यूपी के हिंदू वोटरों के मन में दहशत भरने के लिए हुआ हिजाब आंदोलन

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जिहाद की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है… पाकिस्तान का जन्म अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की इसी  लैब से ही हुआ है… और अब इसी से हिजाबी आंदोलन यूपी मेंव शुरू हो चुका है… सबसे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ही मुस्लिम औरतें और छात्राएं काला बुर्का पहनकर सड़कों पर उतरीं ताकि यूपी के चुनावी माहौल में  दहशत का साम्राज्य कायम किया जा सके ।

एक बार फिर शाहीन बाग की तरह जिहादी पुरुष खुद आगे नहीं निकले हैं बल्कि उन्होंने जिहादी औरतों को आगे किया है और बार बार उनको शेरनी कहा है… दरअसल जिहादी हिंदुओं के मन में ये दहशत भरना चाहते हैं कि हमारी तो औरतें ही लाखों की संख्या में काले बुर्के पहनकर सड़कों पर उतर सकती हैं…. हिंदुओं को डराने के लिए तो ये जिहादी खवातीन ही काफी हैं…. जिहादी पुरुषों के लिए तो काफिरों की गर्दनें काटना वैसे ही है जैसे केक को चाकू से काटना।

-इसी योजना के तहत सबसे पहले कर्नाटक में पीएफआई की छात्र इकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने मुस्कान खान समेत छह लड़कियों को सदस्य बना कर  ट्रेन्ड किया… ये लड़कियां पहले हिजाब पहनकर नहीं आती थीं । इनकी लीडर बनी मुस्कान की वो तस्वीरें सामने आ चुकी हैं जिसमें ये मॉल में फटी जींस पहनकर घूम रही है लेकिन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने इन लड़कियों का ब्रेन वॉश करके इनको कर्नाटक के कॉलेज में कोहराम मचाने के लिए उतार दिया 31 दिसंबर 2021 को।

-मुस्कान पूर्वनियोजित साजिश के तहत जय श्री राम का नारा लगा रहे लड़कों के बीच जल्दी से घुसकर  पांच कैमरों के बीच अल्लाह हु अकबर का नारा लगाकर सीन क्रिएट करने में कामयाब रही और भाग निकली।  बाद में इसी लड़की को मुस्लिम और जिहादी मीडिया ने अपना आइकन बना लिया और शाहीनबाग की तर्ज पर हिजाबी आंदोलन की शुरुआत कर दी।

-इसके बाद से पूरे देश में खासकर यूपी के लोगों के मोबाइल पर उन तस्वीरों को वायरल किया गया जिसमें लाखों की संख्या में मुस्लिम औरतें काला बुर्का पहनकर सड़कों पर उतर गईं हैं इससे यूपी के वोटरों के मन में ये दहशत बैठ गई कि चाहे लखनऊ और दिल्ली में… योगी और मोदी का ही राज क्यों ना हो लेकिन सड़क पर तो जिहादियों का ही राज रहने वाला है

-इससे जिहादी ताकतों का दूसरा मकसद भी बहुत तेजी से पूरा हुआ है…. दरअसल यूपी के अंदर लगभग 8 करोड़ लाभार्थी हैं… जो योगी और मोदी के राज में सरकारी योजनाओं से बनाए गए हैं…. इनमें से 60 फीसदी लाभार्थी मुसलमान हैं…. वैसे ज्यादातर मुसलमान तो बीजेपी को वोट नहीं देते हैं लेकिन कुछ लाभार्थी मुसलमान पुरुष और महिलाएं बीजेपी को वोट देने की तैयारी कर रही थीं… लेकिन जैसे ही ये हिजाबी आंदोलन शुरू हुआ…. मुसलमानों के मन में ये संशय पैदा हो गया कि वो आखिर बीजेपी को वोट दें या फिर नहीं दें ? इस तरह जिहादी बीजेपी के लाभार्थी मुस्लिम वोटरों को भ्रमित करने में पूरी तरह से कामयाब रहे हैं
यानी एक ही तीर से जिहादी ताकतों ने दो-दो शिकार करने की सफल कोशिश की है !

