वसुधैव कुटुंबकम जब-जब दुनिया पर संकट गहराया, देवदूत बनकर भारत सामने आया, तुर्की ही नहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश, यमन सूची बहुत लंबी है

अभिनय आकाश

भूकंप के झटकों से तुर्की और सीरिया का जर्रा-जर्रा कांप उठा। इस बीच भारत ने तुर्की की ओर मदद का हाथ बढ़ाया है। लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है 2005 में भूकंप प्रभावित पाकिस्तान हो या म्यामांर में आया चक्रवात। भारत की देवदूत बनकर मदद करने वाली फेहरिस्त बेहद ही लंबी है।

एक गुरु बनने के लिए क्या आवश्यक है इसकी व्याख्या भारत को इस बात की अभिलाषा देने वाले स्वामी विवेकानंद ने स्वयं की थी। उन्होंने कहा था कि अगर आप सच्चे सुधारक बनना चाहते हैं तो तीन चीजें आवश्यक हैं। पहली है महसूस करना। क्या आप सचमुच अपने भाइयों की पीड़ा अनुभव करते हैं? क्या आप सहानुभूति से ओत-प्रोत हैं? क्या आपने बिना किसी अशुद्धि उस सोने को सहेजने के तरीके खोज लिए हैं? अगर आपने ऐसा कर लिया है, एक और चीज आवश्यक है। आपका इरादा क्या है? क्या आपको विश्वास है कि आप लालच, प्रसिद्धि या शक्ति की पिपासा से प्रेरित नहीं हैं?…तब आप एक सच्चे सुधारक हैं, आप मानवता के लिए एक शिक्षक, एक गुरु, एक आशीष हैं। वसुधैव कुटुंबकम, समूचा विश्व एक परिवार है। हम तर्क देते हैं कि क्योंकि हमने सबसे पहले ऐसा कहा, और मात्र हम ही इन उपदेशों का पालन करते हैं, इसलिए हम विश्व गुरु बनने के सही मायने में हकदार भी हैं और योग्य भी है। लेकिन ऐसा नहीं है कि हम केवल सिर्फ बोलते हैं बल्कि सही मायनों में दुनिया के लिए कर के भी दिखाते हैं। इतिहास उठाकर देखें तो जब जब दुनिया में कोई भी संकट आया हो तो भारत ने अग्रणी बनकर हर मोर्चे पर राहत पहुंचाया है। ताजा मामला तुर्की का ही देख सकते हैं। करीब सौ साल बाद तुर्की में तबाही मची है। वो भी ऐसी जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। भूकंप के झटकों से तुर्की और सीरिया का जर्रा-जर्रा कांप उठा। इस बीच भारत ने तुर्की की ओर मदद का हाथ बढ़ाया है। लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है 2005 में भूकंप प्रभावित पाकिस्तान हो या म्यामांर में आया चक्रवात। भारत की देवदूत बनकर मदद करने वाली फेहरिस्त बेहद ही लंबी है।

कश्मीर पर तुर्की देता था पाकिस्तान का साथ

कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की को इस आपदा की घड़ी में भारत ने हरसंभव मदद का ऐलान किया है। आपको बता दें कि 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में तुर्की ने पाकिस्तान की काफी सहायता की। इसके अलावा कश्मीर को लेकर तुर्की हमेशा पाकिस्तान का साथ देता रहा है। अभी कुछ दिन पहले की ही बात होगी जब भारत का 56,877 टन गेहूं तुर्की ने रूबेला वायरस कहकर लौटा दिया था। ऐसा नहीं है कि भारत इन चीजों को भूल गया है। लेकिन बात जब भी मानवता की आती है तो सबसे पहले वो मदद के लिए खड़ा होता है।

दुनिया के लिए सहायता प्रदान करने का सिलसिला 1963 से शुरू हुआ। सूखे के बाद वहां के हालात बेहद ही बद्तर हो चले थे। गंभीर सूखे के बाद चिकित्सा कर्मियों की टीम इथोपिया रवाना हुई थी। मेडिकल टीम ने प्रभावित समुदायों को चिकित्सा सहायता करने के लिए अथक प्रयास किए। उनके प्रयासों की इथियोपिया सरकार और लोगों ने बहुत सराहना की थी।

यमन को भेजी भूकंप के बाद आपदा राहत और सहायता

1965 भारत ने भीषण भूकंप के बाद आपदा राहत और सहायता प्रदान करने के लिए चिकित्सा कर्मियों की एक टीम यमन भेजी। इस टीम ने फिर प्रभावित आबादी की जरूरतों का आंकलन करने के लिए स्थानीय अधिकारियों और समुदायों के साथ मिलकर काम किया व जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा, भोजन की व्यवस्था की।

पूर्वी पाकिस्तान में भेजी टीम और खाद्य सामग्री

साल 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद राहत प्रयासों में भारत ने एक महत्वपूर्ण भूमिका आद की थी। लाखों शरणार्थियों का समर्थन करने के लिए पूर्वी पाकिस्तान यानी वर्तमान के बांग्लादेश में डॉक्टर्स की टीम के साथ ही खाने-पीने का सामान भी भेजा था। एनडीआरएफ की टीम ने जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सहायता, भोजन और आश्रय प्रदान करने के लिए स्थानीय अधिकारियों और समुदायों के साथ मिलकर काम किया।

