‘मुगल गार्डन’ नाम के पीछे की कहानी जान लीजिए

उगता भारत ब्यूरो

राजधानी दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में स्थित खूबसूरत मुगल गार्डन का नाम बदल गया है। अब इसका नया नाम अमृत गार्डन हो गया है। आम लोगों के लिए इसे 31 जनवरी से 26 मार्च तक के लिए खोला जाएगा। आप ऑनलाइट टिकट खरीद कर अमृत गार्डन देखने जा सकते हैं। इस साल इसकी टाइमिंग सुबह 10 से शाम 4 बजे तक रखी गई है। हर साल ये गार्डन देखने लाखों लोग आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गार्डन को किसने बनवाया था और इसका नाम मुगल गार्डन क्यों पड़ा था।

किसने बनवाया था मुगल गार्डन?

राष्ट्रपति भवन का डिजाइन बनाने वाले सर एडवर्ड लुटियंस द्वारा ही मुगल गार्डन का निर्माण किया गया था। इसे गणतंत्र का पहला गार्डन कहा जाता है। 1920-1930 के दशक में एडवर्ड लुटिंयस ने वायसराय एस्टेट के हिस्से के रूप में इसे तैयार किया था। उन्होंने 330 एकड़ की संपत्ति पर पांच एकड़ से अधिक के घर के साथ वायसराय एस्टेट को बनाया था जिसे अब राष्ट्रपति भवन को कहा जाता है। इस गार्डन में वास्तुकला और बागवानी परंपराओं में अंग्रेजी और मुगल शैली दोनों का समावेश है।

मुगल के नाम पर क्यों रखा गया नाम?

दिल्ली में मुगल बादशाह फिरोज शाह तुगलक ने मुगल परंपराओं के 1,200 गार्डन बनवाए थे। दिल्ली के मुगल गार्डन दशकों तक मुगल शासन के युग और संस्कृति को दर्शाते हैं। बाद में अंग्रेजों ने परंपराओं को अंग्रेजी सौंदर्यशास्त्र के साथ मिला दिया। शालीमार बाग, साहिबाबाद या बेगम बाग जैसे गार्डन भी वनस्पतियों के प्रदर्शन के साथ शक्ति और प्रभुत्व का प्रतीक हैं। सर एडवर्ड लुटियंस ने राजसी बगीचे को डिजाइन करते समय इस्लामी विरासत के साथ ब्रिटिश कौशल को समाहित किया। मुगल गार्डन का डिजाइन ताजमहल के बगीचों, जम्मू और कश्मीर के बगीचों और भारत और फारस के लघु चित्रों से प्रेरित था. इसलिए इसका नाम मुगल गार्डन रखा गया।

मुगल गार्डन में गेहूं की खेती?

1928-29 में वायसराय लॉर्ड इरविन के इस्टेट में आने से दो साल पहले सर एडवर्ड लुटियंस ने अपने द्वारा डिजाइन किए बगीचे में पौधारोपण किया था। भारत के पहले गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी पहले 330 एकड़ की इस संपत्ति में नहीं रहना चाहते थे, क्योंकि ये ब्रिटिश विरासत का हिस्सा था। लेकिन बाद में वो यहां शिफ्ट हो गए। उन दिनों देश भुखमरी और अकाल का सामना कर रहा था। इसी दौरान देशवासियों के साथ एकजुटता में और भोजन की कमी को दूर करने के लिए राजगोपालाचारी ने अपने कार्यकाल के दौरान गेहूं उगाने के लिए बगीचे के एक हिस्से का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इस प्रथा को उनके उत्तराधिकारी और भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 1962 तक जारी रखा।

मुगल गार्डन में शुरू हुए कई प्रोजेक्ट्स

1998 में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने के आर नारायणन के अनुरोध पर एस्टेट में भूजल बढ़ाने के लिए वर्षा जल को इकठ्ठा के लिए एक प्रणाली स्थापित की। 2002 में, अब्दुल कलाम ने आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं में उपयोग किए जाने वाले स्वदेशी पौधों को प्रदर्शित करने वाले जड़ी-बूटियों के बगीचों के साथ संयुक्त औपचारिक उद्यान बनाए। 2008 में, प्रतिभा सिंह पाटिल ने रोशनी नाम की एक परियोजना शुरू की, जिसने एस्टेट को शहरी पारिस्थितिक स्थिरता के लिए एक मॉडल बना दिया। 2015 में, प्रणब मुखर्जी ने बागवानी के लिए सीवेज उपचार सिस्टम स्थापित किया।

लंबे वक्त से चल रही थी नाम बदलने की मांग

इस मुगल गार्डन का नाम बदलने की लंबे वक्त से मांग चल रही थी। कुछ संगठनों ने देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम पर मुगल गार्डन का नाम बदलकर राजेंद्र प्रसाद उद्यान करने की मांग की थी। लेकिन अब सरकार ने इसका नाम बदलकर अमृत गार्डन कर दिया है।

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