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इतिहास के पन्नों से

भारत का शानदार गौरवपूर्ण अतीत

जिसने उसे कभी विश्व गुरु बनाया था आज भी उसके पास बहुत सारी ऊर्जा है और भविष्य में भी वह संसार का गुरु बनेगा ऐसी भी अनन्त संभावनाएं हैं।

भारत की झोली कभी न तो खाली थी न खाली है और न रहेगी

यदि भारत नहीं कटता तो आज 100 करोड़ लोग और हिंदू होते

भारत ने सबको अपना क्यों माना

सबको अपना मानने से क्या मिला भारत को
जिनको हम विकसित हुआ मानते हैं उनके सांस्कृतिक मूल्य पहली बात तो है ही नहीं और यदि हम भी तो भारत के मूल्यों से युगों पीछे हैं

यहीं पर हम वैलेंटाइन डे को स्पष्ट करें

चंगेज खान और हिटलर के बारे में स्पष्ट करें
जो भारत हितेषी थे वे भारत के शत्रु क्यों माने जाते हैं

वे रक्त पिपासु रहे हैं हम ज्ञान पिपासु रहे

प्रोफेसर मैक्स मूलर ने लिखा है कि मुस्लिम शासन के अत्याचारों और विभत्सता के वर्णन पढ़कर मैं यही कह सकता हूं कि मुझे आश्चर्य है कि इतना सब होने पर भी हिंदुओं के चरित्र में उनके स्वभाविक सद्गुण एवं सच्चाई बनी रही।

असामाजिक तत्वों को समाप्त कर समाज में धर्म का राज स्थापित किया रखना धर्म में युद्ध की श्रेणी का सकारात्मक कार्य है। इस युद्ध की अनुमति भारत का धर्म देता है। इस युद्ध में नैतिकता है और समाज की मर्यादा को बनाए रखने का शिव संकल्प है। भारत में धर्म में युद्ध मिलता है। इसके विपरीत अन्य देशों में सामाजिक संघर्ष मिलता है।

पश्चिम के लोगों ने प्रारंभ से ही मनुष्य मनुष्य के भीतर कंपटीशन देखा है। जब कि हमने सहयोग और सहसरिया को देखा और विराम सद्भाव को देखा है।

पश्चिम के लोगों ने और इस्लाम को मानने वालों ने सामाजिक संघर्ष को इसीलिए बढ़ावा दिया कि उनकी सोच में ही कंपटीशन का भाव है प्रतिस्पर्धा का भाव। जब भी हमने ऐसे किसी संघर्ष के मनोभाव को विकसित नहीं होने दिया।

युद्ध के समय भी नैतिकता और न्याय सील व्यवहार करना युद्ध में धर्म को निभाना है। किसी को युद्ध में धर्म की भावना कह सकते हैं।

हमारे लिए युद्ध अंतिम विकल्प रहा है जबकि उनके लिए युद्ध सभी समस्याओं का समाधान है इसलिए युद्ध सबसे पहले।
यही कारण रहा कि वह एक युद्ध के बाद दूसरे युद्ध में उलझते चले गए उन्होंने युद्धों की दलदल बना ली और हमने युद्धों को कभी गले नहीं लगाया।

भारत में कभी भी गृह युद्ध नहीं हुआ

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