पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ की सच्चाई क्या है ?*


*पहले मुसलमान बजाते थे ताली अब हिन्दू बजाते हैं ताली*
पृथ्बीराज चौहान के हस्र से सबक नहीं लेने वाले इतिहास के गर्त में समा जायेंगे
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2014 के पहले पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ मुसलमानों के अति समर्थक थे और उनकी टोली में मुसलमान होते थे। वे अपने आप को कुरान और इस्लाम के विशेषज्ञ बताते थे और कहते थे कि दुनिया में इस्लाम और मुसलमान ही शांति और सदभाव के प्रतीक है। वे इस्लाम के आयातों की अपनी मर्जी से ब्याख्या कर मुसलमानों को चमत्कृत करते थे, मुसलमान उनके पक्ष में तालियां बजाते थे। वे कहते थे कि इस्लाम और मुसलमानों का विरोध करने वाले लोग मूर्ख हैं, हिंसक हैं और सदभाव विरोधी हैं।
राजनीतिक घटनाक्रम बदला। पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ का विचार भी बदला। विचार क्यों बदला? यह रहस्य और शोध का विषय है। कोई पाकिस्तान हाईकमीशन से जानकारी हासिल कर सकता है, कोई साफ्मा के क्रियाकलाप से जानकारी हासिल कर सकता है। साफ्मा पाकिस्तान का एक क्रिएशन था जो कश्मीर पर पाकिस्तान पक्ष की पैरबीकार था। कोई प्रेस क्लब ऑफ इंडिया से जानकारी हासिल कर सकता है, प्रेस क्लब मे उस दौरान कितने पाकिस्तानी मिशन प्रेस क्लब के मेहमान होते थे। प्रेस क्लब में पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ का किस प्रकार से मुस्लिम पत्रकारों के साथ तालमेल था। आईएसआई के स्वीकृति के बिना कोई भारतीय पाकिस्तान के टीवी मे काम नहीं कर सकता है। रा और आईबी के अधिकारी इस संबंध मे जानकारी रखते हैं।
मुझे मालूम है कि इन तथ्यों पर कोई गौर नहीं करेगा। पृथ्बीराज चौहान भी मुहम्मद गौरी के अजमेर वाले जासूस को इसी प्रकार से पाला पोशा था। दुष्परिणाम क्या हुआ? सारी गोपनीय जानकारी मुहम्मद गौरी को दे दी थी। पृथ्बीराज चौहान के हस्र जानकर भी सबक नहीं लेने वाले इतिहास के गर्त में समा जायेंगे। अब पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ पर तालियां बजाने वाले हिन्दू हैं।
हमारा काम सावधान करना है, प्रश्न देश की सुरक्षा का है।
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*आचार्य श्री विष्णुगुप्त*
New Delhi
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