राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा कांग्रेस के इतिहास का काला सच, भाग – 7

दसवां प्रश्न

कांग्रेस के पापों की कहानी का अंत यूं तो अभी बहुत समय पश्चात होना संभावित है परंतु जब धारा 370 को हटाया गया तो इसके एक बड़े पाप का निवारण उस समय अवश्य हो गया था।
अब हम संविधान की आपत्तिजनक धारा 370 और 35a को हटाने की कहानी पर विचार करते हैं।
वह 4 अगस्त 2019 का दिन था। जब पार्लियामेंट परिसर में बहुत तेजी से हलचल हो रही थी । तत्कालीन गृहमंत्री ने एक बहुत ही विश्वसनीय और उच्च स्तरीय बैठक बुलाई हुई थी जिसमें एनएसए चीफ अजीत डोभाल गृह सचिव एवं आई बी के चीफ को भी बुलाया गया था। उस दिन किसी खास से खास आदमी को भी यह पता नहीं था कि आज क्या होने वाला है ? परंतु इतना अवश्य अनुमान लगाया जा रहा था कि आज कुछ बड़ा होने वाला है। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी इस योजना को पूर्णतया गोपनीय रखने का पूर्ण प्रबंध कर लिया था। योजना की गोपीनीयता को देखकर उनके विरोधी भी दंग रह गये थे।
1943 में मानो या 1947 में जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर की जो समस्या का बीजारोपण किया था उस समस्या के निस्तारण के लिए यूएनओ में ले जाने की बात कही गई थी। परंतु बाद की सरकारें यूएनओ से इस प्रश्न को वापस लेने लगी, तो विश्व शक्ति अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप के द्वारा 2 अगस्त 2019 को एक बयान दिया गया था कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू कश्मीर के ज्वलंत प्रश्न के हल के लिए मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं। भारत को बिना बूझे ही अमेरिका के राष्ट्रपति ने ऐसा बयान दे दिया था। बदले हुए भारत ने अमेरिका के राष्ट्रपति के इस प्रकार के बयान को अपने आत्मसम्मान पर चोट माना। यह उचित भी था कि जब एक संप्रभु राष्ट्र दूसरे किसी देश को अपने किसी मामले में हस्तक्षेप करने के लिए पंच बनाना नहीं चाहता तो वह पंच बनना क्यों चाहता है ?
वास्तव में ट्रंप का यह प्रस्ताव भारतीय नेतृत्व को अच्छा नहीं लग रहा था। 5 अगस्त 2019 को सुबह 9:30 बजे कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी की बैठक प्रधानमंत्री मोदी के निवास स्थान पर हुई थी। इस मीटिंग में जो निर्णय लिया गया था उसकी घोषणा 5 अगस्त 2019 को करीब 11 बजे गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संसद में सत्र के दौरान की गई थी। यह घोषणा इस संबंध में थी कि संविधान की धारा 370 और 35a के विवादित विषयों और उपबंधों को संविधान से समाप्त किया जाता है।( आपको याद होगा कि धारा 35a को तो संसद में बिना किसी प्रस्ताव के पारित कराए अनुचित रूप से संविधान में जोड़ दिया गया था। अर्थात इस धारा का संसद से अनुमोदन भी नहीं था। और करीब 60- 65 वर्ष तक इसी धारा 35a के आधार पर कश्मीर को विशेष दर्जा निरंतर दिया जाता रहा और आस्तीन के सांप पाले जाते रहे। )
