भारत में१५ अगस्त १९४७ से अब तक हुई हिन्दू हत्याओं पर लिखना अपराध क्यों ,? 

-इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार, महामन्त्री, वीर सावरकर फ़ाउंडेशन                                         ——————————————— जिस समय पाकिस्तान का निर्माण हुआ तो उसी समय यह निश्चित हो गया था कि पाकिस्तान धर्म के आधार पर आज नहीं तो कल अपने आप को एक इस्लामिक देश के रूप में स्थापित करेगा और बाद की घटनाओं ने यह सिद्ध कर दिया कि उसने अपने आप को न केवल इस्लामिक राष्ट्र के रूप में स्थापित किया बल्कि इस्लामिक देशों का नेता बनने का भी प्रयास किया। ऐसे में भारत के लिए भी उसी समय यह स्पष्ट हो जाना चाहिए था कि वह भी अपने आप को हिंदू राष्ट्र घोषित करेगा और हिंदू को इस देश की आन बान शान और पहचान बनाने के मार्ग पर काम करेगा, परंतु भारत के नेतृत्व में ऐसा नहीं किया।
भारत का धर्म के आधार पर विभाजन स्वीकार करके कांग्रेस ने इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान का निर्माण करने की स्वीकृति दी।जिन्ना ने  गाँधी से नोवाखाली हिन्दु नरसंहार के समय घोषणा की कि इस्लामिक पाकिस्तान में  हिन्दुओं का कोई स्थान नही होगा। क्योंकि पाकिस्तान में हिन्दु रहे तो इस्लामिक राज्य पाकिस्तान बनाने का उद्देश्य समाप्त हो जाएगा। इस लिए मेरा अनुरोध है कि इस्लामिक राज्य स्वीकार कर लेने के बाद हिन्दु मुसलमानो की जनसंख्या की अदला बदली करने की एक  ब्यवस्था बनाई जाय ताकि शान्ति से हिन्दु मुसलमानों की अदला बदली सम्पन्न हो जाये, यदि ऐसा नहीं किया गया तो हम नोवाखाली हिन्दुओं का नरसंहार  की तरह सारे पाकिस्तान में हिन्दुओं का नरसंहार सम्पन्न करेंगे।
    जिन्ना को ५५ करोड़ दिलवाने वाले गाँधी ने जिन्ना की यह माँग अस्वीकार कर दी व २१ लाख हिन्दुओं का नरसंहार पाकिस्तान में होने दिया। कांग्रेस सरकार ने प्रेस सेन्सर शिप धारा समाचार पत्रों पर यह कह कर लगा दी कि पाकिस्तान में होने वाले हिन्दु नरसंहार की रिपोर्ट भारत के समाचार पत्रों में प्रकाशित नही की जा सकती। किसी ने इस आदेश का उल्लंघन किया तो उसे हिन्दु मुसलमानों में झगड़ा लगाने वाली कार्यवाही माना जायेगा व समाचार पत्र पर आर्थिक दण्ड लगाया जायेगा। इस तरह १५ अगस्त १९४७ से ही हिन्दुओं के नरसंहार को विलोप करने का काम कांग्रेस सरकार करती रही।
  बाद में कांग्रेस की कार्यप्रणाली ही ऐसी हो गई कि उसने हिंदू विरोधी प्रत्येक घटना को छुपाने का प्रयास किया और मुस्लिमों का पक्ष पोषण किया। जब जम्मू कश्मीर से हिंदू भगाए जा रहे थे  या उनका कत्लेआम किया जा रहा था या अत्याचार करते हुए हिंदुओं को कश्मीर छोड़कर भागने के लिए प्रेरित किया जा रहा था तो उस समय भी कांग्रेस ने उन समाचारों को देश की जनता से छुपा लिया। आज कांग्रेस की छद्म धर्मनिरपेक्षता की पूरी हवा निकल गई है जब दा कश्मीर फाइल्स के माध्यम से लोगों को सच का पता चल रहा है। कांग्रेस ने अपनी परंपरागत सोच का परिचय देते हुए आज भी कह दिया है कि जैसा इस मूवी में दिखाया गया है ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था, यानी जैसे 1947 की हिंदू विरोधी घटनाओं पर लिखना पाप है वैसे ही जम्मू कश्मीर में कश्मीर में हुए हिंदू विरोधी सरकारी आचरण और आतंकवादियों के अत्याचारों पर लिखना भी पाप है।

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