झारखंड का तेजी से हो रहा है तालिबानीकरण

उगता भारत ब्यूरो

सच में झारखंड का तालिबानीकरण होता जा रहा है। राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही सेकुलर सरकार सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं कर रही है। इस कारण मुसलमान-बहुल इलाकों और गांवों में हिंदुओं का रहना दूभर होता जा रहा है। ताजा मामला हजारीबाग जिले के बड़कागांव थाना के अंतर्गत आने वाले गांव सिरमा का है। यह बड़ा गांव है। यहां लगभग 600 मुसलमान परिवार और तीन-चार हिंदू परिवार रहते हैं।

कुछ दिन पहले एक रात गांव के कुछ जिहादी तत्व स्वर्गीय तुलसी साव के घर घुस गए। उन लोगों ने उनकी बड़ी बेटी सुमन कुमारी और छोटी बेटी को घसीटते हुए घर से बाहर निकाला। जमकर पीटा और फिर उठक-बैठक लगवाई। सुमन कुमारी का दोष केवल इतना था कि उसने कुछ दिन पहले अपने वाट्सअप में एक वीडियो साझा किया था। इस वीडियो में एक मकान पर फहर रहे पाकिस्तानी झंडे को उतार कर भगवा झंडा फहराया जाता दिख रहा है।

पीड़िता सुमन कुमारी की मां किरण देवी ने बताया, ‘‘10 अगस्त की रात करीब 8-30 बजे मुखिया इशरत जहां का बेटा मोहम्मद वसीम, सबीबुल्लाह, मोहम्मद नाजिम, मोहम्मद साकिब, मोहम्मद तौकीर, मोहम्मद आशिफ समेत दर्जनों की संख्या में मुसलमान युवक मेरे घर में जबरन घुसे। पहले उन लोगों ने जमकर गालियां दीं। फिर मेरी दोनों बेटियों को खींचते हुए अपने साथ ले गए। दोनों की पिटाई की गई और उनके साथ छेड़छाड़ भी की गई। इसके बाद रात भर पूरा परिवार में दहशत में रहा।’’

दूसरे दिन सुबह किरण देवी गांव के सदर मोहम्मद हलील, सचिव प्रोफेसर फजरुद्दीन और पंचायत समिति सदस्य शबनम परवीन के पति मोहम्मद इरफान के पास न्याय की गुहार लगाने गईं। वहां उन्हें न्याय तो नहीं मिला, उल्टे रात में जिन जिहादियों ने उनकी बेटियों को पीटा था, उन्होंने किरण कुमारी के साथ भी मारपीट की। कुछ ने उनके साथ अश्लील हरकत भी की।
इसी बीच किसी ने पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। इसके बाद यह मामला गांव से बाहर पहुंचा।

किरण देवी ने बताया कि गांव में मुसलमानों की आबादी बहुत हो गई है और अब उन्हें सुरक्षा नहीं मिली तो उनके पास पलायन के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। उन्हें डर है कि उनकी बेटियों के साथ कभी भी बड़ी घटना घट सकती है।
कुछ हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों को किरण और उनकी बेटियों के साथ हुई घटना की जानकारी हुई तो उनके कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए। कुछ कार्यकर्ताओं ने अनिश्चितकालीन अनशन भी शुरू किया। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। इसके बाद 18 अगस्त को अनशन भी समाप्त कर दिया गया है। हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक मनोज रतन चोथे ने बताया कि मामले को गंभीरता से लिया गया है और आरोपियों की तलाश जारी है। इनमें से मोहम्मद नदीम और मोहम्मद साकिब को गिरफ्कतार कर जेल भी भेजा जा चुका है।

कुछ हिंदुओं का कहना है कि दबाव के बाद पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ा जरूर, लेकिन पुलिस और जिहादियों की सांठगांठ से एक षड्यंत्र भी रचा गया। षड्यंत्र वही पुराना है मजहबी भावना को ठेस पहुंचाना। यह आरोप लगाकर जिहादियों ने पीड़ित परिवार के विरुद्ध भी एक मामला दर्ज करवा दिया है। लोगों का मानना है कि जब पीड़ित परिवार के पक्ष में हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ता उतरे तो मुसलमानों ने भी पीड़िता के विरुद्ध मामला दर्ज करवा दिया।

पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर चुके अमन कुमार का कहना है कि जो पुलिस पहले पीड़ित परिवार का मामला तक दर्ज नहीं कर रही थी, उसने बाद में पीड़ित परिवार पर भी मुकदमा दर्ज कर लिया। ऐसा पीड़ित परिवार को परेशान करने के लिए किया गया है। इसलिए पुलिस पीड़ित परिवार के विरुद्ध दर्ज मामले को वापस ले। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हिंदू कार्यकर्ता फिर से आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

भाजपा नेता और सांसद प्रतिनिधि पूनम साहू का कहना है कि झारखंड में तुष्टीकरण की राजनीति चरम पर है। इस कारण पुलिस भी निष्पक्ष होकर काम नहीं कर पा रही है। वहीं स्थानीय कांग्रेस विधायक अम्बा प्रसाद ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। शायद उन्हें यह डर सता रहा है कि किसी हिन्दू पीड़ित के साथ खड़े होने पर मुस्लिम मतदाता उनसे दूर चले जायेंगे।

सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल महतो ने तो बहुत ही गंभीर बात बताई। उन्होंने कहा, ‘‘झारखंड में कोई हिंदू पीड़ित पुलिस के पास पहुंचता है, तो उसकी सुनवाई नहीं होती है। वहीं दूसरी ओर यदि कोई मुसलमान या ईसाई किसी हिंदू की शिकायत करता है, तो पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि शायद पुलिस को सरकार की ओर से सख्त निर्देश है कि यदि पीड़ित हिंदू हो तो उसकी सुनो नहीं और जब पीड़ित कोई मुसलमान या ईसाई हो तो हर काम छोड़कर आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई करो।

गोपाल की ये बातें बिल्कुल सही लगती हैं। एक हिंदू मां और उसकी दो बेटियों के साथ जिहादियों ने जो किया, वह बहुत ही चिंताजनक और शर्मनाक है। इसके बावजूद पुलिस ने तीन दिन तक एफआईआर दर्ज नहीं की। एफआईआर दर्ज तब हुई जब हिंदू कार्यकर्ता सड़क पर उतरे, धरने पर बैठे। हालांकि हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि एफआईआर तत्काल दर्ज की गई और आरोपियों की धर-पकड़ शुरू की गई, लेकिन कागज कुछ और ही कह रहा है। बता दें कि घटना 10 अगस्त की है और एफआईआर 14 अगस्त को दर्ज हुई। तीन दिन तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई, यह बड़ा सवाल है।

अंत में यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि झारखंड में जो हो रहा है, वह बहुत ही खतरनाक है। समय रहते जिहादी तत्वों की लगाम नहीं कसी गई तो आने वाले समय में झारखंड भी कश्मीर घाटी की राह पकड़ सकता है। यहां पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे अनेक संगठनों से जुड़े तत्व बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को संरक्षण देकर जनसंख्या में असंतुलन पैदा कर रहे हैं। इसे देखते हुए ही पिछले दिनों गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में कहा था, ‘‘झारखंड का इस्लामीकरण हो रहा है। सरकार कुछ करे।’’
(साभार)

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