5 अगस्त 2019 को जब इन दोनों विवादित और राष्ट्र विरोधी धाराओं को देश के संविधान से हटाने और मिटाने का समय आया तो उस समय सरकार ने यह भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया कि जम्मू-कश्मीर को दो नए केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया जाएगा। प्रशासन की स्थिति को चुस्त-दुरुस्त रखने और आतंकवाद पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए सरकार का यह निर्णय भी बहुत ही उचित था।
सरकार की इस नीति को कोई समझ नहीं पाया ,सब सन्न रह गए और कांग्रेस एवं अन्य राजनीतिक विपक्ष ने हल्ला मचाना प्रारंभ किया।
वास्तव में केंद्र में जब से श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, और जम्मू कश्मीर में 1 मार्च 2015 को जब चुनावों के बाद बीजेपी और पीडीपी ने साथ मिलकर के सरकार बनाई थी उसी दिन जोरावर सिंह स्टेडियम में धारा 370 को हटाने की नींव पड़ चुकी थी। जब मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो वहीं साथ में प्रधानमंत्री मोदी भी बैठे थे। उस दिन मुफ्ती मोहम्मद सईद और प्रधानमंत्री मोदी दोनों गले मिले थे। प्रधानमंत्री के आलोचकों ने इस गले मिलन का भारी विरोध उस समय किया था परंतु उस समय बहुत कम लोगों को यह जानकारी रही होगी कि यह गला मिलन बहुत उचित दूरी बनाए रखकर किया गया था। प्रधानमंत्री पूरी तरह सावधान थे और वह उचित अवसर की प्रतीक्षा करना अच्छा मान रहे थे।
वहीं से पीडीपी से बीजेपी का विरोध भी शुरू हो चुका था। पीडीपी एक ऐसी पार्टी है जो पाकिस्तान से पलती है। पाकिस्तान के प्रति जिसका दृष्टिकोण बहुत ही उदार एवं नम्र रहता है। आतंकवादियों को सपोर्ट करना पीडीपी का और अब्दुल्ला परिवार का काम होता है। इस योजना के तहत 2016-17 में एनआईए की कश्मीर घाटी में प्रविष्टि होती है और एनआईए ने कश्मीरी अलगाववादी और आतंकी समर्थकों की फंडिंग एवं आय के साधनों पर जबर्दस्त प्रहार किया। दशकों से हवाला कारोबार से चल रहे घोटाले का पर्दाफाश किया। सेना और पैरामिलिट्री फोर्स को आतंकियों के खिलाफ खुली छूट दे दी गई थी। इसलिए सेना और पैरा मिलिट्री फोर्सेज ने अनेक एनकाउंटर आतंकवादियों के किए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी जम्मू कश्मीर में काफी सक्रिय हो चुका था। पंचायत स्तर तक उसका कार्य दिखने लगा था। इन सब घटनाओं से पीडीपी और बीजेपी के बीच दरार पड़ने लगी थी ।इसी बीच कांग्रेस और एनसीपी ने भी पीडीपी के साथ सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी ।अगर ऐसी कोई सरकार बन गई होती तो बीजेपी फिर से सिस्टम से बाहर हो जाती और धारा 370 हटाने का ख्वाब कभी पूरा नहीं होता। वास्तव में 20 जून 2018 को गवर्नर वोहरा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा कर दी तो विपक्षी पार्टियां हाय तोबा कर रह गई। तत्पश्चात मुख्य -मुख्य प्रभावशाली पदों पर अच्छे देश प्रेमी वफादार अधिकारियों को नियुक्त किया गया ।जिसमें नक्सल एक्सपर्ट विजय कुमार और जम्मू कश्मीर के पूर्व चीफ सेक्रेटरी बीबी व्यास को राज्यपाल का सलाहकार बना दिया गया।
तत्पश्चात सत्यपाल मलिक को जम्मू कश्मीर का नया राज्यपाल बना दिया गया। जैसा कि पहले से होता आया था कि रमजान के समय सत्ता में बैठी पार्टी सीजफायर करा देती थी। लेकिन इस बार क्या हुआ कि रमजान के दौरान भी सीजफायर नहीं किया गया और आतंकियों का जमकर सफाया किया गया बहुत सारी पैरामिलिट्री फोर्स जम्मू कश्मीर में भेज दी गईं जिनका उद्देश्य बताया गया कि ट्रेनिंग चल रही है।
