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इसलाम और शाकाहार

रसूल की पत्नी :ज़िंदा दफ़न !!

इतिहास में ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे कि ,पापियों और दुष्टों के कुकर्मों का फल खुद उसको और उसके सारे परिवार के लोगों को भुगतना पड़ता है.जिस तरह से मुहम्मद ने निर्दोष लोगों की हत्याएं करवाईं ,उसी तरह से खुद मुहम्मद ,उसकी बेटी फातिमा ,उसके दामाद अली ,और नवासे हसन ,हुसैन की हत्याएं की गयी थीं .इसके बारे में पिछले लेखों में विस्तार से दिया गया है .

मुहम्मद 25 साल की आयु से मरते समय 63 साल की आयु तक अल्लाह का रसूल होने का दावा करता रहा .लेकिन लगता है कि स्वयं मुहमद के अनुयायी उसके दावों पर यकीन नहीं करते थे .वरना उसकेपरिवार के लोगों को इतनी बेदर्दी से क़त्ल नहीं करते .

बाकी बातें तो सब जानते हैं ,मगर मुसलमान बड़ी चालाकी से ,मुहम्मद की सबसे प्यारी पत्नी आयशा बिन्त अबूबकर की मौत के बारे में खामोश रहते हैं .किसी को आयशा की कब्र का पता नहीं है .मुसलमान किसी को नहीं बताते कि आयशा कैसे और कब मरी थी .हम बताते हैं –

1 -आयशा की शादी कब और कैसे .

सब जानते हैं कि मुहम्मद को औरतों का शौक था ..उसने 25 साल कि आयु में 40 साल की एक धनवान विधवा खदीजा से धन की खातिर शादी की थी .सन 620 खदीजा का देहांत हो गया .इसके बाद मुहम्मद ने फिर सौदा नामकी विधवा से शादी कर ली .उस समय सौदा 30 साल की और मुहम्मद 50 साल का था .

उन्हीं दिनों मुहम्मद के घर के पास अबूबकर का परिवार रहने लगा .यह परिवार अबीसीनिया से मदीना आया था .अबूबकर की पत्नी का नाम ऊम्मे रूमान था .उसकी बड़ी बेटी का नाम असमा और छोटी का नाम आयशा था ,जो 6 साल की थी .अबूबकर के बेटे का नाम भी मुहम्मद था .

