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आखिर क्यों बौखलाये हुए हैं पुतिन?

नीरज कुमार दुबे

पुतिन यदि परमाणु हमले की योजना बना रहे हैं तो इसके पीछे कारण यही है कि वह अपनी सेना के कमांडरों से खुश नजर नहीं आ रहे हैं। यही नहीं पुतिन को अब अपनी सेना पर पहले जैसा भरोसा भी नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि पुतिन ने अपने रक्षा मंत्री को जबरदस्त डांट लगाई है।

रूस और यूक्रेन का युद्ध जैसे-जैसे लंबा खिंच रहा है वैसे-वैसे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की परेशानी बढ़ती जा रही है और यह परेशानी उनके गुस्से को और भड़का रही है। तबाह भले यूक्रेन हो रहा है लेकिन रूस भी कम बर्बाद नहीं हो रहा है। विश्व में शक्तिशाली देश के रूप में पहचान रखने वाला रूस अपनी साख खोता जा रहा है। रूसी अर्थव्यवस्था तो डूब ही रही है अब उसके युद्धपोत भी डूबने लगे हैं। रूसी सैन्य शक्ति पर सवाल उठ रहे हैं और रूसी सेना की ओर से यूक्रेन में बरती जा रही निर्ममता की घटनाओं को युद्ध इतिहास में काले अध्याय के रूप में भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि युद्ध लंबा खिंचता देख रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बौखला गये हैं और अब वह परमाणु हमला कर सबकुछ एक झटके में खत्म करने की योजना बना रहे हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने तो दावा कर भी दिया है कि रूस कभी भी परमाणु हमला कर सकता है।

अब पुतिन यदि परमाणु हमले की योजना बना रहे हैं तो इसके पीछे कारण यही है कि वह अपनी सेना के कमांडरों से खुश नजर नहीं आ रहे हैं। यही नहीं पुतिन को अब अपनी सेना पर पहले जैसा भरोसा भी नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि पुतिन ने अपने रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु को जबरदस्त डांट लगाई है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन से डांट खाने के बाद रक्षा मंत्री शोइगु को गंभीर दिल का दौरा पड़ा है। बताया जा रहा है कि रूसी आक्रमण की धीमी प्रगति पर मार्च महीने के अंत में पुतिन और शोइगु के बीच तनाव की स्थिति बन गई थी। यह भी कहा जा रहा है कि संदेह के आधार पर रूस के 20 जनरलों को गिरफ्तार भी किया गया है। यही नहीं, रूसी सेना को हो रहे भारी नुकसान से भड़के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 150 जासूसों को बर्खास्त कर दिया है और कई जासूसों को जेल भेज दिया है। जिन जासूसों को जेल भेजा गया है उनके बारे में बताया जा रहा है कि उन्होंने युद्ध से पहले रूसी राष्ट्रपति को अपनी जो खुफिया रिपोर्ट दी थी उसमें कहा गया था कि यदि रूसी सेना हमला करती है तो यूक्रेन के लोग उनका स्वागत करने के लिए उमड़ पड़ेंगे। लेकिन हुआ ठीक उल्टा। माना जा रहा है कि पुतिन को अपने अधिकारियों पर शक है कि युद्ध की उनकी योजना को लीक कर दिया गया था जिससे देश को नुकसान हुआ है।
अलग-थलग पड़ गया है रूस
देखा जाये तो इस युद्ध को शुरू हुए लगभग डेढ़ महीना होने को आ गया है लेकिन रूस को अब तक बड़ी सफलता हासिल नहीं हो सकी है। उल्टा वह दुनिया में पूरी तरह अलग-थलग और पड़ गया है। यही कारण है कि पुतिन के करीबियों का कहना है कि वह आजकल भड़के-भड़के रहते हैं। वह अपने लोगों को भी धमका रहे हैं और दूसरे देशों को भी चेतावनी दे रहे हैं। इसी क्रम में अब उन्होंने कहा है कि अगर फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होते हैं तो हम बाल्टिक क्षेत्र में अपना रक्षा तंत्र मजबूत करते हुए यहां परमाणु हथियारों की तैनाती कर सकते हैं। हम आपको बता दें कि फिनलैंड और स्वीडन रूस से सटे हुए देश हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही यह दोनों देश नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन दे सकते हैं। इस रिपोर्ट को देखते हुए रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने साफ कह दिया है कि स्वीडन और फिनलैंड यदि सैन्य गठबंधन नाटो में शामिल होते हैं तो यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था में किसी प्रकार का सुधार नहीं होगा उल्टा यह दोनों देश मुश्किल में पड़ जायेंगे।
यूक्रेन में खुशी और गम
दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की अपनी सेना के प्रदर्शन से खुश नजर आ रहे हैं। देश के नाम दिए हालिया वीडियो संबोधन में जेलेंस्की ने यूक्रेन के लोगों से कहा है कि उन्हें इस युद्ध में 50 दिन तक जीवित रहने पर काफी गर्व होना चाहिए क्योंकि रूस ने ‘उन्हें सिर्फ पांच दिन दिए थे।’ जेलेंस्की रूसी युद्धपोत के डूबने से भी बेहद खुश हैं। उनका दावा है कि यूक्रेनी सेना ने रूसी युद्धपोत मोस्कवा पर मिसाइल हमले किए थे, जबकि रूस ने दावा किया है कि मोस्कवा आग लगने से क्षतिग्रस्त हुआ था ना कि मिसाइल हमले से। हम आपको बता दें कि यह युद्धपोत लंबी दूरी की 16 मिसाइलें ले जाने की क्षमता रखता था। जानकारों का कहना है कि युद्धपोत के डूबने से काला सागर में रूस की सैन्य क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, यह घटना पहले से ही एक बड़ी ऐतिहासिक भूल के रूप में देखे जाने वाले यूक्रेन युद्ध में रूस की प्रतिष्ठा के लिए बड़ा झटका भी है।

