हिन्दुओं के उत्पीड़न की पर्यायवाची बनी भारत की धर्मनिरपेक्षता , भाग -1

———-इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार,महामन्त्री , वीर सावरकर फ़ाउंडेशन                                       ———————————————

घटनाओं और इतिहास ने अब यह बात पूर्णतया सिद्ध कर दी है कि धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत भारत के लिए गले की फांस बन चुका है। भारत में हिंदुओं के उत्पीड़न को सबसे अधिक इसी सिद्धांत ने क्षति पहुंचाई है। वास्तव में यह कोई राजनीतिक सिद्धांत नहीं बल्कि हिंदुओं को धीरे-धीरे समाप्त कर देने की उस घातक प्रक्रिया का नाम है जो हिंदू अस्तित्व के लिए बहुत बड़ा संकट बन चुकी है।
    अंग्रेजों द्वारा स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1885 से अंग्रेजों के अधीन रही व “महारानी दीर्घ जीवी हो”के नारे के साथ अंग्रेजों के काम करती रही। १९०५ में इसमें बदलाव आया व “तिलक युग”आया। जिसमें लोगों में जागृति आयी कि “स्वाधीनता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है”नारे के साथ कांग्रेस” स्वराज”प्राप्ति की ओर चलने लगी।
   १९२० से गाँधी युग आरम्भ हुआ। कांग्रेस मुसलमानों के लिये लड़ने व मुस्लिम शासन स्थापित करने की दिशा में चल पड़ी। १९१३ में मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली,जो १९१७ में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बने, ने अंग्रेजों से माँग की कि भारत का विभाजन करके उत्तर भारत मुसलमानों को दे दें व दक्षिण भारत हिन्दुओं को दे दें। महात्मा गांधी के कांग्रेस पर अधिकार हो जाने व महात्मा गाँधी के उनके अधिकार में आ जाने के बाद  मुस्लिम लीग नेताओं ने सारे भारत में इस्लामिक राज्य बनाने की दिशा में आंदोलन खड़ा कर दिया। जिसका नाम दिया गया “ख़िलाफ़त”आंदोलन।
   ख़िलाफ़त आंदोलन के दो चेहरे थे,दिखानेवाला चेहरा था टर्की के ख़लीफ़ा को इस्लामिक दुनिया का ख़लीफ़ा पद अंग्रेज वापस करे जो टर्की ने प्रथम बिस्वयुद्ध की पराजय के बाद खो दिया था। इसका असली चेहरा था कि हिन्दु व मुसलमान अंग्रेजों के विरुद्ध ख़िलाफ़त आंदोलन करके राष्ट्रव्यापी अशांति पैदा करेंगे। तब अफगनिस्तान का अमीर भारत पर हमला करके दिल्ली को जीत लेगा व भारत में पुनः इस्लामिक राज्य स्थापित हो जाएगा। महात्मा गाँधी ने भी अपने अख़बार ‘यंग इंडिया’ में इस बात का समर्थन किया। पर जिनके राज्य में सूर्यास्त नही होता था उन अंग्रेजों से इतनी आसानी से दिल्ली जीतना मुश्किल था । अंग्रेजों ने अफगनिस्तान के अमीर अमानुल्ला खां को  तख़्त से हटा कर बच्चा साक़ु को बैठा दिया तथा मुस्लिम लीग-महात्मा गांधी का दिल्ली में इस्लामिक राज्य स्थापित करने का खेल ख़त्म हो गया।
       ख़िलाफ़त आंदोलन की अफ़सलता का ख़ामियाज़ा सारे भारत में हिन्दु समाज को भोगना पडा। जगह जगह हिन्दुओं पर हमले हुए। सबसे भीषण केरल में हुआ। जिसे मोपला नरसंहार के रूप में जाना जाता है। १०हज़ार से अधिक हिन्दुओं की हत्या की गई। कुछ खबरों से यह संख्या 25000 तक बताई जाती है। हज़ारों हिन्दु स्त्रियाँ बलात्कार का शिकार हुईं। १ लाख से ऊपर हिन्दुओं का ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया गया। हज़ारों मन्दिर तोड़ दिये गये।
