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मस्जिद में नमाज क्यों नहीं पढ़ सकती महिलाएं?

योगेश मिश्रा

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 2020 में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि महिलाओं को पुरुषों के समान ही मस्जिद जाने और नमाज अदा करने की अनुमति है। लेकिन कुछ इस्लामिक धर्मगुरू मस्जिद में महिलाओं और पुरुषों के एक साथ नमाज पढ़ने पर आपत्ति जताते हैं।

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रियाद : आमतौर पर यह धारणा है कि इस्लाम में महिलाएं मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ सकतीं। लेकिन सऊदी अरब के मक्का में स्थित इस्लाम की सबसे पवित्र मस्जिद में महिलाएं काबे का तवाफ करती हैं। कुछ दिनों पहले सऊदी अरब सरकार ने दुनियाभर से हज करने आने वाली महिलाओं को बड़ी राहत दी थी। अब महिलाओं को हज या उमराह करने के लिए महरम का साथ होना जरूरी नहीं है जो पहले अनिवार्य था। दुनिया की कई मस्जिदों में महिलाओं को नमाज पढ़ने की इजाजत है, जिनमें भारत भी शामिल है। लेकिन इस्लामिक धर्मगुरु इसके कुछ नियम बताते हैं।
कुछ धर्मगुरुओं के अनुसार, अगर महिलाएं ‘पाक’ हैं तो वे मस्जिद में नमाज पढ़ सकती हैं। वहीं कुछ उनके मस्जिद में पुरुषों के साथ नमाज पढ़ने पर आपत्ति जताते हैं। उनका कहना है कि अगर महिला और पुरुष मस्जिद में एक साथ नमाज पढ़ेंगे तो उनका ध्यान खुदा के बजाय एक-दूसरे पर जा सकता है। 2020 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी मस्जिद में प्रवेश और नमाज अदा करने की अनुमति है। लेकिन महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश और नमाज अदा करने की बहस के बीच कुछ देश ऐसे भी हैं जहां महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ना आम बात है।

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ऐसी मस्जिदें जहां सिर्फ महिलाएं पढ़ती हैं नमाज
भारत के कई हिस्सों में महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश और नमाज पढ़ने पर कोई पाबंदी नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के शहतपोता में स्थित जनानी मस्जिद में सिर्फ महिलाएं ही नमाज अदा करती हैं। अमेरिका में भी इसी तरह की एक मस्जिद सात साल पहले खुली थी। 2015 में अमेरिका के कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स शहर में देश की पहली महिला मस्जिद खुली थी। कनाडा में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज पढ़ सकती हैं।

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