अक्टूबर 2018 में जम्मू कश्मीर बैंक पर एक्शन लेने का मन बनाया गया ।वहां भी भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें मिली। उसमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी लिप्त पाया गया। इसलिए उनको भी नोटिस दिया गया।
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आतंकियों का बड़ा हमला हुआ। हमारे 40 जवानों ने अपना सर्वोत्तम बलिदान दिया और वह देश पर शहीद हो गए। पूरा देश सरकार पर दबाव बना रहा था कि इसका बदला लेना चाहिए और सरकार ने जन भावनाओं के अनुसार लाइन ऑफ कंट्रोल को वर्ष 1971 के बाद पहली बार पार करके बालाकोट पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र पर रात्रि में हमला करके अपने जवानों के बलिदान का बदला लिया।
तत्पश्चात 2019 का लोकसभा का चुनाव आया। भाजपा पुनः सत्ता में लौटी। विलंबित पड़े हुए प्रस्ताव पर पुनः कार्य प्रारंभ हुआ। जून 2019 में पुरानी योजना पर आगे बढ़ना प्रारंभ हुआ।
उस दिन रविवार 4 अगस्त का दिन था और सारी प्रक्रिया रात को ही पूरी कर ली गई थी। पूरी रात विदेश मंत्रालय भी कार्य करता रहा कम्युनिकेशन ड्राफ्ट पर कार्य हुआ ।हर देश से अथवा वहां की सरकार से संपर्क करने की तैयारी पूरी तरह कर ली गई थी । कुछ शक्तिशाली देशों को तो पूर्व में ही सूचना दे दी गई थी कि हम कुछ बड़ा करने वाले हैं । इसी बहाने उनसे समर्थन का आश्वासन भी पूरी तरीके से ले लिया गया था।
जो 5 अगस्त 2019 को योजना घोषित की गई थी ।जिसके द्वारा धारा 370 और 35a हटाने के बाद जम्मू कश्मीर को दो भागों में विभाजित कर दिया गया था।
यह तैयारियों पीडीपी के साथ सत्ता में रहते और अनुभव करते समय से प्रारंभ हो गई थी कि धारा 370 और 35a को संविधान से किस प्रकार से हटाया जाए और जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया जाए। यह तथ्य उपरोक्त प्रस्तरो में स्पष्ट हो चुका है कि जम्मू कश्मीर की समस्या कांग्रेस के द्वारा उत्पन्न की गई थी और जम्मू-कश्मीर में केवल दो ही परिवारों का राज चला आ रहा था मुफ्ती परिवारऔर अब्दुल्ला परिवार।
वैसे तो कुछ समय के लिए कांग्रेस ने भी सत्ता को प्राप्त किया था लेकिन वह बहुत समय तक टिक नहीं पाई।
इन सब तथ्यों को विस्तृत रूप से नहीं बल्कि संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत करके हम यह सिद्ध करना चाहते हैं कि वर्तमान की कांग्रेस पार्टी 5 अगस्त 2019 को काले कपड़े इसलिए पहनती है कि वह पीडीपी के मुफ्ती परिवार और अब्दुल्ला परिवार तथा देश में अन्य इस्लामिक शक्तियों को यह संदेश देना चाहती है कि हम आज भी 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार द्वारा लिए गए एक्शन से सहमत नहीं हैं ।उसका हम विरोध करते हैं। कांग्रेस के द्वारा 5 अगस्त 2022 को काले कपड़े पहन कर के यह प्रदर्शन किया था।
यह वही कांग्रेस है जो मुगल काल से लेकर के आज तक उसी पॉलिसी को चलाए हुए हैं। पूरे विश्व में करीब डेढ़ सौ इस्लामिक संगठन हैं जो पूरी दुनिया को इस्लाम के झंडे के नीचे लाना चाहते हैं ।उसमें पहले निशाने पर उनके लिए भारत आता है। भारत में जो अंदर बैठे हुए आस्तीन के सांप हैं वह इन आतंकियों की सहायता करने वाले हैं।