-बीजेपी सांसद वी के सिंह ने गाजियाबाद में ये बयान दिया था कि मुस्लिम महिलाएं 2019 की तरह इस बार भी बीजेपी को वोट ना दें दें इससे घबराकर पूरे देश में हिजाब आंदोलन को खूब हवा दी जा रही है…. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रैली में इसका जिक्र किया कि जब मुस्लिम बेटियां मोदी-मोदी करने लगीं तो मुस्लिम वोट के ठेकेदारों ने धीरे से मुस्लिम महिलाओं को भड़काने का काम किया है

(नोट- कई मित्रों ने 9990521782  मोबाइल नंबर दिलीप नाम से सेव किया है लेकिन मिस्ड कॉल नहीं की… लेख के लिए मिस्ड कॉल और नंबर सेव…  दोनों काम करने होंगे क्योंकि मैं ब्रॉडकास्ट लिस्ट से मैसेज भेजता हूं जिन्होंने नंबर सेव नहीं किया होगा उनको लेख नहीं मिलते होंगे.. जिनको लेख मिलते हैं वो मिस्डकॉल ना करें प्रार्थना)

– जबकि केरल के राज्यपाल और इस्लाम के जानकार  आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि कुरान में हिजाब का जिक्र कभी मुस्लिम महिलाओं के ड्रेसकोड को लेकर नहीं हुआ है…. आरिफ साहब ने ये बताया है कि अरबी भाषा में हिजाब का मतलब होता है पर्दा… क्योंकि अरब में रेगिस्तान था।  लकड़ियां नहीं होती थीं इसलिए दरवाजे नहीं बल्कि पर्दे से काम चलता था… तो कुरान में ये निर्देश दियाग गया है कि जब मुस्लिम महिलाएं घर के अंदर हों और बाहर से कोई आए तो हिजाब यानी पर्दे की आड़ लेकर बात हो…. ये नहीं कि कोई भी पर्दा खोलकर सीधे अंदर घुसकर दुष्टता करे… इस तरह कुरान में हिजाब का जिक्र सिर्फ और सिर्फ एक घर-मकान की निजता को लेकर ही है।

-जैसे हिंदुस्तान में महिलाएं दुपट्टा ओढती हैं ठीक वैसे ही कुरान में औरतों को छाती पर खीमार ओढ़ने का निर्देश है… खीमार का मतलब होता है कपड़ा… दरअसल अरब में पहले गुलाम औरतें होती थीं जो मुसलमान युद्ध में जीत कर लाया करते थे । मुसलमान काफिर मर्दों को मारकर उनकी औरतों को गुलाम बना लेते थे… इस तरह अरब में दो तरह की औरतें होती थीं एक काफिर गुलाम औरतें और दूसरी मुसलमान आजाद औरतें । अक्सर ईमान वाले मुसलमान अरब के अंदर गुलाम औरतों के साथ सरेराह छेड़खानी और अभद्र हरकतें किया करते थे… लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ जब आजाद और मुसलमान औरत को भी गुलाम औरत समझकर छेड़ दिया…. इसके बाद ये मसला सल्लैलाहु अल्लैह वस्सलम हुजूर पैगंबर मुहम्मद के पास पहुंचा…. नबी ने तब औरतों को ये निर्देश दिया कि जो भी आजाद और मुसमलान औरतें हैं वो खीमार ओढ लें यानी अपनी छाती को कपड़े से ढंक लें ताकी उनके साथ कोई छेड़खानी ना हो… लेकिन ये बहुत दुख की बात है इन इस्लाम की बातों को गलत तरीके से परिभाषित करके कट्टरपंथियों ने मुस्लिम महिलाओं को हिजाब और बुर्के में ढंक दिया।

-सच तो यही है और सच यह भी है कि इस हिजाब विवाद से उत्तर प्रदेश के चुनावों में वोटों के ध्रुवीकरण की चाल उन कट्टरपंथियों के लिए इसलिए उल्टी पड़ने जा रही है कि अब प्रदेश का बहुसंख्यक मतदाता जात-पांत को परे रख कर जिहादी  समर्थक पार्टी के खिलाफ एकजुट हो रहा है, हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए।
सोशल मीडिया से साभार

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