उधर, यूक्रेन को मिल रहा अंतरराष्ट्रीय समर्थन बढ़ता ही जा रहा है। खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन की यात्रा पर जा सकते हैं। बाइडेन ने इस बारे में मीडिया से बातचीत में कहा भी है कि मैं यूक्रेन की यात्रा पर जाने के लिए तैयार हूँ। यूक्रेन से पलायन करने वाले लोगों की देखभाल के लिए भी दुनिया के देश अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। रेड क्रॉस ने भी कहा है कि वह यूक्रेन में रूसी आक्रमण से बचकर विदेश पहुंचे 20 लाख से अधिक लोगों की मदद के लिए अपना अब तक का सबसे बड़ा नकद सहायता कार्यक्रम शुरू कर रहा है। रेड क्रॉस की यूक्रेन में युद्ध से प्रभावित लोगों को करीब 10.6 करोड़ डॉलर की मदद देने की योजना है। हम आपको बता दें कि 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से 26 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिकों ने पोलैंड और 20 लाख से अधिक लोगों ने अन्य पड़ोसी देशों में पनाह ली है। पोलैंड में यूक्रेनी शरणार्थियों की देखभाल, समन्वय और पुनर्वास में मदद करने के लिए कनाडा ने अपने सैनिकों को भेजने का ऐलान किया है। अन्य देश भी इसी तरह के कदमों के जरिये मानवीय कार्यों में सहायता देने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि जिस तरह से रूसी हमले बढ़ रहे हैं उसको देखते हुए माना जा रहा है कि पलायन करने वालों की संख्या और बढ़ेगी क्योंकि यूक्रेन के कई शहरों में अब लोग भूख से भी दम तोड़ने लगे हैं।
बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि सोवियत संघ के विघटन के बाद व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश को हर मायने में मजबूत किया था, लेकिन अब रूस के हालात देखकर लगता है कि पुतिन खुद ही रूस को हर मायने में बर्बाद करने पर तुले हैं। उनकी सनक कहीं रूस को ले ना डूबे।

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