ऐसे आतंकी संगठन और भारतवर्ष के अंदर बैठे हुए आस्तीन के सांप भारत की सरकार को अस्थिर करने का प्रत्येक प्रयास करेंगे और वह कोई भी अवसर अपने हाथ से जाने नहीं देंगे। चाहे किसान आंदोलन के नाम पर आंदोलन करके देश को बंधक बनाकर देश की आर्थिक स्थिति को चौपट करना हो चाहे सीएए का विरोध करना हो।
कांग्रेस का एक विशिष्ट परिवार आंदोलन की रूपरेखा तैयार करता है और चरणामृत पान करने वाले उनके चारों तरफ एकत्र हो जाते हैं। वर्तमान में कांग्रेस के विशिष्ट परिवार के दो लोग नेशनल हेराल्ड केस में ईडी की पूछताछ के बाद जेल जाने से डर रहे हैं ,इसलिए भी यह उछल कूद मचाई जा रही है। ज्ञातव्य है कि पहले से भी एक अन्य केस में जमानत पर हैं। महंगाई और बेरोजगारी कांग्रेस का मुद्दा नहीं है इनको यह डर सता रहा है कि कांग्रेस का विशिष्ट परिवार जेल जाने से कैसे बचे।
इसीलिए जनता को आंदोलन करके भरमाया जा रहा है। जिससे कि ऐसा लगे कि जैसे कांग्रेस ही एकमात्र भारत की जनता की समस्याओं को समाधान प्रदान करने वाली पार्टी है। कांग्रेस अभी तक यह नहीं समझ पाई है कि उसका जनाधार दिन प्रतिदिन समाप्त हो रहा है। कांग्रेस हताश है। कांग्रेस का नेतृत्व दिशाहीन है। कांग्रेस आज जो भी कार्य करना चाहती है उसको जनसमर्थन आशानुरूप नहीं प्राप्त होता। कांग्रेस किंकर्तव्यविमूढ़ है।
हम यहां पर यह भी कहना चाहेंगे कि कांग्रेस का समापन होने का मतलब है कि देश में विपक्ष का समापन होना और विपक्ष का समापन होने का मतलब है कि लोकतंत्र का समापन होना । इसके अतिरिक्त हम यह भी कहना चाहेंगे कि जब कहीं कोई कमी आती है तो दैवयोग से कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता है तो उस कमी की पूर्ति हो जाती है । अर्थात कांग्रेस का विकल्प दूसरे राजनीतिक दल बन करके आएंगे। तभी लोकतंत्र मजबूत रह पाएगा। परंतु कांग्रेस अपने कृत्यों से स्वयं नष्ट अथवा मृतप्राय:हो रही है।
कांग्रेस के अतीत और वर्तमान का समेकित और संहत रूप से अध्ययन करने के उपरांत यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जो नेहरू की सोच एवं मानसिकता थी ,जो इंदिरा गांधी की सोच और मानसिकता थी उसी सोच और मानसिकता की केचुली से कांग्रेस आज भी बाहर निकली नहीं है। यही उसके पतन का कारण बन रहा है।15 अगस्त के बाद देखिए कुछ बड़ा होने वाला है।
अंत में हम इतना ही कहना चाहेंगे कि कांग्रेस को इस समय आत्ममंथन करना चाहिए। अपनी गलत नीतियों को सुधारने के लिए बड़े दिल का प्रदर्शन करना चाहिए। सड़क पर उतर कर लोगों की समस्याओं का प्रतिनिधि बनकर काम करना चाहिए। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष के लिए विपक्ष का होना बहुत आवश्यक है। परंतु वह विपक्ष केवल ड्राइंग रूम की राजनीति करने वाला ना हो बल्कि सड़क पर उतरकर आंदोलन करके जनता को राष्ट्रवादी मुद्दों पर एकमत करने का प्रयास करने वाला हो। जहां आवश्यक हो वहां सरकार का समर्थन करे और जहां लगता है कि देश के हितों के विरुद्ध सरकार काम कर रही है तो वहां उसका डटकर विरोध भी करता हो।
समाप्त

देवेंद्र सिंह आर्य एडवोकेट
चेयरमैन : उगता भारत समाचार पत्र

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