एक दिन मुहम्मद की नजर आयशा पर पड़ गयी जो उस समय गुड़ियों से खेल रही थी .जब मुहम्मद ने अबूबकर से कहा की मैं अल्लाह का रसूल हूँ .और मुझे अल्लाह ने इस बच्ची से शादी करने का हुक्म दिया है .अबूबकर मुहम्मद की चाल में आगया .और उसने सन 623 में मुहम्मद की शादी आयशा से कर दी .उस समय मुहमद की आयु 53 साल थी .कुछ लोग आयशा की शादी की आयु 9 साल बताते है .
मुहम्मद को कुंवारी लड़की पसंद आगई .मुहम्मद ने आयशा को “उम्मुल मोमनीन “यानी मुसलमानों की अम्मा का ख़िताब दे दिया .
आयशा मुहम्मद की प्यारी पत्नी बनी रही .यद्यपि मुहम्मद ने इसके बाद कई शादियाँ और भी की थीं
2 -आयशा चालाकियां
धीमे धीमे आयशा ने मुहम्मद को पूरी तरह कब्जे में कर लिया .मुहम्मद आयशा की गोद में कुरआन की आयतें बनाता था .और आयशा भी जो कहती थी ,लोग उसे हदीसें समझकर लिख लेते थे ..आयशा बड़ी होकर राजनीति भी करने लगी .और अपने पिता के पक्ष में माहौल बनाती रही .आयशा के कारण ही अबू बकर पहिला खलीफा बना था .
3 -आयशा व्यभिचार में पकड़ी गयी
कहा जाता है कि आयशा मुहम्मद से संतुष्ट नहीं थी .एक समय वह मुहम्मद के साथ काफिले में जा रही थी .तो काफिला एक जगह विश्राम के लिए ठहर गया .आयशा बिना मुहम्मद को बताये अचानक काफिले से गायब हो गयी .एक दिन और दो रात तक उसका कोई पता नहीं चला .खोज करने पर आयशा “सफ़वान बिन मुत्तल “नामके जवान के साथ पकड़ी गयी .आयशा ने बहाना किया कि वह अपने गले का हार खोनाने के लिए गयी थी .जब आयशा अपने निर्दोष होने का सबूत नहीं दे सकी ,तो लोगों ने कानून के अनुसार आयशा को चालीस कोड़े लगाने की मांग की .मुहम्मद आयशा के रूप में इतना अँधा हो गया था कि ,उसने उसी समय कुरआन कीएक आयत सूरा -अहजाब 33 :53 लोगों को सूना दी .और कहा की अल्लाह ने आयशा को निष्पाप माना है .उसे कोई सजा नहीं हो सकती .
बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 632
यही नहीं ,आयशा मुहम्मद को हमेशा सम्भोग के लिए उकसाती थी .ताकि वह वश में रहे .
4 -मुहम्मद की हत्या में आयशा का हाथ
शिया लोगों का आरोप है कि मुहम्मद कुदरती मौत नहीं मारा था .उसकी हत्या कि गई थी .और इस ह्त्या में मुहमद कि एक पत्नी “हफसा “और “आयशा “का हाथ था ,जिस यहूदी औरत ने मुहम्मद को जहर दिया था उस जहर से मुहम्मद बीमार हो गया था .मुहम्मद आयशा के साथ सम्भोग के समय मरा था .(पिछले लेख देखिये )
5 -आयशा के षडयंत्र
आयशा ने मुहम्मद की मौत के बाद अपना काफी प्रभाव बाधा लिया था .और लोगों को अपने पक्ष में कर लिया था .आयाशाने अपने पिता अबू बकर को चालाकी से खलीफा बनवा दिया .जबकि अली को खलीफा बनना चाहिए था .आयशा ने अपने पिताको अली के घर पर हमला करने को उकसाया था .अबूबकर और उम्र ने फातिमा के घर में घुसकर फातिमा को इतनी जोर से किवाड़ के बीच में दवाया कि फातिमा के पेट से बच्चा गिर गया .और फातिमा भी मर गई ..
इसी तरह आयशा ने 17 जुलाई सन 656 को अपने भाई “मुहम्मद बिन अबू बकर “से खलीफा “उस्मान बिन अफ्फान “कि हत्या करवा दी थी .जब उस्मान कि पत्नी “नाईला “पति को बचाने लगी तो आयशा के भाई ने उसकी उंगलियाँ काट दीं.
आयशा काफी महत्वाकांक्षी औरत थी .उसके कई दुसमन भी बन गए थे .चौथे खलीफा अली कि हत्या हो जाने के बाद सन 661 में “मुआविया बिन अबू सुफ़यान “खलीफा बना .आयशा की पाहिले तो मुआविया से काफी दोस्ती रही .लेकिन मुआविया आयशा के दोगले स्वाभाव से नाराज हो गया .वह आयशा को रस्ते का कांटा मानने लगा .और एक दिन आयशा की इस तरह से हत्या कर दी कि इसको जानकर मुहम्मद की कब्र भी कांपती रहती है .मुसलमान इस बात को छुपाते हैं .पूरी घटना इस प्रकार है –
6 -आयशा कुत्ते की मौत मरी
हम हिंदी के साथ अंगरेजी में पूरे सबूत दे रहे है
“मुशरफुल मोमिनीन शेखुल तरीकत ,हजरत ख्वाजा महबूब कासिम चिश्ती मुशरफी ने इतिहासकार “इब्ने खुल्दून”के पेज नंबर 616 पर लिखा है ,कि मुआविया ने एक दिन आयशा को अपने महल में खाने कि दावत पर बुलाया .इसके पाहिले मुआविया ने एक गहरा गड्ढा खुदवा रखा था .और उस गड्ढे में सीधे खड़े हुए भाले और तलवारें गाड़ रही दी .और उसपर लकड़ी के कमजोर पट्टे रख कर ढँक दिया था .फिर जब आयशा आई तो तो उसी पर कालीन बिछाकर आयशा की कुर्सी रखवा दी .जैसे ही आयशा उस कुर्सी पर बैठी ,सीधे गड्ढे में लगे भले ,तलवारों से बिध गयी .और घायल होकर तड़पने लगी .मुआविया ने उसी समय गड्ढे को भरवा कर समतल करा दिया .यह सन 678 की बात है

Musharaf al Mehboobeen, By Sheikh ul Tareeqat Hazrat Khwaja Mehboob Qasim Chishti Muhsarafee Qadiri, Page 616

Mawiya invited Hazrat Ayesha for dinner. He ordered for a ditch to be dug, and filled it with spears and swords tipped upwards. According to the History of Allama Ibn Khaldun, Mawiya covered this deep well with weak wood and covered it with carpet. He placed a wooden chair on top of this trap in respect for Hazrat Ayesha. As soon as Hazrat Ayesha sat on the chair, she fell into the well and got severely injured with a lot of broken bones. To hide his crime, Mawiya ordered the sealing of the well and with it, buried Ayesha in it, thus was responsible for the murder of Ayesha.

इस से साबित होता है कि मुहम्मद अल्लाह का रसूल नहीं था .और हरेक व्यक्ति को उसके कुकर्मों का फल जरूर मिलताहै .मुसलमान इस बात जितना भी छुपाये .,सच्चाई चुप नहीं सकती है .अब कोई मुस्लिम ब्लोगर बताये कि आयशा कैसे मरी थी
http://www.ahlalhdeeth.com/vbe/showthread.php?t=7374

मुहम्मद कीहत्या आयशा ने की थी इसके प्रमाण भी देखिये आयशा

(181/157)

ब्रजनंदन शर्मा (लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. जिनकी उगता भारत पुष्टि नहीं करता।)

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