उगता भारत समाचार पत्र के 12 वें स्थापना दिवस पर किए गए 12 संकल्प प्रस्ताव पारित

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ग्रेटर नोएडा। यहां पर सत्य सनातन संस्कृति सेवा समिति के सौजन्य से उगता भारत समाचार पत्र के 12 वें स्थापना दिवस पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उगता भारत ट्रस्ट द्वारा संचालित इस समिति के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा मोर्चा गठित करने का प्रस्ताव पारित किया गया जो देश में बढ़ती हिंदू विरोध की लहर को रोकने के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभा सके।
अवसर पर अखिल भारत हिंदू महासभा, सांस्कृतिक गौरव घोष, जिला आर्य प्रतिनिधि सभा, पश्चिम उत्तर प्रदेश विकास पार्टी सहित कई संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे। सभी संगठनों ने सामूहिक रूप से एक मंच पर आकर जोरदार आवाज लगाने और वैदिक हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए संकल्पित होने के प्रस्ताव पारित किया।

इस बैठक में पारित किए गए प्रस्ताव में सरकार पर समान नागरिक संहिता को शीघ्र लागू करने ,देश में बढ़ते इस्लामिक आतंकवाद पर अंकुश लगाने, मदरसों पर प्रतिबंध लगाने, अल्पसंख्यक मंत्रालय को बंद करने, बच्चों को वैदिक संस्कृति के संस्कार देने के लिए विद्यालयों में वैदिक शिक्षा लागू करवाने,
एनसीसी के साथ-साथ बच्चों को सैनिक शिक्षा देने, आईएएस और पीसीएस की परीक्षाओं में सौ नंबर का पेपर वैदिक संस्कारों के संबंध में रखवाने, वसुधैव कुटुंबकम और कृण्वंतो विश्वमार्यम् को संयुक्त राष्ट्र का सूत्र वाक्य बनवाने, भारतीय ऋषियों और क्रांतिकारियों के चरित्रों को विद्यालयों में पढ़ाने, कुरान की चौबीस आयतों को बंद करवाने जैसे प्रस्ताव पारित किए गए।
सभी वक्ताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि बच्चों को वैदिक संस्कृति के संस्कार स्कूलों के माध्यम से दिए जाने की व्यवस्था की जाए और जो भी व्यक्ति जितना भी समय इन बच्चों को वैदिक संस्कार देने या उनमें आत्मरक्षा का भाव पैदा करने के संबंध में समय दे सकता है, उन सबकी एक टीम गठित की जाए।
वक्ताओं ने मोदी सरकार से इस बात की भी मांग की कि जनसंख्या नियंत्रण के कानून को यथाशीघ्र कठोरता उसके साथ लागू किया जाए। वक्ताओं का कहना था कि देश में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों के वोट के अधिकार को समाप्त किया जाए। जो लोग भारत में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं या देश तोड़ने की गतिविधियों में किसी भी प्रकार से संलिप्त पाए जाते हैं उनके वोट का अधिकार समाप्त कर दिया जाए। सभी वक्ताओं ने एक स्वर से यह भी स्पष्ट किया कि भारत हिंदू राष्ट्र है इसका हिंदू राष्ट्र का स्वरूप उसी समय स्पष्ट हो गया था जब मजहबी आधार पर देश का विभाजन 1947 में किया गया था। जो लोग आज भारत में रहकर 2047 से पहले एक नए पाकिस्तान का मंसूबा देख रहे हैं उनके इस प्रकार के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए सरकार को कठोरता से कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे सांस्कृतिक गौरव घोष के वरिष्ठ पदाधिकारी विनोद सर्वोदय ने कहा कि सारे देश में जिस प्रकार इस्लामिक आतंकवाद फैल रहा है उसकी जड़ में कुरान की चौबीस आयतें हैं। जिन पर सरकार को प्रतिबंध लगाना चाहिए। वरिष्ठ हिंदूवादी चिंतक सर्वेश मित्तल ने कहा कि किसी भी मजहब की ऐसी मान्यताओं को देश में स्थापित नहीं किया जाना चाहिए जो देश में आग लगाती हो। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता को बिना हिचक के अब सरकार को लागू करना चाहिए।
उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन , वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पश्चिम उत्तर प्रदेश विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि उनका समाचार पत्र देश में इतिहास को दोबारा लिखे जाने का विमर्श बनाने में सफल हुआ है। इसका राष्ट्रवादी चिंतन और स्वरूप भविष्य में भी निरंतर यथावत बना रहेगा। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को ऊंचे आयाम देना ही हमारे समाचार पत्र का लक्ष्य है। जिसके लिए हम अंतिम दम तक संघर्ष करेंगे। इस अवसर पर अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित नंदकिशोर मिश्र ने कहा कि सावरकर जी ने हिंदुओं का राजनीतिकरण और राजनीति का हिंदू करण करने का संकल्प लिया था आज उसका यथावत उसे यथावत लागू करने का समय आ गया है। जबकि आर्य जगत के विद्वान देव मुनि जी ने कहा कि जिस प्रकार सावरकर जी और तत्कालीन आर्य समाज के नेतृत्व ने मिलकर कार्य किया था अब उसी रूप में काम करने का समय है। इसी प्रकार आर्य जगत के विद्वान महेंद्र सिंह आर्य ने भी सभी हिंदू वादी लोगों को एक मंच पर लाने की अनिवार्यता पर बल दिया और कहा कि इस समय संयुक्त शक्ति से ही देश की वैदिक संस्कृति की रक्षा हो सकती है।
आचार्य दिवाकर जी ने इस समय अपनी ओर से कई प्रस्ताव पेश किए जिनका संपूर्ण सदन ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। सत्य सनातन संस्कृति सेवा समिति और कार्यक्रम के संयोजक
डॉ राकेश कुमार आर्य ने इस अवसर पर कहा कि अब अतीत की बातों को छोड़कर वर्तमान में बैठकर चुनौतियों का समाधान करने का समय है। यदि हम इस समय चूक हो गए तो इतिहास हमको माफ नहीं करेगा। आर्य समाज के वरिष्ठ स्तंभ सरपंच रामेश्वर सिंह ने भी इतिहास के संदर्भ से कई गंभीर प्रश्न उठाए। इसी प्रकार आर्य परिवार की ओर से प्रोफेसर विजेंदर सिंह आर्य ने सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
आचार्य मोहन देव शास्त्री ने भी इसी प्रकार के विचार व्यक्त करते हुए हिंदू धर्म की एकता पर बल दिया और कहा कि जाति विहीन समाज की संरचना करने पर अब हमको कार्य करना होगा। इस अवसर पर विकास आर्य, प्रताप सिंह आर्य, रविंदर आर्य ,राकेश यादव, दिवाकर आर्य, विजेंदर सिंह आर्य, वासुदेव आर्य , समिति के पद पदाधिकारी संदीप गर्ग , महावीर सिंह आर्य,मनु बैरागी, राम कुमार नागर आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के अंत में डॉ राकेश कुमार आर्य की पुस्तक हिंदुस्तान में हिंदू का अस्तित्व का भी विमोचन किया गया। जिसके बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टर आर्य ने बताया कि इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने संपूर्ण भारत वर्ष में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का उल्लेख किया है और इस बात को स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि किस प्रकार 9 राज्यों में हिंदू को अल्पसंख्यक कर देश को तोड़ने की तैयारी की जा रही है।
कार्यक्रम का सफल संचालन आर्य युवा नेता आर्य सागर खारी ने किया उन्होंने सभा को सुव्यवस्थित करते हुए कहा कि आज के एजेंडा पर केंद्रित रहकर हिंदू समाज को एक दिशा देने के लिए रणनीति और नीति तय करना हमारा प्रमुख कर्तव्य है।

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