“अलग -थलग ” कैसे

सेवा में
संपादक जी

महोदय
अल्पसंख्यक मंत्रालय की  मंत्री डॉ  नजमा हेपतुल्लाह ने कहा है कि मुसलमान 1947 से ही “अलग-थलग ” पड़ा हुआ है, यह कहना अत्यंत दुःखद व निंदनीय है । परंतु जब देश का 1947 में ही  विभाजन हुआ था तब लगभग 99% मुसलमानो ने अलग मुस्लिम देश की मांग की और  लाखो लोगो की लाशो पर पाकिस्तान बना । फिर वे सारे मुसलमान पाकिस्तान क्यों नहीं गए?
हमारे तत्कालीन  ढोंगी धर्मनिरपेक्ष नेताओ ने मुसलमानो को भारत में ही रोक लिया और उनको अत्यधिक आर्थिक  सहायता से  भरपूर मालामाल किया और उनकी लोकतंत्र में राजनीतिक स्थिति को भी सुदृढ़ किया।इन सबका न थमने वाला सिलसिला अभी भी जारी है।
आप लगभग पिछले 10 वर्षो से अल्पसंख्यक मंत्रालय के गठन से  अब तक की योजनाओ का ही अवलोकन करे तो ज्ञात होगा की राजकोष का अरबो रुपया प्रति वर्ष धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक माने जाने वाले मुसलमानो पर ही लुटाया जा रहा है। आप को यह भी ज्ञात हो तो अच्छा रहेगा कि मंदिरो में हिन्दू श्रद्धालुओ द्वारा चढ़ाया गया भक्ति धन का अधिकाँश भाग भी अल्पसंख्यको की योजनाओ में पिछले लगभग 25 वर्षो से बाटा जा  रहा है ।
आज दुनिया के किसी भी देश से अच्छी व सुखद जिंदगी भारतीय मुसलमानो की है । लेकिन मुस्लिम परस्त राजनीति  मुसलमानो की दशा के सुधार का बखान ही नहीं करती , वे केवल और केवल उनको  “अलग- थलग” बताये रखकर व  बेचारे मानकर एक षड़यंत्र के अन्तर्गत  प्रत्येक स्तर पर उनको और अधिक सामर्थशाली बनाने  में लगी हुई है।उनपर मुख्यधारा में न आने के लिए  सरकार पर दोषारोपण किया जाता आ रहा है , परंतु अनेक मुख्य सरकारी पदों पर व व्यापारो पर इनका आधिपत्य कम नहीं है और तो और वोटो के दबाव की  राजनीति में तो देश में इनकी कोई  बराबरी ही नहीं ।
लोकतंत्र की विडम्बना है कि वोटो के दबाव के प्रभाव से उनकी कितनी ही सही-गलत मांगे मान ली जाय फिर भी उनकी अनन्त मांगे कभी भी पूरी नहीं हो सकती क्योकि उनका अंतिम लक्ष्य ही  ‘दारुल- इस्लाम’   अर्थात  “भारत का इस्लामीकरण”  जो है।
सधन्यवाद
भवदीय
विनोद कुमार सर्वोदय
नया गंज, गाज़ियाबाद।

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