हिन्दु मुसलमानो की एकता के बिना स्वराज मिलना असम्भव है,कहने वाले महात्मा गाँधी ने हिन्दुओं पर मुस्लिम समाज द्वारा किए गए हमलों की निंदा नही कर उन्हें वीर की संज्ञा दी और कहा वे (मोपला) के वीर पुरुष हैं। वे उसके लिये युद्ध कर रहे है जो उनके बिचार से धर्म है उनका युद्ध उनके विचार से धर्म सम्मत है। (पाकिस्तान ः लेखक डॉक्टर अम्बेडकर पृष्ठ १४८)            जब मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली को ख़िलाफ़त आंदोलन की विफलता के बाद अंग्रेज सरकार जेल भेज देती है तो महात्मा गाँधी अपने समाचार पत्र में प्रतिवाद स्वरूप सम्पादकीय लिखते हैं। अंग्रेज सरकार उन्हें ६ वर्ष के लिये कारावास भेज देती है । तिलक के समान अपराध होने के बावजूद २ वर्ष में ही जेल से मुक्त कर देती है। १९२४ में मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली को महात्मा गाँधी कांग्रेस अध्यक्ष बना देते हैं।२३ दिसम्बर १९२६ जब स्वामी श्रद्धानंद की हत्या की गई तो गाँधी हत्यारे को बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश करते हैं तथा कांग्रेस नेता आसफ़अली को उसका वकील नियुक्त करते हैं। स्वामी श्रद्धानंद के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी आरम्भ कर देते हैं तथा स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे को मेरा प्रिय भाई कहकर सम्बोधित करते हुए अब्दुल रशीद को हत्या का दोषी नही मानते,  बल्कि दोषी श्रद्धानंद को बताते हुए कहते हैं कि उनका हिन्दु धर्म में घर वापसी का काम घृणा फैलाने की तरह है। ( कांग्रेस का इतिहास- लेखक पी. सीतारमाइया, पृष्ठ ५१६)
     १९२७ में मुस्लिम लीग के कलकत्ता सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए मोहम्मद अली के शिष्य मौलाना आज़ाद ने मुस्लिम प्रभुत्व वाले ५ राज्यों के निर्माण का लाभ बताया। उन्होंने कहा यह योजना मुस्लिम हितों की रक्षा के लिये एक अच्छा अस्त्र है। यदि हिन्दु प्रभुत्व वाले राज्यों में मुसलमानो के साथ कोई अप्रिय घटना घटती है तो मुसलमानो को मुस्लिम प्रभुत्व वाले राज्यों में हिन्दुओं से बदला लेने का अवसर मिलेगा। ….अब हम मुस्लिमों के पास हिन्दुओं के ९ राज्यों की तुलना में ५ राज्य होंगे। मुस्लिम इन राज्यों में ‘टिट फ़ोर टेट’ की नीति अपना सकते है। (Bookः Dr. Ambedkar on Minorities. By Sri Prakash Singh. Page 69)
   गांधी जी की इस प्रकार की दोगली नीतियों से भारत में वर्तमान धर्मनिरपेक्षता ने अपना स्वरूप विकसित करना आरंभ किया था । जिस प्रकार गांधी जी हिंदू विरोध को ही धर्मनिरपेक्षता मानते थे, उसी प्रकार इस घातक विचारधारा को उनके मानने वालों ने भी अपना लिया। फलस्वरूप कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से कामरूप तक प्रत्येक क्षेत्र में हिंदू विरोध उग्र होता चला गया। जिससे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष शक्तियों ने देश के हिंदुओं को अपमानित और तिरस्कृत करना आरंभ किया। उसी का परिणाम ‘द कश्मीर फाइल्स’ का सच है।
क्रमशः

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