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आखिर 6 अंकों का ही क्यों होता है पिन कोड ?

-अनुभव शाक्य

भारतीय डाक दुनिया का सबसे बड़ा पोस्ट नेटवर्क है। भले ही आज इंटरनेट ने लोगों के खत भेजने का काम व्हाट्सऐप और ईमेल पर ला दिया हो। लेकिन भारत के डाक सिस्टम की टेक्नोलॉजी कमाल है। आज से 50 साल पहले ही भारत में पिन कोड सिस्टम शुरू हो गया था।

आज के समय में हम इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से पल भर में दुनिया के किसी भी कोने में किसी को भी संदेश भेज सकते हैं। लेकिन आज भी तमाम सरकारी काम डाक के माध्यम से होते हैं। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है और पूरे देश में लगभग 1.5 लाख पोस्ट ऑफिस हैं। एक वक्त था जब लोग एक दूसरे को खत लिखते थे। भारतीय पोस्ट की मदद से ये खत एक जगह से दूसरी जगह तक जाया करते थे। पोस्ट की मदद से चिट्ठी भेजने के लिए पिन कोड की जरूरत होती है। जब हम कहीं अपना पता लिखते हैं तो भी साथ में पिन कोड दिया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि पिन कोड क्या है, जिस पर पूरा पोस्टल सिस्टम निर्भर है। आइए बताते हैं।

भारतीय पोस्ट में पिन कोड की शुरुआत आज से 50 साल पहले 15 अगस्त 1972 में हुई थी। पिन कोड (PIN) का मतलब पोस्टल इंडेक्स नंबर होता है। इसको शुरू करने वाले एक भारतीय थे, जिनका नाम श्रीराम भीकाजी वेलणकर था।

पहले पोस्ट ऑफिस में खोलकर पढ़े जाते थे सारे खत

आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 1972 से पहले अगर आप कोई खत भेजते थे, तो उसे पहले पोस्ट ऑफिस में खोलकर पढ़ा जाता था। इसके बाद उसे अलग-अलग खंडों में बांटकर आगे भेजा जाता था। लेकिन ये काम बेहद पेचीदा था। इससे कई बार गलत पते पर खत पहुंच जाते थे। इस परेशानी से मुक्त होने के लिए श्रीराम भीकाजी वेलणकर ने एक सिस्टम इजात किया, जो आज भी प्रासंगिक है। वेलणकर को पिन सिस्टम का जनक माना जाता है।

ऐसे काम करता है पिन कोड सिस्टम

श्रीराम भीकाजी वेलणकर ने पिन कोड सिस्टम को बनाने के लिए पूरे देश को 9 जोन में बांट दिया। इनमें से एक जोन भारतीय सेना के लिए भी है। इस सभी जोन को अलग-अलग कोड दिए गए। कोड का पहला अंक उस राज्य को दिखाता है जहां खत भेजना है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड एक ही जोन में हैं, जिनका नंबर 2 है। यानी इन दोनों राज्यों के सभी स्थानों के पिन की शुरुआत 2 से होगी। इसके बाद पिन कोड का दूसरा अंक सब जोन को दर्शाता है। वहीं तीसरा अंक जिले को दर्शाता है। इसके बाद बचे 3 अंक पोस्ट ऑफिस को बताते हैं। इस तरह 6 अंको के पिन कोड को डिजाइन किया गया है।

राज्यों के पिन कोड

दिल्ली-11
हरियाणा-12 और 13
पंजाब-14 से 16 तक
हिमाचल प्रदेश-17
जम्मू-कश्मीर-18 से 19 तक
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड-20 से 28 तक
राजस्थान-30 से 34 तक
गुजरात-36 से 39 तक
महाराष्ट्र-40 से 44 तक
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़-45 से 49 तक
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना-50 से 53 तक
कर्नाटक-56 से 59 तक
तमिलनाडु-60 से 64 तक
केरल-67 से 69 तक
पश्चिम बंगाल-70 से 74 तक
ओडिशा-75 से 77 तक
असम-78
पूर्वोत्तर-79
बिहार और झारखंड-80 से 85 तक
सेना डाक सेवा (एपीएस)-90 से 99 तक

कौन थे पिन कोड के जनक?

मराठी विज्ञान परिषद की ट्रस्टी वसुधा कमात ने फेसबुक पर एक पोस्ट करते हुए श्रीराम भीकाजी वेलणकर के बारे में जानकारी दी। श्रीराम भीकाजी वेलणकर विल्सन कॉलेज के छात्र थे। वह पढ़ने में मेधावी थे। स्कूल में वो हमेशा पहला स्थान हासिल करते। लेकिन परिवार गरीब था और पैसों की कमी के चलते वो विज्ञान की पढ़ाई नहीं कर पाए। उन्होंने संस्कृत की शिक्षा ली। वेलणकर ने देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली आईएएस परीक्षा को भी पास किया। लेकिन वो इंटरव्यू पास नहीं कर पाए। बाद में 1966 से लेकर 1970 तक वो पोस्ट मास्टर जनरल थे। इसके बाद उन्हें कम्युनिकेशन विभाग का एडिशनल सेक्रेटरी बनाया गया।

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