जिन्होंने देश पहले तोड़ा वही फिर तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं

———इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार,महामंत्री, वीर सावरकर फ़ाउंडेशन ———————————————

भारत विभाजन के समय मुसलमानों ने अपना जो एजेंडा तय किया था उसके अनुसार उन्होंने अपने लिए एक अलग देश प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की। उस समय मुसलमानों ने कांग्रेस की कमजोरी का फायदा उठाते हुए 1920 – 21 में उनके द्वारा चलाए गए खिलाफत आंदोलन के अपने अधूरे एजेंडे पर काम करने में भी सफलता प्राप्त की। वास्तव में कांग्रेस की कमजोरी और लापरवाही के चलते मुस्लिम लीग को 1947 में भारत विभाजन कराकर पाकिस्तान के रूप में बहुत बड़ी कीमत प्राप्त हो चुकी थी।
हिन्दु समाज का नेतृत्व अब स्वाधीनता के बाद के जन्मे नौजवानों के हाथ में आ गया है। जिस तरह आज़ादी के आंदोलन में हिन्दु नौजवानों क्रांतिकारी वीर सावरकर,शहीद मदन लाल धिंगरा,शहीद खुदीराम बोस,क्रांतिकारी डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार,शहीद भगत सिंह,चंद्र शेखर आज़ाद,देशनायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस वाली नौजवान पीढ़ी ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हूवे भारतमाता की पराधीनता की बेड़ियों को काट कर उसे आज़ाद किया था। उन्ही युवकों की उत्तराधिकारी आज के हिन्दु समाज की युवा पीढ़ी ने ठान लिया है। मुस्लिम लीग के ख़िलाफ़त आंदोलन का अधूरा स्वप्न बिभाजित हिंदुस्तान को मुस्लिम रास्ट्र बनाने को चूर चूर कर देने का है।
१९४७ के समय मुस्लिम समाज ने तो जिन्ना की चाहत जनसंख्या की अदला बदली भारत पाकिस्तान में होनी थी गाँधी के चलते नही कर सके तो जिन्ना की घोषणा पाकिस्तान में हिन्दु रह गये तो हमारा इस्लामिक राज्य पाकिस्तान बनाने का मक़सद फेल हो जायेगा। २० लाख हिन्दुओं का नरसंघार करके,१ करोड़ ४० लाख हिन्दुओं को वहा से निकाल कर पाकिस्तान में जहा २३ प्रतिशत हिन्दू रहते थे। बांग्लादेश जहा ३० प्रतिशत हिन्दू रहते थे वहा पाकिस्तान को तो लगभग हिन्दु विहीन करके १ प्रतिशत पर व बांग्लादेश में ६ प्रतिशत पर पहुँचा दिया। मुस्लिम समाज के पाकिस्तान में किये गये हिन्दुओं के नरसंघार का गाँधी व उसके चेलो की सरकार ने कोई विरोध नही किया। पाकिस्तान में हो रहे हिन्दु नरसंघार की भारत में प्रतिक्रिया न हो इस लिये प्रेस सेन्सरसिप ऐक्ट लागू कर के किसी अख़बार ने पाकिस्तान में हुवी हिन्दु हत्यावो को प्रकाशित किया तो उसे बड़ा आर्थिक दंड देना पड़ेगा। आर्थिक दण्ड मिलने के भय से किसी अख़बार ने पाकिस्तान में होने वाले हिन्दुओं के नरसंघार पर एक शब्द प्रकाशित नही किया। एक आध नाथूराम गोडसे जैसों के अख़बार “अग्रणी” ने प्रकाशित करने का साहस किया तो अग्रणी पर बहुत आर्थिक दण्ड लगा दिया गया। उसी की शिकायत गृहमंत्री से करने नाथूराम गोडसे दिल्ली गया