लोगों के दिलों पर राज करने वाले औरंगाबाद के भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह

रविकांत सिंह

राजनीति में उतरना अलग बात है और लोगों के दिलों में उतरना अलग बात है। लोगों के दिलों में उतर जाने का हुनर हर किसी राजनीतिज्ञ के बस की बात नहीं होती। यही कारण है कि अनेक राजनीतिज्ञ हमने भारतीय राजनीति में आते हुए देखे पर जिस तेजी से वह आए उसी तेजी से चले भी गए। राजनीति के बाजार में वही टिक पाता है जो जनता जनार्दन का आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ता है और जनता के दिलों में उतर कर उनकी आवाज को उठाने का माद्दा रखता है । जब आवश्यकता होती है तो जनता के बीच खड़े होकर उसके अधिकारों के लिए लड़ना ही जानता है।
यदि औरंगाबाद से भाजपा के सांसद सुशील कुमार सिंह की बात करें तो वह राजनीति में ऐसे ही गुणों से विभूषित व्यक्तित्व हैं। उन्होंने सदा आगे बढ़ना सीखा है और आगे बढ़ने में वह जनता जनार्दन का आशीर्वाद लेना कभी नहीं भूलते। विनम्रता और शालीनता के साथ जनता के साथ जुड़े रहकर वह राजनीति के माध्यम से देश की सेवा कर रहे हैं। राजनीति को उन्होंने अपना पेशा नहीं बल्कि जनसेवा और देश सेवा का एक सशक्त माध्यम माना है।
सुशील कुमार सिंह का जन्म बिहार के औरंगाबाद में 27 जून 1963 को हुआ। उनका जन्म औरंगाबाद में रामनरेश सिंह (लुटन सिंह) और पुष्पलता सिंह के घर हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा गेट स्कूल (एएन हाई स्कूल), औरंगाबाद से पूरी की, और फिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अपने पूर्व-विश्वविद्यालय अध्ययन के लिए दाखिला लिया। उन्होंने अनुग्रह नारायण कॉलेज , पटना , मगध विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया ।
सुशील कुमार सिंह अपने नाम के अनुरूप गुणों से भरे हुए सुशील राजनीतिज्ञ है। वर्तमान में बिहार में औरंगाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं लोकसभा में सांसद हैं। वे अब तक निरंतर 4 बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए हैं। बात साफ है कि लोगों के बीच से उनका आशीर्वाद लेकर निकलना और भारत में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर अर्थात संसद में जाकर लोगों की समस्याओं को उठाना बताना यह तभी संभव है जब व्यक्ति अपने आप को तप आने के लिए तैयार हो। जिसने स्वयं को तपाया है, खपाया है ,उसी ने कुछ पाया है। इस सिद्धांत को सार्थक सिद्ध करते हुए श्री सिंह भारतीय राजनीति में अनोखे बने हुए हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं , भाजपा जैसी पार्टी के साथ जोड़ना स्वाभाविक रूप से स्पष्ट करता है कि उनके भीतर हिंदुत्व की आग है। इसके उपरांत भी वह उग्र भाषा के माध्यम से देश के किसी संप्रदाय या वर्ग के लोगों के विरुद्ध जहर उगलने की बातों से दूर रहते हैं। वह जनसेवा और देश सेवा में विश्वास रखते हैं इसलिए विवादित बयान और विवादित मुद्दों में पड़कर अपनी ऊर्जा का अपव्यय करना उचित नहीं मानते।
श्री सिंह कोयला और इस्पात संबंधी स्थायी समिति, सार्वजनिक उपक्रम समिति और याचिका समिति के सदस्य हैं। और 17वीं लोकसभा में सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की सलाहकार समिति। वे भारतीय जनता पार्टी में 7 मार्च 2014 को राजनाथ सिंह की उपस्थिति में सम्मिलित हुए थे । इससे पहले वह बिहार राज्य में सत्ताधारी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) से जुड़े थे।
श्री सिंह बिहार की राजनीति में अपना स्थान बनाकर देश की राजनीति में भी स्थान बनाने में सफल हुए हैं। बिहार की राजनीति के बारे में हम सभी जानते हैं कि जातिवाद के आधार पर चलने वाली बिहार की राजनीति बहुत ही टेढ़े मेढे रास्तों से होकर गुजरती है। राजनीति के ऐसे बीहड़ जंगल में भी अपनी पगडंडी बना लेना और उसे पकड़ कर सीधे लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर अर्थात भारत की संसद में सांसद के रूप में पहुंचना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। निश्चय ही श्री सिंह अभिनंदन के पात्र हैं।
श्री सिंह की धर्मपत्नी का नाम श्रीमती आरती सिंह है। इनके दो बेटे और एक बेटी है। कृषि के क्षेत्र में विशेष अनुसंधानात्मक कार्य करने से आप एक अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आपने पॉलिटिकल साइंस से ए0 एन0 कॉलेज मगध यूनिवर्सिटी पटना बिहार से एम0ए0 किया है। आप कंसलटेटिव कमिटी मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज के सम्मानित सदस्य भी हैं। इसके अतिरिक्त कमेटी ऑन पेटीशंस और स्टैंडिंग कमिटी ऑन कोल माइन्स एंड स्टील के सदस्य होने का भी आपको सम्मान प्राप्त है। इसके अतिरिक्त इसी प्रकार के अन्य कई महत्वपूर्ण दायित्व आपको प्रदान किए गए हैं जिन्हें आपने बड़ी कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी के साथ निर्वाह किया है।

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