ज्ञानव्यापी में कठमुल्लाओ का भीड़तंत्र ,लोकतंत्र पर भारी – दिव्य अग्रवाल

भीड़ तंत्र की अराजकता से सभ्य समाज को समझना चाहिए ज्ञानव्यापी स्थल पर तथाकथित मस्जिद की वीडियोग्राफी को उस भीड़ तंत्र के माध्यम से प्रतिबंधित किया गया। जिसका नेतृत्व उन कठमुल्लाओ द्वारा हो रहा है जो आक्रामक,अराजक, हिंसात्मक होने के पश्चात भी पीड़ित व्यक्ति का कार्ड खेलकर,संविधान व् न्यायालय का सहारा लेकर सदैव कटटरवादी मानसिकता को पोषित करते आए हैं । यह उन्ही कठमुल्लाओ की फौज है जो मुस्लिम आक्रांता मोहम्मद बिन कासिम , तैमूर , टीपू सुलतान , औरंगजेब आदि मुस्लिम साशनकाल की बर्बरता को यह कहकर नकार देते हैं की वो सब तो विदेशी थे। उनसे हमारा क्या सम्बन्ध परन्तु जब उन विदेशी मुस्लिमों के कुकृत्यों को ठीक करने की बात आती है। तब हिन्दुस्तानी मुसलमान धर्म के नाम पर संगठित होकर उन विदेशी मुस्लिमो के कृत्यों को इस्लाम से जोड़कर उनके समर्थन में भीड़ तंत्र के रूप में आकर लोकतंत्र व् भारतीय संविधान की अवहेलना करने से भी गुरेज नहीं करते। इस विषय की कल्पना भर करना मुश्किल है की आज संविधान है , कानून है , पर हिन्दू समाज अपने धार्मिक स्थलों के मान सम्मान को बचाने में सक्षम नहीं है तो उन 1200 वर्ष का इस्लामिक शासनकाल कैसा रहा होगा जिसमे हिन्दू पूजा स्थलों को खंडित किया गया था । यह आजाद भारत का दुर्भाग्य है की ब्रिटिश साशन काल में भी हिन्दू समाज की उदारता, भावनाओ एवं ज्ञानव्यापी स्थल की सत्यता को जानते हुए ब्रिटिश सरकार ने भी ज्ञानव्यापी स्थल पर गौरीश्रृंगार की पूजा करने हेतु माह में एकबार हिन्दुओ को जाने की अनुमति प्रदान की हुई थी। आजाद भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के कारण भारतीय सरकारों द्वारा यह अनुमति भी बंद कर दी गयी ओर अब माह में एक बार पूजा अर्चना तो दूर वहां आना जाना भी हिन्दुओ के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।अतः इस भीड़ तंत्र से कब तक भयभीत होते रहेंगे , कब तक यह भीड़ तंत्र अपनी अराजकता के दम पर शासन व् प्रसाशन को संवैधानिक कार्य नहीं करने देंगे । यदि इस भीड़तंत्र की अराजकता व् असंवैधानिक कार्यशैली को अविलम्ब प्रतिबंधित नहीं किया गया तो क्या भविष्य में उन सब चीजों की पुर्नावृति होने की संभावना नहीं है। जिसके चलते भारत की संस्कृति को समाप्त करने हेतु असंख्य कार्य कटटरवादियो द्वारा पूर्व में ही किए जा चुके हैं , ये सब अति विचारणीय विषय है । प्रत्येक विषय पर सड़को पर आ जाना , आंदोलनों के नाम पर आगजनी करना , उपद्रव करना कटटरवादियो का यह प्रचलन बन चूका है। जिसके कारण सभ्यसमाज के जीने का अधिकार भी समापन की ओर अग्रसारित है। कटटरवादी , मजहबी भीड़तंत्र की अराजकता व् असंवैधानिक आचरण को देखकर भी यदि यह भारतीय सभ्य समाज मात्र मोदी जी , योगी जी महाराज व् अन्य किसी राष्ट्रवादी नेता का ही सारा दायित्व समझकर स्वम अचेतन होकर जीवन व्यापन करता रहेगा तो निश्चित ही यह मानवता के लिए शुभ संकेत नहीं है । इससे बड़ा हास्यास्पद विषय ओर क्या हो सकता है की पुरे विश्व में मात्र भारत एक ऐसा देश बचा है जिसमे हिन्दू समाज अभी बहुसंख्यक स्थिति में होते हुए भी अपनी संस्कृति , सभ्यता , धार्मिक मान्यताओं , धार्मिक स्थलों को संरक्षित व् सुरक्षित रखने में समर्थ व् सक्षम नहीं है। अतः जिस तरह जनसख्या संतुलन बिगड़ रहा है हिन्दू समाज की जनसंख्या प्रतिदिन कम हो रही है भविष्य में क्या कोई लोकतंत्र , संविधान या कानून बच पायेगा यह भी चिंताजनक विषय है।
दिव्य अग्रवाल

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