भूकंप से करहाते तुर्की में 1999 में भारत ने भेजी राहत

ये पहली दफा नहीं है जब भारत ने तुर्की में मदद के लिए एनडीआरएफ की टीम को रवाना किया हो। साल 1999 में विनाशकारी भूंकप के बाद भारत ने एनडीआरएफ की एक टीम को तुर्की भेजा था। जहां भूकंप प्रभावितों को आपदा, राहत और सहायता प्रदान किया गया। जिसके बाद भारत के प्रयासों की तुर्की सरकार और लोगों ने बहुत प्रशंसा की थी।

2005 भारत ने भूकंप प्रभावित पाकिस्तान को राहत भेजी

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान वैसे तो ऐसा कोई मौका नहीं होता है जब भारत के खिलाफ साजिशें न रचता हो। लेकिन तमाम बातों को भुला मानवता की खातिर भारत ने पाकिस्तान की मदद में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। साल 2005 में आपदा राहत और सहायता प्रदान करने के लिए पाकिस्तान में एनडीआरएफ की टीम को विदेश भेजा। जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सहायता, भोजन और आश्रय प्रदान किया।

इंडोनेशिया में भूकंप

2006 में इंडोनेशिया में जावा द्वीप पर बड़े पैमाने पर भूंकप आया। भारत ने बिना क्षण गंवाए आपदा के प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ी और एनडीआरएफ कर्मियों की टीम को रवाना कर दिया। एनडीआरएफ की टीम प्रभावित क्षेत्रों में खोज और बचाव कार्यों के साथ साथ प्रभावित लोगों को मानीय सहायता भी प्रदान करने के लिए तैनात नजर आए।

चक्रवात नरगिस से परेशान हुआ म्यांमार

साल 2008 में जब विनाशकारी चक्रवात नरगिस ने म्यांमर में भीषण तबाही मचाई। भारत ने भी सहायता में कोई कमी नहीं आने दी। चक्रवात से प्रभावित आबादी को राहत और सहायता प्रदान करने के लिए एडीआरएफ की टीम को म्यांमार भेजा गया।

हैती में विनाशकारी भूंकप

साल 2010 का वो दौर जब हैती के द्वीप राष्ट्र में विनाशकारी भूंकप का आगमन हुआ। हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी और कई घायल हो गए। भारत सरकार ने आपदा में सहायता के लिए एनडीआरएफ की टीम को वहां भेजा। टीम ने प्रभावित इलाकों में बचाव कार्यों के साथ ही लोगों को चिकित्सा और मानवीय सहायता भी प्रदान की।

बाढ़ के बाद थाईलैंड में NDRF की तैनाती

साल 2011 में थाईलैंड में बाढ़ ने अपना कहर बरपाया। बाढ़ के कहर से हजारों लोगों का आशियाना छिन गया। भारत सरकार ने एक बार फिर से दुनिया की मदद के लिए अपने कदम बढ़ाएं। सहायता के लिए एनडीआरएफ कर्मियों की टीम को रवाना किया। एनडीआरएफ की टीम को प्रभावित क्षेत्रों में खोज और बचाव कार्यों के साथ ही आपदा से प्रभावित लोगों को चिकित्सा और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए तैनात किया गया।

पड़ोसी देश नेपाल में आया विनाशकारी भूंकप

साल 2015 में भारत ने विनाशकारी भूंकप के बाद एनडीआरएफ की टीमों को नेपाल रवाना किया। टीम ने प्रभावित आबादी की जरूरतों का आकलन करने के लिए स्थानीय अधिकारियों और समुदायों के साथ मिलकर काम किया और जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सहायता आदि प्रदान किया।

जिम्वाब्वे पहुंचा भारत का राहत दल

साल 2016 में चक्रवात डाइनो ने जिम्वाब्वे के दक्षिणी अफ्रीकी राष्ट्र को अपना शिकार बनाया। इस चक्रवात ने अपना गहरा प्रभाव छोड़ा। भारत सरकार ने आपदा में राहत प्रयाकों के लिए एनडीआरएफ की टीम को वहां भेजा। एनडीआरएफ की टीम को प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान चलाने के लिए तैनात किया गया।

सिएरा लियोन में भूस्खलन

2017 में पश्चिमी अफ्रीकी देश सिएरा लियोन में भारी बारिश और भूस्खलन से जान-माल की काफी क्षति हुई। भारत सरकार ने तब एनडीआरएफ की टीम को वहां भेजा। एनडीआरएफ टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और बचाव कार्यो के साथ-साथ चिकित्सा और मानवीय सहायता प्रदान की।

मोजांबिक, जिम्बाब्वे और मलावी को राहत भेजी

2019 में भारत ने विनाशकारी चक्रवात के बाद आपदा राहत और सहायता प्रदान करने के लिए दक्षिणी अफ्रीकी देशों मोजाम्बिक, जिम्बाब्वे और मलावी में एनडीआरएफ की टीम को भेजा। स्थानीय अधिकारियों और समुदाय के साथ मिलकर टीम ने वहां काम किया।

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