था। गाँधी को मारने नही। मुस्लिम लीग को पाकिस्तान की सत्ता दिलवाने का काम आज विभाजित हिंदुस्तान के मुसलमानो के शत प्रतिशत सहयोग के चलते हुवा मुस्लिम लीग ने संयुक्त हिंदुस्तान की सभी मुस्लिम सीटों को ९३ प्रतिशत वोट पाकर जीता था। जिन ७ प्रतिशत मुसलमानो ने मुस्लिम लीग को वोट नही दिया था वे पश्चिम पंजाब,सिंध व नोर्थ ईस्ट के थे। जो आज पाकिस्तान में है। इसका मतलब यह हुवा आज के बँटे हुवे हिंदुस्तान के १०० प्रतिशत मुसलमानो ने पाकिस्तान बनाया। हिंदुस्तान का बँटवारा मुसलमान को इस लिये चाहिये था की उनका इस्लाम उन्हें काफिर हिन्दुओं के साथ रहने की इजाज़त नही देता। इसलिए उन्हें मुस्लिम होमलेंड पाकिस्तान चाहिये।
इस बँटवारे में गाँधी जी के अनुसार यह बँटवारा हिन्दु मुस्लिम दो भाइयों में सम्पत्ति का बँटवारा था। संख्या में २३ प्रतिशत होने के बावजूद मुस्लिम भाई को ३० प्रतिशत उनकी मनचाही ज़मीन पश्चिम व पूर्व में मिली। २३ प्रतिशत के हिस्से के हिसाब से रिज़र्व बेंक का ७५ करोड़ रुपया,भारत सरकार के दफतरों की कुर्शी,टेबल,गाड़ी,रेलगाड़ी,बग्घी,पुस्तकालय की पुस्तक मिली। पर जो मुस्लिम भाई पाकिस्तान नही गये उनके हिस्से की ज़मीन तो भारत में नही रही वह तो पाकिस्तान में है। वे भारत में रह रहे है। आज के हिंदुस्तान की हिन्दु समाज की युवा पीढ़ी ने निर्णय लिया है। हम हिंदुस्तान को मुस्लिम रास्ट्र नही बनने देंगे। मुस्लिम भाई को हिंदुस्तान में रहने देने में हमें कोई समस्या नही है।
हम आपकी तरह कभी नही कहते कि हिन्दु व मुसलमान दो रास्ट्र हैं हम कहते है कि हमारे मुसलमान भाइयों के पुरखो की यह पुण्य भूमि है। क्योंकि उनका धर्म भी वही था जो हम हिंदुवो का है धर्म परिवर्तन हो जाने से पुरखे तो नही बदल जाते ना उनकी पुण्य भूमि बदल जाती है। आपको हिंदुस्तान में हम हिंदुवो की नई पीढ़ी के जमाने में पाकिस्तान में रह गई आपकी ज़मीन लानी होगी। जो आपके हिस्से सम्पत्ति रिज़र्व बैंक का रुपया,फ़र्निचर,किताब,र्रेल,घोड़ा गाड़ी आदि पाकिस्तान से हिंदुस्तान में लाना होगा। नही तो आपके बाप दादाओं द्वारा बनाये मुस्लिम होमलेंड पाकिस्तान जाना होगा।
यह बात तब और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब हम इतिहास के पन्नों से यह देखते हैं कि जब 1945 में नेशनल असेंबली के चुनावों में मुस्लिम लीग ने अपने प्रत्याशी खड़े किए तो देश के 93% मुसलमानों ने उस समय राष्ट्र विभाजन के नाम पर मुस्लिम लीग का समर्थन किया था। इससे स्पष्ट हो जाता है कि आज का मुसलमान भारत में बाई चॉइस नहीं रह रहा है, बल्कि वह बाई चांस रह रहा है। जैसे ही उसे चांस मिलेगा वह भारत को फिर तोड़ने की तैयारी कर लेगा। हमें परिस्थितियों को समझना चाहिए और इतिहास की साक्षी का परीक्षण करना चाहिए। बात साफ है कि जिन्होंने देश को पहले तोड़ा था वहीं अब देश को फिर तोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

Comment: