता नहीं होता तो अमेरिका का खजाना खाली हो सकता था, जिससे असंख्य नौकरियों पर खतरा बना हुआ था ।

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